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पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है उत्तर प्रदेश का हस्तशिल्प, पीलीभीत में बांसुरी बनी हस्तशिल्प की पहचान

पीलीभीत। पर्यटन के बहुआयामी आर्कषणों से समृद्ध उत्तर प्रदेश में प्रतिवर्ष उल्लेखनीय संख्या में पर्यटक आते हैं और इस संख्या में निरन्तर वृद्धि हो रही है। प्रदेश में पर्यटन के विविध आयामों का विकास सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में है। केन्द्र सरकार भी उ0प्र0 में पर्यटन को बढ़ावा देकर इसे आर्थिक सुदृढ़ता के आधार के रूप में विकसित कर रही है।
परम्परागत पर्यटन के अतिरिक्त प्रदेश में वैकल्पिक पर्यटन जैसे- साहसिक पर्यटन, सांस्कृतिक पर्यटन, स्वास्थ्य पर्यटन, खेल पर्यटन, ग्रामीण पर्यटन जैसे विकल्पों पर भी कार्ययोजनाएं चल रही हैं, जिससे देशी-विदेशी पर्यटकों को उनकी पर्यटन अवधि में विविधता और विस्तार मिले, वे अपना पर्यटन अधिक से अधिक उपयोगी और आनन्ददायी महसूस कर सकें। इसी क्रम में प्रदेश का हस्तशिल्प अत्यन्त लुभावना आकर्षण हैं, जो यहां की विरासतों का अवलोकन करने वाले पर्यटकों को कालातीत से संजोयी हुई शिल्पकारी, दस्तकारी से सहज ही जोड़ देता है।

उत्तर प्रदेश अपनी समृद्ध ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासतों के साथ-साथ यहां के परम्परागत हस्तशिल्प उत्पादों, कारीगरी और दस्तकारी के लिए विश्व प्रसिद्ध है। प्रदेश में विरासतों के अवलोकन के बाद पर्यटकों का सबसे ज्यादा ध्यान स्थानीय उत्पादों पर ही केन्द्रित होता है। प्रदेश में मिट्टी से लेकर सोने तक हर चीज के विशेष कारीगर हैं। लखनऊ की गली-गली में चिकनकारी, जरदोजी, भदोही में कालीन और वाराणसी का मशहूर सिल्क जैसे उत्पाद विश्वस्तर पर पर्यटकों को यहां खींच लाते हैं। प्रदेश सरकार कारीगरी को बढावा देने के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रही है और उत्पादन बढाने के लिए ऋण की सुविधा भी उपलब्ध करा रही है।
प्रदेश में कारीगरी और शिल्प को बढावा देने के लिए विविध प्रदर्शनियों का आयोजन भी किया जाता है। गत वर्ष पर्यटन विभाग द्वारा प्रसिद्ध फिल्मकार मुजफ्फर अली द्वारा सम्पादित पुस्तक ‘‘दास्तान-ए-दस्तकारीः लिजेण्ड आॅफ क्राफ्ट‘‘ पर आधारित पुस्तक का विमोचन भी किया गया। प्रदेश की दस्तकारी को शब्दों और चित्रों में समेटे यह पुस्तक पर्यटकों को पर्यटन की विविधता से जोड़ती है। फिल्मकार मुजफ्फर अली ने वाराणसी और लखनऊ की दस्तकारी, यहां की जरदोजी और सिल्क- साड़ियों के उत्पादन पर एक बेहद आकर्षक लघु फिल्म का चित्रांकन भी प्रस्तुत किया है।
पूरे भारत का लगभग 60 प्रतिशत हस्तशिल्प निर्यात उ0प्र0 से होता है। विश्व में यहां की कारीगरी एक विशेष स्थान रखती है। प्रदेश में आये पर्यटकों को यहां की विविधतापूर्ण संस्कृति, सांस्कृतिक विरासतों, विश्व प्रसिद्ध तीर्थों जैसी विविधताओं के साथ-साथ यहां की अनूठी दस्तकारी- शिल्प को भी बड़ा आकर्षण बनाकर इसे प्रदेश वासियों के आर्थिक उत्थान से भी जोड़ा जा रहा है। हमारे देश के प्रधानमंत्री जी भारत की विशिष्टताओं को विश्व स्तर तक ले जा रहे हैं। इस दिशा में प्रदेश का शिल्प और दस्तकारी अद्वितीय है। जो सभी पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है।

पीलीभीत में बांसुरी बनी हस्तशिल्प की पहचान

पीलीभीत में बांसुरी ऐसा ही उत्पाद है जिसे एक जिला एक उत्पाद योजना में चयनित किया गया है। चूका पिकनिक स्पॉट में बांसुरी बिक्री का स्टाल भी शुरू किया गया है ताकि पर्यटक इसे जान सकें। कवि/पत्रकार सतीश मिश्र की पीलीभीत जनपद को लेकर लिखी कविता में बांसुरी का महत्व समझाया गया है। देखिये वो लाइनें-

कृष्ण कन्हैया की मुरली की तान यहां मधुराई।

“एक जिला उत्पाद एक” में, “बंसी” खूब बजाई।।

सुनकर गोपी मोहित होतीं, बहुत पुरानी रीत है।

प्राणवायु की खान जहां, वह अपना पीलीभीत है।

 

-(सूचना विभाग द्वारा जारी)

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