♦इस खबर को आगे शेयर जरूर करें ♦

पीलीभीत जिले में 22 वर्ष से क्या कर रहे हैं डाक्टर राजेश, क्या यहीं पूरी करेंगे 5 साल की बची सेवा?

.… अजब गजब: नौकरी के शुरुआती 5 साल नैनीताल में और पूरी सर्विस पीलीभीत में

…आरोप : मरीजों को रेफर करके अस्पतालों से कमीशन पाते हैं, दवाइयों और जांचों में भी है मोटी आमदनी

(संपादक सतीश मिश्र ‘अचूक’ की कलम से)

पीलीभीत। अक्सर जनप्रतिनिधि 5 साल के लिए ही चुने जाते हैं ताकि बदलाव हो और निरंतर रहने के कारण वे निरंकुश न हो जाएं। उनकी तरह ही सरकारी सेवकों की तैनाती की समयावधि भी तय है। कुछ विभागों में तीन, कुछ में पांच और कुछ विभागों में 7 वर्ष तक एक जनपद में रह सकती है। इसके बाद उन्हें तबादले पर भेज दिया जाता है परंतु पीलीभीत जनपद में एक डॉक्टर साहब तो अपनी सर्विस एक ही जिले में पूरी कर चुके हैं। सुनकर अचंभा लगेगा परन्तु यह सच है कि वे यहां पिछले 22 वर्षों से तैनात हैं और उन्हें तबादले पर भेजने का साहस कोई भी माई का लाल नहीं कर पाया। इन डॉक्टर साहब का नाम है डॉक्टर राजेश कुमार।

यह निश्चेतक व कंसल्टेंट हैं और पीलीभीत में अपने जाब की शुरुआत चिकित्सा अधिकारी के पद से की थी। वर्तमान में मेडिकल कॉलेज से संबद्ध राजकीय महिला जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के पद पर तैनात हैं। भले ही यह अस्पताल महिलाओं का है परंतु डॉक्टर साहब पुरुष होने के बाद भी उसके सीएमएस बने हुए हैं। ना कोई कायदे और ना कोई कानून, जो डाक्टर साहब कह दें वही यहां का उसूल बन जाता है। 22 वर्ष से कोई सरकारी सेवक एक ही जिले में रहकर भला नेतागिरी नहीं करेगा, रैकेट नहीं चलाएगा तो और क्या करेगा? डॉक्टर साहब पर आरोप है कि वे मरीजों का इलाज करने के लिए अस्पताल में भर्ती नहीं करते और उन्हें भगा देते हैं। गत दिनों ऐसी ही एक महिला को भगाने के बाद महिला और उसके बच्चे की मौत हो गई और यह मामला मीडिया में सुर्खियों में रहा। 3 दिन महिला अस्पताल में मोटर खराब होने से पानी नहीं रहा, गर्भवती महिलाएं नालियों में व सड़क पर शाैच करके अपनी जिंदगी खतरे में डालती रहीं। किसी के कान पर जूं नहीं रेंगी। सुमित सक्सेना नाम के जिस साहसी पत्रकार ने यह पूरा मामला उठाया था, कवर किया था और स्थानीय प्रशासन व शासन तक को हिला दिया था, उस पत्रकार पर ही डॉक्टर राजेश ने लेवर रूम में घुसने का फर्जी मुकदमा दर्ज करवा दिया। अब विवाद डॉक्टर साहब की तैनाती व उनके गलत कार्यों पर भी उठ रहा है। पत्रकारों का आरोप है कि डॉक्टर साहब मरीजों को रेफर करने के नाम पर लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं। पीलीभीत ही नहीं बरेली के अस्पताल भी उन्हें मरीज रेफर करने पर मोटा कमीशन देते हैं। सरकारी चिकित्सालय में जांच न करवा कर बाहर से प्रसूताओं के अल्ट्रासाउंड व एक्स-रे कराकर मोटा कमीशन प्राप्त करते हैं और आरोप यह भी है कि बाहर की दवाई लिखकर मेडिकल स्टोर्स से भी कमीशन खाते हैं। तानाशाही इतनी कि सीएमएस ने पत्रकारों के महिला अस्पताल जाने पर भी रोक लगा दी है। कई पत्रकारों को तो गार्ड के द्वारा बाहर का रास्ता दिखवा दिया है।
पत्रकारों का आरोप है कि मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर राजेश कुमार पीलीभीत जिले में पिछले 22 वर्षों से तैनात हैं जो कर्मचारी आचार संहिता का खुला उलंघन है। इस मामले की शिकायत मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाक्टर आलोक शर्मा और बरेली मंडल की उप निदेशक स्वास्थ्य डाक्टर पुष्पा पंत से करते हुए डाक्टर राजेश को कोविड काल में शासन से हुई जांच में दोषी होना बताते हुए हटाने की मांग की गई है। एडी हेल्थ ने बताया कि नया डाटा भेजा गया है, उसके आधार पर डाक्टर राजेश व अधिक समय से कार्यरत अन्य सभी का तबादला होना तय है। 22 साल से क्यों तैनात हैं इसका अधिकारियों पर फिलहाल कोई जबाव नहीं है।

डाक्टर साहब को नैनीताल से ज्यादा पसंद है पीलीभीत


डाक्टर राजेश कुमार मूल रूप से हरदोई जिले के निवासी हैं और 27 अप्रैल 1995 से उन्होंने स्वास्थ्य विभाग में सेवा शुरू की। 27 अप्रैल 1997 को उनकी सेवा कंफर्म हुई। उनकी नियुक्ति 10 अप्रैल 1995 को हुई थी। पहली पोस्टिंग उन्हें उत्तराखंड के खूबसूरत हिल स्टेशन नैनीताल में 27 अप्रैल 1995 को चिकत्सा अधिकारी के रूप में एक पीएचसी में मिली और 25 अक्टूबर 2002 तक वहां की सुंदर वादियों में सेवाएं दीं। उसके बाद 28 अक्टूबर 2002 को पीलीभीत में ज्वाइन किया और तब से अंगद की पैर की भांति यहीं जमे हुए हैं। सीनियर मेडिकल अफसर, निश्चेतक और कंसल्टेंट के पड़ाव पार करते हुए मौजूदा समय में जिला महिला चिकित्सालय के सीएमएस पद की शोभा बढ़ाते हुए चर्चा में बने हुए हैं। लोगों का कहना है कि डाक्टर साहब को नैनीताल से अधिक पीलीभीत पसंद है। शायद इसीलिए उन्होंने तबादला नहीं लिया और जुगाड़ भिड़ाकर यहीं जमे हुए हैं। डाक्टर साहब की जन्मतिथि 9 जुलाई 1964 है यानी इसी वर्ष 9 जुलाई को वे 60 वर्ष की आयु पूरी करने जा रहे हैं। हालांकि चिकित्सकों का सेवाकाल 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष कर दिया गया है इसलिए डाक्टर राजेश शायद पीलीभीत में अभी 5 वर्ष और रहकर अपनी सेवा यहीं पूरी करना चाहते हैं। इसे उनका पीलीभीत से लगाव या समर्पण भी कहा जा सकता है, अथवा यह भी माना जा सकता है कि यहां की मोटी आमदनी उन्हें यहां से जाने नहीं देती।

कोविड काल में वेंटिलेटर न चलाने पर शासन से मिली थी निंदा प्रविष्टि

पहचान लीजिए यह वही डॉक्टर राजेश हैं जो कोविडकाल में भी पीलीभीत में ही तैनात थे और कोविड के नोडल अधिकारी भी थे। सरकारी धन से पीलीभीत में वंटीलेटर तो खरीदे गए लेकिन उन्हें चलाया नहीं गया और ताले में धूल खाने दिया। उधर लोग कोविड से मरते रहे। इस पर जब मीडिया में बवाल मचा तो शासन स्तर से जांच बैठी और डॉक्टर राजेश दोषी पाए गए और शासन ने उन्हें निंदा प्रविष्टि देकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली। उस समय भी डॉक्टर राजेश को यहां से हटाने की आवश्यकता नहीं समझी गई। शायद शासन को भी लग रहा है कि उनको पीलीभीत में सेवाएं देने के लिए ही विभाग में नौकरी दी गई है। स्थानीय अधिकारी व जनप्रतिनिधि शायद डॉक्टर राजेश की सेवाओं से काफी खुश हैं और इसी का पारितोष उन्हें जिले में निरंतर 22 वर्ष की सेवा के रूप में मिल रहा है।

जिसे मिलना चाहिए सम्मान उस पत्रकार पर मुकदमा

स्वास्थ्य विभाग की पोल खोलकर पत्रकार सुमित सक्सेना ने आईना दिखाने का काम किया है। स्वास्थ्य विभाग, जिला प्रशासन व पत्रकार संगठनों को सुमित को सम्मानित करना चाहिए था परंतु प्रोत्साहन की बजाय सरकारी कार्य में बाधा डालने की झूठी रिपोर्ट उनके खिलाफ दर्ज कराई गई। जो निंदनीय है। सुमित के खिलाफ रिपोर्ट को लेकर जिले के पत्रकार, अधिवक्ता, व्यापारी, ईमानदार अधिकारी व आमजनता खड़ी है। सोमवार को प्रेस क्लब डीएम व एसपी को ज्ञापन देकर केस खत्म करने की मांग करेगी। आज जिलाधिकारी संजय कुमार सिंह से मिलकर पत्रकारों ने इस मामले पर रोष जताया और कड़ी निंदा की।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें




स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे


जवाब जरूर दे 

क्या भविष्य में ऑनलाइन वोटिंग बेहतर विकल्प हो?

View Results

Loading ... Loading ...

Related Articles

Close
Close
Website Design By Mytesta.com +91 8809666000