पीएम साहब ! लॉक डाउन में बेरोजगार हो गए पत्रकार, न आर्थिक मदद और न ही बीमा दे रही सरकार
पीलीभीत। यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ और देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोना संक्रमण के दौरान किए गए लाक डाउन के दौरान जनता को राहत देने के लिए कई पैकेज घोषित किए हैं। इसमें गरीब मजदूर किसान व महिलाओं का ध्यान तो रखा गया है लेकिन पत्रकारों के लिए ना तो कोई आर्थिक मदद घोषित की गई और ना ही उन्हें बीमा कवर में शामिल किया गया। जबकि प्रधानमंत्री कोरोना सेनानियों में मेडिकल स्टाफ, पुलिस आदि के साथ पत्रकारों को भी शामिल कर चुके हैं और राष्ट्र के नाम संबोधन में आभार भी जता गए हैं।
पत्रकारों को इसलिए मिले मदद
सरकार को बेरोजगार हुए पत्रकारों को ऐसे मुसीबत भरे समय में आर्थिक मदद देनी चाहिए साथ ही 5000000 का स्वास्थ्य बीमा जो मेडिकल कर्मियों को दिया गया है वह पत्रकारों को भी दिया जाना चाहिए। यह मामला पूरनपुर के पत्रकार संजय शुक्ला ने विधायक बाबूराम पासवान द्वारा मीडिया के लिए बनाये गए एक ग्रुप में उठाया। उनका कहना है कि
यह है अधिकांश पत्रकारों की हालत
चैनल, पोर्टल व अखबार वाले आईडी तो दे देते हैं परंतु कोई मासिक वेतन या मानदेय नहीं देते। अधिकांश पत्रकार विज्ञापन के कमीशन पर ही निर्भर रहते हैं। इस मुसीबत भरे समय में जब जनता, व्यापारी व अन्य वर्ग खुद त्रस्त है तो वह विज्ञापन कहां से देगा। जब विज्ञापन नहीं मिल रहा तो कमीशन मिलना बंद हो गया और सैकड़ों पत्रकारों की रोजी रोटी लटक गई है। बड़े अखबारों में भी यही सब शोषण हो रहा है। रात दिन मेहनत करने वालों को 8 घंटे का निमम बेज तक नही दिया जा रहा। 12 माह 24 घंटे काम करने वालों को उनके अपने ही अपना मानने को तैयार नहीं हैं।
केंद्र व राज्य सरकार ले संज्ञान
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व स्थानीय जनप्रतिनिधियों से मांग की है कि वे इस मामले को प्रमुखता से उठाते हुए पत्रकारों के लिए भी राहत पैकेज बीमा आदि घोषित कराएं ताकि उन्हें भी इस मुसीबत की घड़ी में राहत मिल सके। योगी सरकार द्वारा घोषित राहत में पत्रकारों को बाहर रखा गया है।
वित्त मंत्री की पीसी में भी नही उठी समस्या
वित्त मंत्री की पीसी में पत्रकारों ने सबाल तो पूछे पर अपने पर सवाल करने की या तो उनकी हिम्मत नही हुई या वे हाई प्रोफाइल पत्रकार थे और गांव देहात के साथियों की समस्या से वे अनजान बने हैं। हालांकि सरकारों का मानना है कि पत्रकार जिस मीडिया संस्थान से जुड़े हैं वो उनका ख्याल रख रहा होगा पर ऐसा कदापि नही है।
हमारा तर्क यह भी है साहब
मान लीजिए कि संस्थान अपने कर्मियों को वेतन भत्ता दे भी रही होगी तो भी मेडिकल स्टॉप की तर्ज पर 50 लाख के मेडिकल इंसोरेंस के हकदार तो पत्रकार हैं ही। कोरोना कवरेज में वे अस्पताल भी जा रहे हैं। जब मोटा वेतन भत्ता लेने वाले स्वास्थ्य विभाग के लोग 50 लाख का मेडिकल कवर पा सकते हैं तो हर पत्रकार, सुरक्षा कर्मी, अधिकारी कर्मचारी भी इसके हकदार हुए और यह हक उन्हें दिया जाना चाहिए।
विधायक बोले शासन तक पहुंचाएंगे पत्रकारों की समस्या
विधायक बाबूराम पासवान ने बताया कि वे पत्रकारों की समस्या सरकार के संज्ञान में लाकर राहत दिलाने का प्रयास करेंगे।
पत्रकार संगठन, जनप्रतिनिधि भी आगे आएं
यह मामला भले ही संजय शुक्ला ने उठाया हो पर यह समस्या 75 फीसदी से अधिक पत्रकारों की है। पत्रकारों के हित में काम कर रहे संगठन व जनप्रतिनिधि आगे आएं तो लाभ मिलना तय है। हालांकि कुछ लोग सरकार की उपेक्षा से व्यथित भी हैं। देखिये पूरनपुर प्रेस क्लब अध्यक्ष श्री नवीन अग्रवाल जी की पोस्ट-
पत्रकारों खुद लड़ो अपनी लड़ाई
दूसरो का हाल लिखने में विशेषज्ञ पत्रकारों को भी लाज शर्म छोड़कर अपनी इस समस्या को खबर में देना चाहिए। सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म भी आपकी बात पीएम सीएम तक पहुंचाने में मददगार हो सकते हैं।
@ सतीश मिश्र, संपादक समाचार दर्शन 24, 9411978000
क्या कहती है जनता जनार्दन, कृपया अपनी राय इस पोल में जरूर दीजियेगा-
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यह रही मामला उठाने वाले संजय शुक्ला की बात
लॉक डाउन: सरकार के खजाने में मीडिया कर्मियों के लिए नहीं निकली एक भी पाई, कर रही सहयोग की अपेक्षा ?*
लेकिन मीडिया कर्मियों की अपेक्षा का सरकार को जरा सा भी ध्यान नहीं
*कृपया ध्यान दें* –
इस महामारी से बचाव हेतु पूरा विश्व सहयोग में लगा हुआ है। तो वही दूसरी ओर मीडिया कर्मियों का भी इस महायज्ञ में पूरा योगदान होना प्रतीत हो रहा है। क्या ऐसी दशा में मीडिया कर्मियों को सरकार द्वारा मीडिया कर्मियों को पैकेज देना चाहिए ? अथवा नहीं ? अगर हाँ तो केंद्र सरकार राज्य के समस्त जनपदों के जिलाधिकारी/उपजिलाधिकारी को एक आवश्यक दिशा निर्देश देते हुए एडवाइजरी जारी कर ब्लाक स्तर से लेकर जनपद स्तर के क्षेत्र में सहयोग कर रहे मीडिया कर्मियों की सूची मँगाकर उन्हें तत्काल प्रभाव से पैकेज आदि की समुचित व्यवस्था उपलब्ध कराई जाये। क्योकि सरकार इस महामारी के बचाव हेतु करोड़ो खर्च कर रही हैं। तो उसका भागीदार एक मीडिया कर्मी भी है। जैसे मीडिया कर्मियों की गाड़ी का पेट्रोल + मेंटीनेंस,जीविका हेतु आर्थिक सहयोग आदि अगर आप मेरी बात से सहमत है तो अपने विवेक के मुताबिक एक टिप्पणी अवश्य करें ।
और एक्शन शुरू, पीएम सीएम को हुए ट्वीट

@PMOIndia माननीय प्रधानमंत्री जी मीडिया कर्मियों के लिए सरकारें कब विचार करेंगी, न बीमा कवर और न कोई आर्थिक मदद। विचार जरूर करें।@myogioffice @Dmpilibhit
— रामनरेश शर्मा (@9627719164) March 27, 2020
इस लिंक पर क्लिक कर रिट्वीट कर पीएम सीएम तक पहुंचाएं अपनी बात
https://twitter.com/sumitguptahindu/status/1243376296312180736?s=08
@narendramodi@nsitharaman@myogiadityanath@UPGovt@UPGovt
*पीएम साहब ! लॉक डाउन में बेरोजगार हो गए पत्रकार, न आर्थिक मदद और न ही बीमा दे रही सरकार* https://t.co/YJsozVsAei— सुमित गुप्ता (@sumitguptahindu) March 27, 2020
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