योगी जी की गजल : रूबरू खुद से होना है गर आप को धूप में चल के बारिश में भीगो कभी

वक्त के साथ भी वक्त के बाद भी
तुम मिलो जानेमन जिंदगी हो कभी।

थोड़ी फुर्सत मिले पास बैठो सही
फासले दरमियाँ कम करें तो अभी
कैसे बीतेगा कल किसको है ये पता
ये न सोचो सुनो उम्र है ये बड़ी
तुम मिलो जानेमन …..

ख़्वाब झूठे सही एक दिलासा तो हैं
थक रहे पांव की एक आशा तो हैं
बेसबब रास्ता तन्हा हो न कहीं
लो अहद संग चलने का मेरे अभी
तुम मिलो जानेमन …..

जिंदगी के सभी रंग जी भर जियो
मुस्कुराते हुए हर गरल को पियो
रूठना हद से ज्यादा कहाँ ठीक है
पास बैठो जरा तुम घड़ी दो घड़ी।
तुम मिलो जानेमन…

हर खुशी गम का अपना अलग है मजा
अपने दुख को कभी यूं न करना बड़ा।
रूबरू खुद से होना है गर आप को
धूप में चल के बारिश में भीगो कभी।
तुम मिलो जानेमन…

योगेंद्र योगी जी

योगेंन्द्र पाठक “योगी”
जिला विकास अधिकारी, पीलीभीत

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