बाघ की दहशत से किसानों को होगी पशुओं के चारे की किल्लत

*गजरौला*। चार दिन से लगातार टाइगर रिजर्व से सटे गांवों में बाघ की चहल कदमी देखी जा रही है। कहीं बाघ के पघचिन्ह मिल रहे तो कहीं पर दीदार हो रहे। बाघ की दहशत से लोगों का घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है बच्चे भी स्कूल जाने से डर रहे हैं वही पशुओं के चारे के लिए बाघ की दहशत संकट ला सकती है।

किसान खेती के साथ-साथ पशु पालन भी बड़े स्तर पर करते हैं पशुओं के लिए हरा पूरे वर्ष उपलब्ध ना होने की स्थिति में सूखे चारे को भी खिलाते हैं। धान की फसल पककर कटने के लिए तैयार है धान की फसल को जड़ से काट कर सुखाकर उसका पुवाल बनाकर पशुओं को चारे के रूप में खिलाने के लिए किसान इकट्ठा लगा लेते हैं । बाघ की चहलकदमी से मजदूर हाथ से धान की कटाई करने से कतरा रहे हैं ।किसान कटाई की लागत अधिक आने से कम्बाइन का सहारा ले सकते हैं। इससे पशुओं के लिए बनने वाला पुवाल पशुओं के चारे का साधन नहीं बन पाएगा। इससे पशुओं के चारे पर संकट छा जाएगा। किसान चिंतित है की खेती के साथ कमाई का साधन एकमात्र पशुओं से है वह भी खत्म होने की कगार पर दिख रहा है।लोगों में वन विभाग के खिलाफ आक्रोश है।

भूसे की बढ़ सकती कीमतें

धान की फसल से पुआल न बनने की स्थिति में भूसे की कीमतें आसमान छू सकती हैं । जिले में पशुओं के सूखे चारे के तौर पर भूसा और पुआल ही अधिकतर खिलाया जाता है। पुआल न बनने से भूसा ही एक मात्र सूखे चारे के विकल्प रह जाएगा।

रिपोर्ट- महेंद्र पाल गजरौला

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