तुझे रोके, तुझे टोके, फैलने से बचाये जो, हर एक उस चीज़ के क्यों बढ़ रहे हैं दाम कोरोना?

जिसे देखो है उसकी बस ज़ुबाँ पर नाम कोरोना।
हुआ है इस क़दर जग में बड़ा बदनाम कोरोना।

बनाया है गया तुझको डराने के सबब से ही,
तो क्यों सब दे रहे तुझको यहाँ इल्ज़ाम कोरोना।

तुझे रोके,तुझे टोके, फैलने से बचाये जो,
हरएक उस चीज़ के क्यों बढ़ रहे हैं दाम कोरोना?

समूचे विश्व ने जिस तरह से कस ली कमर अपनी,
कि अब तू सोच होगा क्या तेरा अंजाम कोरोना।

कि बालक, वृद्ध, स्त्री औ’ पुरुष सब जप रहे ये ही,
कि दिन हो, रात हो, सुबह हो या फिर शाम कोरोना।

नियम और कायदे से सब यहाँ रहते ही आये हैं,
मचाना मत मेरे भारत में तू कोहराम कोरोना।

है माना तुझको रोज़ी-रोटि की चिंता नहीं लेकिन,
यहाँ पर हो रहा सबका प्रभावित काम कोरोना।

सभी कुछ पहले जैसा हो सकेगा अपनी भूमि पर,
कि पाले हैं यही उम्मीद का इल्हाम कोरोना।

नहीं छूटा है कोई भी भले चाहे वो कुछ भी हो,
है फाकामस्त या फिर खा रहा बादाम कोरोना।

जो दुनिया को मिटाने का तुझे ग़र दम्भ है तो सुन,
तेरी सब हसरतें कर देंगे हम नाकाम कोरोना।

महामारी का धर के रूप क्यों तू विश्व झुलसाये,
तू अपने चीन में ही जाके कर आराम कोरोना।

तेरी तासीर से घबरा के अमरीका भी बोले है,
कि त्राहिमाम त्राहिमाम त्राहिमाम कोरोना।

तू दुश्मन है मेरी कोशिश है तेरे को मिटाने की,
मैं अपना कर रहा, पर तू न कर ये काम कोरोना।

मैं पक्का तो नहीं पर बोलते हैं इस जहाँ में सब,
तेरी चलती नहीं, चलते जहाँ पर जाम कोरोना।

@ डॉक्टर रञ्जन विशद

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