भाकियू नेता मंजीत सिंह ने गिनाए साठा धान लगाने के नुकसान

सरदार मंजीत सिंह एक प्रगतिशील किसान, सामाजिक कार्यकर्ता और भारतीय किसान यूनियन के जिला उपाध्यक्ष हैं। उन्होंने साठा धान के नुकसान बताए। 

साठा धान लगाने के नुकसान

1- भूगर्भ जल का अत्याधिक दोहन
2-अत्याधिक रासायनिक खादो व कीटनाशकों के उपयोग से जमीन की उर्वरा शक्ति शीण तथा बंजर होने का भय
3-धान की मेन(मुख्य फसल) में दुगनी रफ़्तार से कीट पतंगो का हमला जिससे किसान हाई पावर के कीटनाशकों का उपयोग करते हैं जिससे खाद्यान्न जहरीला हो जाता है।
4-अगली फसल बोने की जल्द बाज़ी में किसान फसलों के अवशेषों में आग लगा देते हैं।जिससे प्रदूषण फैलता है।तथा साथ क ई बार किसानों की हजारों एकड़ फसल आग के भेंट चढ़ जाती है तथा गरीब किसानों के आगे जानवरों के चारे की समस्या पैदा हो जाती है।
5- साठा धान एक अवैध फसल है जो कि मार्च से लेकर म ई तक इसकी रोपाई होती है उन दिनों में बरसात की कोई सम्भावना नहीं होती जिससे भूगर्भ जल का अत्याधिक दोहन करके धरती की कोख खाली की जाती है जो कि आने वाले दिनों में जल का गम्भीर संकट उत्पन्न हो जायेगा।
6-इस अवैध फसल की कोई सरकारी खरीद नहीं होती न ही अनुदान पर बीज-खाद आदि मिलते हैं।राइसमिलर इस धान को औने-पौने दामों पर खरीदते हैं।जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।यानी कि यह एक अवैध फसल है।
7-इस फसल को जल्द बोने की होड़ में किसान गेहूँ -धान दोनों ही फसलों को पकने से पहले ही कच्चा कटवा लेते हैं जिससे उन्हें समर्थन मूल्य का लाभ नहीं मिल पाता इस अवैध फसल बोने की होड़ में किसान कर्ज में डूबता जा रहा है।
8-साठा धान पर्यावरण का भी भारी दुश्मन है।इस पर प्रतिबंध लगना बहुत आवश्यक है।
9- भारतीय किसान यूनियन इस धान पर प्रतिबंध लगाने की मांग पिछले क ई वर्षो से कर रही है

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