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पूरनपुर के लाल का धमाल, राज्यपाल ने दिया 2017 का तुलसी पुरस्कार

लखनऊ : उ.प्र.हिन्दी संस्थान,लखनऊ के ४२ वें स्थापना दिवस के अवसर पर उ.प्र. के महामहिम राज्यपाल श्री राम नाईक ने पूरनपुर (पीलीभीत) के गौरव वरिष्ठ साहित्यकार आचार्य देवेन्द्र देव सहित अनेक साहित्यकारों को नामित पुरस्कार और सर्जना सम्मानों से अलंकृत किया। आचार्य देव को,उनके द्वारा रचित हिन्दी विश्व में सर्वाधिक,पन्द्रह महाकाव्यों में से एक ‘राष्ट्रपुत्र यशवन्त’ ,जिसमें वर्ष 1962 के भारत-चीन-युद्ध के अमर बलिदानी बाबा जसवन्तसिंह के विलक्षण शौर्य को अमरता से रेखांकित किया गया है, पर ‘तुलसी पुरस्कार’ स्वरूप प

आचार्य देवेन्द्र देव को सम्मानित करते उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रामनाइक
चहत्तर हज़ार की मान-राशि और प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया।
कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण मुख्म अभ्यागत राज्यपाल श्री रामनाईक,संस्थान के कार्याध्यक्ष प्रो.सदानन्द गुप्त,निदेशक शिशिर सहित मंचस्थ अभ्यागतों द्वारा देवपूजन,सामूहिक राष्ट्रगान और शारद-वन्दन के बाद कार्याध्यक्ष ने राज्यपाल व आगन्तुक सम्मान्य सारस्वत विभूतियों, उनके साथ आये परिजनों का स्वागत करते हुए संस्थान की बयालिस वर्षीय गतिविधियों पर प्रकाश डाला।
तत्पश्चात् संचालिका डा. अमिता दुबे ने सबसे पहले सोपान पर अपने महाकवि आचार्य देवेन्द्र देव की पैंतालीस वर्षीय साहित्यिक सेवा-साधना और पन्द्रह महाकाव्यों के सृजन के गौरव का परिचय दिया, जिस पर महामहिम ने विशेष आत्मीय भाव प्रदर्शित करते हुए शाल ओढ़ाकर ‘तुलसी पुरस्कार’ स्वरूप मान-राशि सहित प्रशस्ति-पत्र भेंट किया। इसके बाद अन्य 33 साहित्यकारों को उनकी विविध विषयों पर रचित पुस्तकों पर नामित पुरस्कार और 33 को सर्जना सम्मान प्रदान किये गये।
राज्यपाल ने साहित्य और उसकों सर्जकों के प्रति विशेष भाव-श्रद्धा व्यक्त करते हुए उनके सामाजिक गौरव पर प्रकाश डाला और स्वयं को भी भी ‘एक्सीडेन्डल राइटर’ के रूप में प्रस्तुत किया। उनके सहज, सात्विक उद्बोधन का यशपाल सभागार कई बार तालियों की गड़गड़ाहट ने अभिनन्दन किया। अन्त में, निदेशक के आभार प्रकाशन और राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम समारोपित हुआ।

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