♦इस खबर को आगे शेयर जरूर करें ♦

प्रेस काउंसिल से मुख्य सचिव, गृह सचिव, डीजीपी व पीलीभीत के डीएम-एसपी को नोटिस भेजकर मांगा जबाब

0 बेड पर पड़े पत्रकार सुधीर दीक्षित पर अपराधिक मुकदमा दर्ज कराने का मामला

0 मुकदमे के वादी पर पहले से ही दर्ज था मेडिकल स्टोर स्वामी से रंगदारी मांगने का मुकदमा

0 प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने दो सप्ताह के अंदर मांगा शिकायत पर लिखित वक्तव्य

0 उत्पीड़न की इस लड़ाई में मुख्य भूमिका में रही श्रमजीवी पत्रकार यूनियन

पीलीभीत। जानलेवा हमले के बाद बेड पर पड़े पत्रकार पर जिलाधिकारी के आदेश से मुकदमा दर्ज कराए जाने के मामले में भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, गृह सचिव व डीजीपी सहित सात अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। इन सभी से दो सप्ताह में पीसीआई में दर्ज केस पर जवाब मांगा गया है।
भारतीय प्रेस परिषद ने उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जनपद के पत्रकार सुधीर दीक्षित की शिकायत पर जिन सात प्रतिपक्षियों को नोटिस जारी किया है, उनमें उत्तर प्रदेश शासन के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव (गृह), पुलिस महानिदेशक, पीलीभीत के जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव, पीलीभीत के निवर्तमान पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सोनकर (वर्तमान में पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश के कार्यालय से संबद्ध), सुनगढ़ी थाने के कोतवाल नरेश पाल सिंह, विवेचक/उप निरीक्षक दीपक कुमार हैं। नोटिस में कहा गया कि प्रतिवादीगण दो सप्ताह के अंदर अपना लिखित वक्तव्य तीन प्रतियों में भारतीय प्रेस परिषद के समक्ष प्रस्तुत करें। निर्धारित समय अवधि में वक्तव्य प्राप्त ना होने पर शिकायत परिषद की जांच समिति के समक्ष उचित आदेश के लिए प्रस्तुत की जाएगी।
नोटिस में कहा गया कि प्रारंभिक रूप से शिकायत पर विचारोपरान्त माननीय अध्यक्ष (भारतीय प्रेस परिषद) ने विचार व्यक्त किया है कि प्रकरण प्रेस की स्वतंत्रता पर अतिक्रमण/कुठाराघात प्रतीत होता है।

न्याय दिलाने को मुख्य भूमिका में रही उत्तर प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार यूनियन

जानलेवा हमले के बाद बिस्तर पर लेटे पत्रकार सुधीर दीक्षित पर जिलाधिकारी के आदेश से रंगदार के कथित प्रार्थना पत्र पर मुकदमा दर्ज होते ही उत्तर प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार यूनियन एक्शन में आ गई। यूनियन के प्रदेश महासचिव रमेश शंकर पांडे स्वयं पीड़ित पत्रकार सुधीर दीक्षित की शिकायत लेकर प्रेस काउंसिल आफ इंडिया के समक्ष उपस्थित हुए। उन्होंने प्रेस काउंसिल आफ इंडिया के यूनियन से जुड़े सदस्यों से मिलकर उन्हें तफ्सील से पूरा मामला बयां किया और न्याय की गुहार लगाई। यह रहा नोटिस-

क्या है शिकायत

परिवाद में कहा गया कि शिकायतकर्ता (वादी) बरेली, उत्तर प्रदेश से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “युवा हस्ताक्षर” का पीलीभीत जनपद का ब्यूरो चीफ है। पत्रकारिता के जरिए समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार/सरकारी भूमि/ भवन-संपत्तियों आदि पर समाजसेवी बनकर अवैध तरीके से कब्जा करने व कराने वालों की खबरें छापता रहता है। बीते दिनों भी इन माफियाओं से गठजोड़ के चलते प्रकरणों की प्रशासन के स्तर पर जांच में लीपापोती की ऐसी कई तथ्य पूर्ण खबरें अपने समाचार पत्र में प्रकाशित की हैं। प्रशासन के विरुद्ध आलोचनात्मक खबरों से जिलाधिकारी क्षुब्ध हो गए। उसके बाद उसे जान माल के नुकसान की धमकियां मिलने लगीं। वादी इन धमकियों को नजरअंदाज कर कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ता रहा। इसी बीच 9 अगस्त को वादी के ऊपर ट्रैक्टर चढ़ाकर उसकी हत्या का प्रयास किया गया, तब से वादी आज तक लखनऊ के केजीएमसी विश्वविद्यालय में भर्ती रहकर इलाज कराने के बाद घर पर बेड पर पड़ा जीवन से संघर्ष कर रहा है। खबरें के प्रकाशन से क्षुब्ध जिलाधिकारी ने दुर्भावनावश लोक सेवक के पद का दुरुपयोग करते हुए एक ऐसे व्यक्ति को बुलवाकर उससे कथित प्रार्थना पत्र लेकर थाना सुनगढ़ी पुलिस को मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया, जिसके विरुद्ध 6 सितंबर को पहले से ही एक मेडिकल स्टोर स्वामी से रंगदारी मांगने का मुकदमा दर्ज है।
परिवाद में कहा गया कि शिकायतकर्ता के विरुद्ध दुर्भावनवश झूठा मुकदमा दर्ज कराने के आदेश देकर जिलाधिकारी ने प्रेस की स्वतंत्रता व संविधान में प्रदत भारतीय नागरिक के मौलिक अधिकारों का हनन कर स्पष्ट संदेश दिया कि प्रशासन के विरुद्ध आलोचनात्मक खबरों का प्रकाशन जो भी पत्रकार करेगा, उसे इसी तरह उत्पीड़ित कर सबक सिखाया जाएगा। परिवाद में कहा गया कि वादी 9 अगस्त से बिस्तर पर लेटे-लेटे ही मलमूत्र का त्याग कर जीवन से संघर्ष कर रहा है, ऐसे में शिकायतकर्ता/वादी कैसे इस अवधि में कोई अपराधिक घटना कारित कर सकता है जबकि यह सर्व विदित है कि जिलाधिकारी ने जिस रंगदार के कथित प्रार्थना पत्र पर वादी पत्रकार के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने के पुलिस को आदेश दिए, वह रंगदार पूरे जनपद में लोगों को ब्लैकमेल करने के लिए कुख्यात है, उसे इन्हीं करतूतों की वजह से प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ने भी जिलाध्यक्ष पद एवं पार्टी से निष्कासित कर दिया है।

भारतीय प्रेस परिषद से यह है फरियाद

(1) दुर्भावना बस डीएम के आदेश से दर्ज कराए गए कथित मुकदमा अपराध संख्या- 376, धारा- 420, 506 आईपीसी में शिकायतकर्ता पत्रकार की गिरफ्तारी पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई जाए। समय बद्ध जांच कराकर झूठा मुकदमा निरस्त किया जाए।
(2) भारतीय प्रेस परिषद की तथ्यान्वेषी समिति (विशेष जांच समिति) पीलीभीत भेजकर पूरे प्रकरण की जांच कराते हुए साजिश में संलिप्त लोक सेवकों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए।
(3) धमकियों, कातिलाना हमले व फर्जी मुकदमे को लेकर शिकायतकर्ता पत्रकार स्वयं व उसका पूरा परिवार भयभीत है। शिकायतकर्ता व उसके परिवार को तत्काल सुरक्षा मुहैया कराई जाए।
(4) निष्पक्ष विवेचना तभी संभव है, जब दुर्भावना से मुकदमा दर्ज करने के आदेश देने वाले पीलीभीत के जिलाधिकारी पद से वैभव श्रीवास्तव को हटाए जाने के आदेश उत्तर प्रदेश सरकार को दिए जाएं।

रिपोर्ट-निर्मलकांत शुक्ला

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें




स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे


जवाब जरूर दे 

क्या भविष्य में ऑनलाइन वोटिंग बेहतर विकल्प हो?

View Results

Loading ... Loading ...

Related Articles

Close
Close
Website Design By Mytesta.com +91 8809666000