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पर्यटन : जेब में न हो धेला फिर भी देखो नए साल का मेला

पूरनपुर: पीलीभीत टाइगर रिजर्व घूमने वाले उन पर्यटकों के लिए अच्छी खबर है जो चूका और जंगल सफारी की मोटी फीस भरने में असमर्थ हैं। ऐसे पर्यटक बिना जेब ढीली किये ही टाइगर रिजर्व के महत्वपूर्ण स्थानों को आसानी से देख सकते हैं। कुछ स्थानों पर सुविधाओं को बढ़ाकर पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है। टाइगर रिजर्व का चूका स्पॉट आफ सीजन में बंद रहने पर आकर्षक स्थानों की कमी की वजह से पर्यटक की संख्या नगण्य रह जाती है, इसकी भरपाई भी सम्भव होगी।
प्रदेश के जनपद पीलीभीत जहां अन्न उत्पादन में काफी अग्रणी है वहीं भौगोलिक रूप से महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ प्राकृतिक वन संपदा से भरपूर होने के कारण विश्व मानचित्र में अपनी पहचान बना चुका है। पीलीभीत में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक दशक पूर्व महोफ रेंज में शारदा सागर जलाशय के निकट वाले चूका को पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित किया गया था। इसके विकसित होते ही पर्यटकों की संख्या में इजाफा हो रहा है। इसके अतिरिक्त बराही रेंज में भी पिछले वर्ष सप्त सरोवर को विकसित किया गया था। पीलीभीत टाइगर रिजर्व क्षेत्र के इन पर्यटन स्थलों पर घूमने का लाभ वर्षा काल में बंद हो जाता है। वन विभाग 15 जून से 15 नवंबर तक रोक लगा देता है। मानसून सीजन समाप्त होने के बाद ही पर्यटक सैर सपाटे पर आने लगते हैं। गौरतलब है कि माधोटांडा क्षेत्र में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए कुछ अन्य महत्वपूर्ण स्थान भी हैं। जिनको विकसित करके पूरे वर्ष पर्यटकों को सैर-सपाटे का अवसर प्राप्त हो सकता है। इनमें नहरों के जक्शन बाइफरकेशन, शारदा सागर डैम तथा गोमती उद्गम फुलहर झील आदि प्रमुख स्थान हैं।

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बाइफरकेशन

ब्रिटिश शासनकाल में प्रदेश में सिंचाई सुविधाओं को बढ़ाने के लिए उत्तराखंड के बनबसा में शारदा नदी पर विशाल बैराज बनाकर वहां से मुख्य शारदा नहर निकाली गई थी। लोहिया हेड में इस नहर के जल का उपयोग पनबिजली का उत्पादन किए जाने के बाद प्रदेश के कई जिलो में सिंचाई की जाती है। इस नहर से बाइफरकेशन मे वर्ष 1925 में मुख्य नहर से हरदोई ब्रांच एवं खीरी ब्रांच नहर बनाई गई थी। शारदा सागर डैम को भरने के लिए बनी फीडर से जल आपूर्ति की जाती है। बाइफरकेशन में नहरों में पानी छोड़ने बंद करने हेतु रेगुलेटर बने हैं। वही सिचाई विभाग का एक निरीक्षण भवन बना है। बाइफरकेशन में हेड के अपस्ट्रीम ने मोटर बोट, पैडल बोट की सुविधाएं बढ़ाकर पर्यटकों को पूरे साल सैर-सपाटे का अवसर दिया जा सकता है। गेस्ट हाउस की बुकिंग से सरकार की आय में भी इजाफा होगा। यहां की सुंदरता के सभी कायल हो जाते हैं।

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शारदा सागर डैम

पड़ोसी देश नेपाल सीमा से सटे हुए क्षेत्र में देश की प्रथम पंचवर्षीय योजना में बाइफरकेशन से 4 किलोमीटर उत्तर दिशा में एशिया का सबसे बड़ा कच्चा डैम बनाया गया था। इस डैम की मुख्य बाडी केवल मिट्टी से बनाई गई थी। यह डैम 22.2 किलोमीटर लंबा तथा कई किलोमीटर चौराहा है। डैम के नगरिया कट पर एसएसबी ने वाटर स्पोर्ट्स सेंटर खोला है। यहां पर एसएसबी जवानों को ट्रेनिंग दी जाती है। शारदा सागर डैम में भी पर्यटकों को स्विमिंग वोटिंग की सुविधाएं बढ़ा कर नैनीताल की झील की तरह पूरे वर्ष सुविधा प्रदान की जा सकती है। जलाशय में साइवेरिया सहित कई देशों से प्रवास पर आने वाले पछी मनमुग्ध कर देते हैं।

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गोमती उद्गम तीर्थ

कलीनगर तहसील के माधोटांंडा कस्बे के गोमती उद्गम स्थल पर पिछले वर्ष जन सहयोग से काफी आकर्षक बनाया गया है। उद्गम स्थल से जिले की सीमा तक श्रमदान व मनरेगा के अंतर्गत नाला की खुदाई भी हो चुकी है। यहां पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए नियमित जलापूर्ति के साथ वोटिंग, स्विमिंग सुविधा बढ़ाने से पर्यटकों की संख्या बढ़ाई जा सकती है। माधोटांडा में लोक निर्माण विभाग के गेस्ट हाउस में सुविधाए बढ़ाने से बाहरी पर्यटकों को रात्रि विश्राम की सुविधा प्राप्त होगी वही राजस्व में भी वृद्धि होगी। जिलाधिकारी डॉ अखिलेश कुमार मिश्रा ने इस बार जंगल की सैर पर आने वाले पर्यटकों को उद्गम तीर्थ घुमाने को भी कहा है। घाटमपुर के त्रवेणी घाट और जंगल में स्थित इकोत्तरनाथ घाट को सुंदर बनाकर पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है।

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सात झाल व सेल्हा बाबा की मजार

माधोटांडा से उत्तर हरदोई ब्रांच नहर से एसएसबी कैंप होकर सेल्हा बाबा की मजार पर आसानी से पहुंचा जा सकता है। जंगल के बीचो-बीच बनी इस मजार पर पहुंचने वाले की जहां मनोकामना पूरी होती है वही यहां का वातावरण पर्यटक को अपनी ओर आकर्षित करता है। मनोकामना पूरी होने पर श्रद्धालु यहां मुर्गा चढ़ाते हैं। सेल्हा मजार से ही दक्षिण तरफ जंगल से होकर मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर ब्रिटिश काल में बनाई गई सप्त सरोवर झील का भी आनंद ले सकते हैं। यहां की 7 झालो की छटा देखते ही लोग आश्चर्यचकित रह जाते हैं। सात झील के पास में ही बसे बंगाली कॉलोनी के लोगों का व्यवहार यहां आने वाले पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है।

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और भी कई हैं दर्शनीय स्थल

कलीनगर तहसील क्षेत्र के गांव शाहगढ़ में राजा बेणु का किला, माला जंगल में सिद्ध बाबा का मंदिर, मुस्तफाबाद गेस्ट हाउस, बराही जंगल में गेस्ट हाउस, माती माफ़ी में मां गूंगा देवी का मंदिर, पूरनपुर तहसील क्षेत्र के सिरसा जंगल में इकोहत्तर नाथ शिव जी का मंदिर, हजरत मस्तान शाह मिया दरगाह, महादेव में शिव जी का मंदिर सहित दर्जनों दर्शनीय धार्मिक स्थल हैं।

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रिपोर्ट-शैलेंद्र शर्मा व्यस्त
31 दिसंबर 6:20 AM

नहरों का जक्शन बाइफ़रकेशन एवम् सप्त सरोवर

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