पीलीभीत की निशा अग्रवाल ने संस्कृत परीक्षा में किया यूपी टॉप, सरकार निशा के नाम बनवाएगी 8 किमी पक्का रोड

पीलीभीत। कहते है कि हौसला हो तो कोई भी कठिन कार्य आसान हो जाता है। किसी ने उम्मीद नहीं की थी कि साधारण सी ट्यूशन पढाकर अपनी पढाई करने वाली लडकी यूपी में संस्कृत परीक्षाओं में टाॅप करेगी। हां इस हौसले के नाम है निशा अग्रवाल। तमाम परेशानियां पर्वत से बनकर आगे खडी रही लेकिन उसने अपने उत्साह को कम नहीं होने दिया। परिणाम यह है जहां उसने उप्र में प्रथम स्थान प्राप्त किया, वहीं राज्य सरकार ने इस मेधावी छात्रा के नाम से आठ किलोमीटर मार्ग का नाम रखने का निर्णय लिया है। शीघ्र ही मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ लखनऊ में आयोजित एक समारोह में उसका अभिनंदन करेंगे।
शहर के मोहल्ला साहूकारा के निवासी स्व.बैजनाथ अग्रवाल एवं शांति अग्रवाल की पुत्री निशा ने बागपत के दादू बलराम संस्कृत महाविद्यालय से उप्र संस्कृत शिक्षा परिषद की उत्तर मध्यमा परीक्षा 93.16 प्रतिशत अंक प्राप्त कर प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त किया। बागपत के जिलाधिकारी ने उसको सम्मानित किया। निशा अग्रवाल का परिवार आर्थिक समस्याओं से जूझ रहा था। लेकिन उसने अपनी पढाई जारी रखने का निर्णय लिया। इसके लिए उसने ट्यूशन पढाना शुरू किया। इसके नेचुरोपैथी और फिजियोथैरेपी का इलाज आरंभ किया। परीक्षा के समय स्वास्थ्य खराब हो गया लेकिन अपनी जिद जारी रखी और परीक्षा दी। परिणाम निकला तो उसके पास मीडिया के फोन घनघनाने लगे कि उसने उप्र में टाॅप किया है। उप्र में 93.16 प्रतिशत अंक प्राप्त कर प्रथम स्थान प्राप्त किया। उसने 600 में से 559 अंक प्राप्त किये। निशा ने पीलीभीत और अपने संस्कृत महाविद्यालय का नाम पूरे प्रदेश में कर दिया। अगर उसे सहायता की जाए तो वह निश्चित तौर पर एक मुकाम तक पहुंच सकती है।
निशा ने जब प्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त किया तो उसके महाविद्यालय के प्राचार्य, जिला विद्यालय निरीक्षक बागपत ने स्मृति चिन्ह और उपहार देकर सम्मानित किया। जब यह बात बागपत के जिलाधिकारी पवन कुमार के पास पहुंची तो उन्होंने भी स्मृति चिन्ह, सम्मान पत्र और गोल्ड मैडल पहनाकर निशा को सम्मानित किया। इस उपलब्धि पर राज्य सरकार ने टाॅपर निशा अग्रवाल के नाम पर आठ किलोमीटर मार्ग बनाने और उस पर निशा अग्रवाल के नाम के बोर्ड लगाने के आदेश दिये हैं। निशा अपनी सफलता के बारे में कहती है कि अगर अंदर किसी काम करने की इच्छा शक्ति हो तो कठिन से कठिन कार्य भी कर सकते है। पीलीभीत को भी अपनी बेटी पर गर्व है। अभी पीलीभीत में किसी ने उसे सम्मानित करने की योजना नहीं बनाई है। यदि उसको सम्मानित कर सहयोग किया जाए तो निशा आगे भी पढाई जारी रख सकती है।

रिपोर्ट-अमिताभ अग्निहोत्री

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