
दुर्घटना के शिकार पत्रकार सुधीर दीक्षित पर मुकदमा लिखकर पुलिस प्रशासन ने किया था अत्याचार, अब प्रेस काउंसिल ने सुनवाही के लिए केस किया स्वीकार
सुधीर दीक्षित के उत्पीड़न के मामले में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया में मुकदमा
0एक माह से बिस्तर पर लेटे पत्रकार पर डीएम के आदेश से दर्ज हुआ था फर्जी मुकदमा
प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया से प्रतिवादियों को नोटिस जारी करने की तैयारी
यूपी के चीफ सेक्रेट्री, डीजीपी, होम सेक्रेट्री व पीलीभीत के डीएम-एसपी होंगे तलब

पीलीभीत। डीएम के आदेश से एक माह से बिस्तर पर पड़े जीवन से संघर्ष कर रहे पत्रकार सुधीर दीक्षित पर फर्जी मुकदमा लिखे जाने के मामले को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने बेहद गंभीरता से लिया है।पीसीआई की मंगलवार को नई दिल्ली में हुई बैठक में इस प्रकरण को सुनवाई के लिए स्वीकार कर परिवाद पंजीकृत कर लिया गया है। अब इस मामले में पीलीभीत के डीएम-एसपी व यूपी के चीफ सेक्रेटरी को तलब करने की तैयारी है।
डीएम की ज्यादती के शिकार पत्रकार सुधीर दीक्षित ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को भेजे परिवाद में पीलीभीत के जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव, पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सोनकर, यूपी के चीफ सेक्रेटरी, यूपी के प्रमुख सचिव गृह, यूपी के पुलिस महानिदेशक, पीलीभीत के सुनगढ़ी थाने के प्रभारी निरीक्षक नरेश पाल सिंह कश्यप व फर्जी दर्ज मुकदमे के विवेचक/ उप निरीक्षक दीपक कुमार सहित कुल 7 लोगों को प्रतिवादी बनाया है।
मंगलवार को नई दिल्ली में प्रेस काउंसिल आफ इंडिया की मीटिंग में पीलीभीत के पत्रकार सुधीर दीक्षित की परिवाद पत्रावली लेकर स्वयं उत्तर प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के प्रांतीय महासचिव रमेश शंकर पांडे पहुंचे। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने परिवाद पत्रावली का अवलोकन करने के बाद पूरे मामले को बेहद गंभीरता से लिया है। श्री पांडे ने बताया कि प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने परिवाद को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए पंजीकृत कर लिया। अब इस मामले में सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर प्रेस काउंसिल में तलब करने की तैयारी है।
परिवाद में पीड़ित पत्रकार सुधीर दीक्षित ने कहा कि
वह उत्तर प्रदेश से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “युवा हस्ताक्षर” के पीलीभीत जनपद के ब्यूरो चीफ हैं। पत्रकारिता के जरिए समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार/सरकारी भूमि/ भवन-संपत्तियों आदि पर समाजसेवी बनकर अवैध तरीके से कब्जा करने व कराने वालों की खबरें छापते रहते है।बीते दिनों भी इन माफियाओं से गठजोड़ के चलते प्रकरणों की प्रशासन के स्तर पर जांच में लीपापोती की ऐसी कई तथ्य पूर्ण खबरें अपने समाचार पत्र में प्रकाशित की। प्रशासन के विरुद्ध आलोचनात्मक खबरों से जिलाधिकारी क्षुब्ध हो गए। उसके बाद उसे जान माल के नुकसान की धमकियां मिलने लगीं। वह धमकियों को नजरअंदाज कर कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ते रहे। इसी बीच 9 अगस्त को उनके ऊपर ट्रैक्टर चढ़ाकर उनकी हत्या का प्रयास किया गया, तब से वह आज तक लखनऊ के केजीएमसी विश्वविद्यालय में भर्ती रहकर इलाज कराने के बाद घर पर बेड पर पड़े जीवन से संघर्ष कर रहे हैं।
परिवाद में कहा गया कि खबरों के प्रकाशन से क्षुब्ध जिलाधिकारी ने दुर्भावनावश लोक सेवक के पद का दुरुपयोग करते हुए एक ऐसे व्यक्ति को बुलवाकर उससे कथित प्रार्थना पत्र लेकर थाना सुनगढ़ी पुलिस को मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया, जिसके विरुद्ध 6 सितंबर को पहले से ही एक मेडिकल स्टोर स्वामी से रंगदारी मांगने का मुकदमा दर्ज है।
श्री दीक्षित ने कहा कि उनके विरुद्ध दुर्भावनवश झूठा मुकदमा दर्ज कराने के आदेश देकर जिलाधिकारी ने प्रेस की स्वतंत्रता व संविधान में प्रदत भारतीय नागरिक के मौलिक अधिकारों का हनन कर स्पष्ट संदेश दिया कि प्रशासन के विरुद्ध आलोचनात्मक खबरों का प्रकाशन जो भी पत्रकार करेगा, उसे इसी तरह उत्पीड़ित कर सबक सिखाया जाएगा। जबकि नौ अगस्त से आज तक बिस्तर पर लेटे-लेटे ही मलमूत्र का

त्याग कर जीवन से संघर्ष कर रहे हैं, ऐसे में वह कैसे इस अवधि में कोई अपराधिक घटना कारित कर सकते हैं जबकि यह सर्व विदित है कि जिलाधिकारी ने जिस रंगदार के कथित प्रार्थना पत्र पर उनके विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने के पुलिस को आदेश दिए, वह रंगदार पूरे जनपद में लोगों को ब्लैकमेल करने के लिए कुख्यात है, उसे इन्हीं करतूतों की वजह से प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने भी जिलाध्यक्ष पद एवं पार्टी से निष्कासित कर दिया है। उधर जिलाप्रशासन सुधीर दीक्षित पर दर्ज केस में अपने हस्तक्षेप से विज्ञप्ति जारी करके पहले ही इनकार कर चुका है। इसे दो पक्षों का मामला बताया गया था।
रिपोर्ट-निर्मलकांत शुक्ला
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