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प्रभु राम के वन जाते ही मूर्छित हुए राजा दशरथ, त्याग दिए प्राण

बिलसंडा। घनश्यामपुर गांव में चल रही रामकथा में आज कथावाचक पंडित राजेश शुक्ल पंकज ने राम वन गमन की पावन कथा का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि भगवान राम को वनवास होने से राजा दशरथ इतना अधिक हताश हो गए कि वे मूर्छित होकर गिर पड़े। उन्हें होश में लाने के लिए काफी वैध पहुंचे। लेकिन उनकी आत्मा तो जैसे प्रभु राम में ही बसी थी। अंततः दशरथ ने प्रभु राम के वियोग में अपने प्राण त्याग

दिए। उन्होंने बताया कि किस तरह प्रभु राम के वन जाने से अयोध्या की प्रजा कितना अधिक व्याकुल थी कि हर कोई उनके साथ जाने को आतुर था। प्रजा उनके रथ के पीछे पीछे ही चल पड़ी। प्रभु राम सब को समझा-बुझाकर घर वापस

जाने को कहते हैं लेकिन कोई जाने को तैयार ही नहीं होता। कार्यक्रम में दिलीप मिश्रा, विद्याराम मिश्रा, प्रदीप मिश्रा, साविन्दर सिंह, रजनीश मिश्रा उर्फ कल्लू, अंकित, सतेंद्र, रजत मिश्रा एव समस्त ग्रामवासी  शामिल हो रहे हैं।  आइए आपको भी सुनवाते हैं पंडित राजेश शुक्ल पंकज की राम कथा-

यह है कथा का समय

दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक
रात्रि में शाम 7 बजे से रात्रि 10 तक

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