जलियांवाला बाग : जहां आज भी दीवारों पर छपे हैं गोरों की क्रूरता के निशान, सैकड़ों निहत्थों को गोलियों से भून डाला था बुजदिल अंग्रेजों ने
अमृतसर। भारत पर शासन करने वाले अंग्रेज कितने क्रूर थे यह देखना हो तो पंजाब के अमृतसर जाकर जलियांवाला बाग में देखना चाहिए। यहां आज भी दीवारों और पेड़ों पर गोलियों
के निशान मौजूद हैं,इन्हें देखने देश भर से हजारों लोग प्रतिदिन आते हैं। इस ऐतिहासिक स्मारक के एक किनारे की दीवारें
आज भी गोलियों से छलनी नजर आती हैं। पेड़ो पर भी गोलियों के निशान हैं। इतिहास गवाह है यहां जनरल डायर ने
सभा करने के लिए एकत्र हुए निहत्थे महिला पुरुष व बच्चों पर गोलियां चलवा दीं थीं। घेर कर निहत्थे और निर्दोष लोगों को
मौत के घाट उतार दिया गया था। बचने के लिए कुछ लोग बाग में मौजूद कुएं में कूद गए थे कायर अंग्रेजों ने वहां भी नही
छोड़ा और सभी को मौत के घाट उतार दिया था। यह कुआँ भी स्मारक स्थल पर संरक्षित किया गया है। लोगों को बचाकर पर पंजाब केशरी लाला लजपतिराय को बुरी तरह पीटा गया था। जिससे उनकी मौत हो गई थी। स्मारक स्थल पर इस वीर शहीदों की याद में अमर ज्योति निरंतर जल रही है।
अजायबघर में फोटो आदि लगाकर शहीदों को श्रद्धांजलि देने का प्रयास किया गया है। कभी बाग रहे इस ऐतिहासिक स्थल
को पार्क का रूप दे दिया गया है। अंग्रेजों की कायरता देखकर लोगों खासकर युवाओं के मुँह से अनायास ही गालियां
निकलने लगतीं हैं। बाकी लोग भी गोरों को जरूर कोसते हैं। 03 जून को हमने भी कई लोगों के साथ जाकर इस पार्क का
भ्रमण किया, शहीदों को श्रद्धांजलि दी, रखरखाव बेहतर न होनर पर कुछ गुस्सा भी आया। आप भी कभी अमृतसर जाएं तो जलियांवाला बाग जाकर अंग्रेजों की कायरता आंखों से जरूर देखें।
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(सतीश मिश्र, संपादक, समाचार दर्शन 24 की कलम से)
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