
यूरिया की किल्लत ने किसानों को किया परेशान, लगानी पड़ रही लाइन
घुंघचाई। समितियों पर विभाग द्वारा पर्याप्त खाद ना भेजे जाने के कारण काश्तकार महंगी खाद प्राइवेट स्तर से खरीदने के लिए मजबूर है। वही विभाग द्वारा भी किसानों की समस्याओं को नजरअंदाज किया जा रहा है। खाद की किल्लत के चलते धान की फसल बर्बाद हो रही है। क्षेत्र के घाटमपुर घुंघचाई दिलावरपुर व सिकरहना समितियों से काश्तकारों को यूरिया खाद मिलती है लेकिन इस बार खाद की बड़े पैमाने पर किल्लत बनी हुई है। जिसके चलते धान और गेहूं की महत्वपूर्ण उपज रखने वाले क्षेत्र के काश्तकार यूरिया ना मिल पाने से उनकी धान की खेती बर्बाद हो रही है। मंगलवार को घाटमपुर घुंघचाई समितियों पर एक एक ट्रक यूरिया पहुंची जिसमें से समिति के पहले से ही चेक कटवाने वाले काश्तकारों को खाद वितरित की गई। वहीं विभाग द्वारा फरमान था कि सीमांत लघु किसानों को भी खाद वितरित की जाए जिस पर कई काश्तकार समिति से बड़े होने के बावजूद लंबी लाइन होने के कारण महिलाओं को साथ लेकर खाद लेने के लिए पहुंचे। समिति द्वारा आधार कार्ड पर खाद वितरित भी की गई लेकिन पर्याप्त नहीं हुई। जिसके चलते दोनों जगह अफरातफरी का माहौल बन गया। वही कई जगह प्राइवेट दुकानों पर महंगे दामों में काश्तकार खाद खरीदने के लिए विवश हुए। लोगों की मांग है कि समितियों पर खाद सरलता से सुलभ हो जाती है लेकिन विभाग द्वारा पर्याप्त मात्रा में खाद नहीं भेजी गई। जिससे काश्तकार काफी परेशान है। घाटमपुर समिति पर पहले से ही बड़े काश्तकार जुड़े हुए हैं जिनको खाद पूरी नहीं मिल पाई है। इसके अलावा घुंघचाई समिति सचिव मुनीश चंद्र ने बताया कि समिति की लिमिट चोक हो चुकी है लेकिन समिति से जुड़े काश्तकारों को राहत देने के लिए विभाग से विशेष अनुरोध पर खाद मंगवाई गई है और विभाग द्वारा सीमांत और लघु किसानों को भी वितरित करने के लिए निर्देशित किया गया है। दिलावरपुर ब सिकरहना समिति का हाल सबसे ज्यादा खराब है जिस पर शुरू से ही खाद का टोटा बना हुआ है। लोगों के अनुसार अगर इन समितियों पर भी पहले से ही खाद पर्याप्त रूप में भेजी जाती तो खाद की किल्लत नहीं होती। फिलहाल किसान इस समय अपने धान की फसल को बचाने के लिए ख्वाब ना मिल पाने से परेशान हैं।
रिपोर्ट-पंडित लोकेश त्रिवेदी