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शरीयत के दायरे में मनाए मोहर्रम-मुफ्ती साजिद हसनी

बरेली /ख्वाजा इमाम इस्लामिक ट्रस्ट के जेरे अहतमाम मुफ्ती साजिद हसनी कादरी के आवास खुशबू इन्क्लेब में एक  कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। जिसकी सरपस्ती मुफ्ती नूर मो0 हसनी ने की जबकि मुख्य अतिथि इस्लामिक स्कालर मुफ्ती साजिद हसनी कादरी ने अध्यक्षता की । कुरान की तिलाबत से शुभारंभ हुआ।

बोलते हुए इस्लामिक स्कालर मुफ्ती साजिद हसनी कादरी ने कहा कि मोहर्रम अजमत व फजीलत बरकतों का महीना है। यह पहला इस्लामी महीना है इस माह में नवासए रसूल हजरत इमामे हुसैन ने करबला में कुर्बानी देकर शहादत का दर्जा पाया और इस्लाम के परचम को बुलन्द किया। इस महीने की 10 तारीख को इस्लाम को बचाते हुए (करबला के मैदान) में बातिल यजीद से लड़ते हुए अपनी जान कुर्बान कर दी और दुनिया को यह पैगाम दे दिया कि कभी भी बातिल के आगे सर नहीं झुकाना चाहिए। उन्होंने बताया कि ‘‘हुजूरे पाक मोहम्मद‘‘ अलैहिस्सलाम‘‘ के दोनों नवासे हजरत इमामे हुसैन 5 पांच शाबान चार हिजरी में और इमामे हसन 15 रमजान माह तीन हिजरी में पैदा हुए। आपका नाम इमामे हुसैन आप के नाना जान ने रखा। मुफ्ती साजिद हसनी ने कहा कि मोहम्मद अलैहिस्सलाम ने फरमाया कि इमामे हुसैन और इमामे हसन जन्नती जवानों के सरदार हैं। मुफ्ती साजिद हसनी ने कहा कि मोहर्रम के महीने में मुसलमानों को तमाम गैर शरई कामों से बचना चाहिए और फिजूल खर्च से परहेज़ करें । शहीदे आज़म हज़रत इमामे हुसैन ने करबला में सब्र व इंसानियत का पैमागाम दिया। मुफ्ती नूर मो0 हसनी ने माहे मोहर्रम की अजमत व फजीजल पर रोशनी डालते हुए कहा कि हजरत इमामे हुसैन ने तपती हुई करबला की सर जमीन पर अपने 72 जाबाज साथियों सहित इस्लाम को बचाते हुए अपने पूरे खानदान को इस्लाम की खातिर कुर्बान कर दिया। इमामे हुसैन ने अपनी कुर्बानी देकर शहादत का दर्जा पाया लेकिन इस्लाम को बचा लिया ।उन्होंने मुसलमानों से अपील की वे घर-घर हजरत इमामे हुसैन के नाम से महफिले सजाकर फातिहा दिलवायें। मुफ्ती साजद हसनी ने कहा कि जो भी सच्चाई के रास्ते पर चलेगा कुरान व अहले बैत का दामन थामेगा वह कभी गुमराह नहीं होगा। उन्होंने कहा कि करबला में जंग के दौरान हजरत इमामे हुसैन ने अपनी जान कुर्बान कर दी मगर नमाज नहीं छोड़ी। इसलिए हमें चाहिए कि कैसा भी वक्त हो मगर नमाज की पाबंदी जरूरी है। नमाज पढ़ना फर्ज है, इमामे हुसैन ने मुसलमानों को शहीद होते-होते यह पैगाम दे दिया कि कैसा भी वक्त हो मगर नमाज जरूर पढ़ो, क्योंकि यह फर्ज है। आखिर में मुफ्ती साजिद हसनी ने कहा कि इस माह में फिजूल खर्ची की बजाए गरीबों व यतीमों की मदद करें
उन्होंने कहा कि माहे मोहर्रम को शरियत के दायरे में मनाएं।
मुफ्ती साजिद हसनी ने मुल्क के अमन व अमान की दुआ मांगी।

यह लोग रहे मौजूद

मौलाना सबीहुल हसन सकाफी, मौलाना अब्दुल कादिर खा बरकाती, मोहतशिम मलिक, अशरफ मलिक, मौलाना जीशान, मजहर जावेद, कैफी अहमद, फिरोज अहमद , एडवोकेट मुजम्मिल रजा खान, इक्तदार अन्सारी, इमरान अन्सारी इमामी डॉ युसुफ अजहर जावेद अन्सारी आदि लोग मौजूद रहे।

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