
कस्तूरी महोत्सव का चौथा दिन : साहित्य पर चर्चा, क्ले आर्ट, बेबी शो और कुकिंग व फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता
साहित्य के अनुरूप व्यक्तित्व भी हो-डाॅ.अखिलेश मिश्र
– समकालीन हिन्दी कथा साहित्य की चुनौतियां विषय पर हुई साहित्य संगोष्ठी
पीलीभीत : जिलाधिकारी डाॅ.अखिलेश मिश्र ने कहा है कि साहित्य हवा में है। साहित्यकार को अपनी रचनाधर्मिता में यर्थाथपरक बनाना होगा। जैसा साहित्य आप रचते है, उसके अनुरूप आपका व्यक्तित्व भी होना चाहिए। जिलाधिकारी ने कहा कि कहानीकार अपनी कहानी में पात्रों का चरित्र चित्रण करता है। कल्पना की पराकाष्ठा पर लेना चाहिए लेकिन उसका स्तर ऊंचा होना चाहिए।
जिलाधिकारी आज गांधी स्टेडियम प्रेक्षागृह में पीलीभीत महोत्सव कस्तूरी के अंतर्गत साहित्य संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थें। उन्होंने कहा कि साहित्य सेवा मानवीय सेवा होती है। इसलिए उसकी जीवंतता बनाये रखनी चाहिए। आपकी सकारात्मक सोच समाज में एक प्रभाव डालती है। जब आप सच्चाई के साथ लिखेंगे तो निश्चित तौर पर इसका व्यापक प्रभाव पडेंगा। उन्होंने साहित्य संगोष्ठी के संयोजक मंडल को इसके लिए बधाई दी तथा आशा की इस तरह के आयोजन निरंतर जारी रहेगे। आज यह छोटा प्रयास है, लेकिन इसका प्रभाव अच्छा हुआ है।
वक्ताओं ने समकालीन हिन्दी कथा साहित्य की चुनौतियां विषय पर आयोजित संगोष्ठी की अध्यक्षता शायर/जिला विकास अधिकारी योगेंद्र पाठक ने की। गोष्ठी का शुभारंभ जिला विकास अधिकारी योगेंद्र पाठक, जिला संयुक्त निबंधक राजेश कुमार सिंह ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया। विषय प्रर्वतन करते हुए जिला खाद्य विपणन अधिकारी/संगोष्ठी संयोजक डाॅ. अविनाश झा ने कहा कि साहित्य के लोकतांत्रिक स्वरूप पर खतरा मंडरा रहा है। सामाजिक समरसता साहित्य से इतर होती जा रही है। ग्रामीण परिवेश का साहित्य अब हाशिये पर जा रहा है। इसके साथ ही शहरी कथानक बढे है। ग्रामीण परिवेश पर रचना मात्र पांच प्रतिशत हो गई। साहित्य की खेमेबंदी, प्रकाशकों की गुटबंदी और तो और साहित्यकारों की गुटबंदी आज के समकालीन साहित्य की सबसे बडी चुनौती बनकर उभरी है।
विद्या मंदिर के प्रधानाचार्य सुभाष चंद्र सिसौदियां ने कहा कि साहित्य पर आज कुठाराघात हो रहा है। व्यक्तित्व के निर्माण साहित्य से ही होता है। साहित्य और भाषा सदैव चुनौतियों का सामना करती रही है। राजनीतिक, आर्थिक सामाजिक और मनोवैज्ञानिक चुनौतियां तो सदैव ही रही है। आज सबसे बडी चुनौती साहित्य पर राज्य सत्ता का दबाव है। डाॅ.कौशल किशोर ने कहा कि ग्रामीण पृष्ठ भूमि पर लिखा पढा नही ंजा रहा है। सोचने के विषय बदल गए है। ग्रामीण परिवेश से हम खुद कट गए है। आज पूर्णकालीक साहित्यकार नहीं बन रहे है।
उपाधि महाविद्यालय के प्रवक्ता डाॅ.अमित कुमार सक्सेना ने कहा कि हम आगे निकल गए है। लेकिन साहित्य पिछड गया है। उसके समय के साथ कदमताल नहीं कर सके। अभिव्यक्ति का खतरा पैदा हो गया है। आर्थिक अभाव में प्रकाशन संभव नहीं हो पा रहा है। साहित्य के व्यवसायिकरण से सबसे अधिक चुनौतियां पैदा हो गई है। उपाधि महाविद्यालय की संस्कृत प्रवक्ता डाॅ.राखी मिश्र ने कहा कि आज बाजारबाद एक खतरे के रूप में सामने आया है। आधुनिकतावाद हमें अपनी संस्कृति और साहित्य से काट रहा है। इसके कारण संस्कार और संस्कृति साहित्य से भी छूट रही है। यर्थाथवादी साहित्य की आवश्यकता है। यदि हम साहित्य की संभावनाएं तलाशे तो सकारात्मक प्रयास होगा। उपाधि महाविद्यालय के हिन्दी प्रवक्ता दिवाकर सिंह ने मुक्तिबोध की कविता से अपनी बात शुरू करते हुए कहा कि अमरकांत ने अपनी कहानी जिंदगी और जोक में एक वंचित समाज के बालक की पीडा को उजागर किया था। उदयप्रकाश और मन्नू भंडारी के कथा साहित्य की चर्चा करते हुए कहा कि महाभोज उपन्यास विकृतियों को उजागर कर दलित समाज की स्थिति को उजागर करता है। उपाधि महाविद्यालय के डाॅ.प्रणव शास्त्री ने कहाकि साहित्य में आज संवेदना का अभाव हो गया है। साहित्य संवेदना से दूर होता जा रहा है। जैसा लिखा वैसा दिखना भी चाहिए। यही आज की सबसे बडी चुनौती है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ अग्निहोत्री ने कहा कि आज सोशल मीडिया साहित्य के लिए एक चुनौती बनकर उभरा है। साहित्य आम आदमी की भाषा में हो तो वो लोकप्रिय होता है। उदाहरण देते हुए कहा तुलसी ने रामचरित मानस की रचना की लोकभाषा में। यह रचना कालजयी रचना बन गई।
कार्यक्रम अध्यक्ष योगेंद्र पाठक ने कहा कि संस्कार कम पढाये जा रहे है। कक्षा पांच में साहित्य समाज का दपर्ण होता है। निबंध लिखा था तब समझ नहीं थी लेकिन वास्तव में साहित्य समाज का दपर्ण होता है। साहित्य समाज को प्रभावित करता है। साहित्य में गिरावट आती जा रही है। स्वतंत्रता स्वच्छंदा मे ंपरिवर्तित हो रही है। प्रतिकार लिखते लिखते हम प्रतिशोध की तरफ बढ रहे है। शायर मुजीब साहित ने हिन्दी पर एक गीत पढा। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान से हुआ।
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क्ले माडलिंग में अनामिका और आलोक रहे प्रथम
पीलीभीत (एसएनबी)। कस्तूरी पीलीभीत महोत्सव के प्रांगण में आयोजित क्ले माॅडल प्रतियोगिता में जनपद के 12 विद्यालयों के बच्चों द्वारा अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया गया जो आज आकर्षण का केन्द्र रही।, बच्चों द्वारा विभिन्न विषयों पर बनाये गये माॅडल दर्शकों के आकर्षण का केन्द्र रही। सभी विद्यालय से 03-03 बच्चों ने प्रतियोगिता में भाग लिया।
प्रतियोगिता संयोजन सौरभ पाण्डे ने किया। जूनियर प्रतियोगिता में प्रथम स्थान अनामिका शर्मा स्वामी एजुकेशनल स्कूल से वाइल्ड लाइफ पर अपना माॅडल तैयार किया था। सीनियर वर्ग में प्रथम स्थान आलोक कुमार आर0एस0आर0डी0 सरस्वती विद्या मन्दिर को मिला जिसका विषय टाइगर रिजर्व पीलीभीत था। इसी प्रकार द्वितीय स्थान जूनियर में अमन दत्त तथा तृतीय समीखान को प्राप्त हुआ। सीनियर वर्ग में द्वितीय स्थान सुखजीत कौर तथा तृतीय स्थान इलमा जावेद को प्राप्त हुआ।
इस प्रतियोगिता में बेटी बचाओ बेटी पढाओं, सेव इनवायरमेंट एवं वाइल्ड लाइफ, बाल संरक्षण, महिला उत्पीडन, पर्यावरण प्रदूषण के मुद्दे उठाये गए थे। प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में पुलिस अधीक्षक मनोज सोनकर, अपर पुलिस अधीक्षक रोहित मिश्र, कुंवर आफताब सिंह संधू, प्रीति शुक्ला और गरिमा मिश्र शामिल थे। प्रतियोगिता में डाॅ.अखिलेश मिश्र, नगर मजिस्ट्रेट डाॅ.अर्चना द्विवेदी, राजेश सिंह, अविनाश झा, सौरभ दुबे, पवन कुमार, राजकुमार, योगेंद्र पाठक की उपस्थिति रही। संचालन नीलेश कटियार ने किया।
आज आयोजित कार्यक्रम महिला सशक्तिकरण के अन्तर्गत महिलाओं के सशक्तिकरण पर वक्ताओं द्वारा अपने अपने विचार व्यक्त किये गय, इस अवसर पर मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 सीमा अग्रवाल द्वारा महिलाओं को अपने अधिकारों प्रति जागरूक करने हेतु प्रेरित किया और बेटियों को प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ाने हेतु प्रेरित किया। कार्यक्रम में अपर मुख्य चिकित्साधिकारी व डिप्टी कलेक्टर हरिओम शर्मा द्वारा भी महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने पर अपने विचार व्यक्त किये। जादूगार कुलदीप वरार द्वारा जादू के माध्यम से लोगों को महिला सशक्तिकरण के प्रति जागरूक किया गया। जनपद के विभिन्न स्कूलों के बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये।
बेबी शो का भी आयोजन कस्तूरी महोत्सव में किया गया।
(साभार-अमिताभ अगिनहोत्री, वरिष्ठ पत्रकार)