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बाघ की दहशत से दिवाली पर्व की मिठास पड़ेगी फीकी, नहीं कर पा रहे कटाई, मजदूरों के सामने रोजी रोटी का संकट

गजरौला- माला रेंज से सटे गांव में बाघ की दहशत से निजात दिलाने में वन विभाग बौना साबित हो रहा है। टाइगर रिजर्व की तार फेंसिंग कहीं पर टूटी हुई है तो कहीं पर है ही नहीं। इससे आए दिन वन्यजीव जंगल से बाहर का रुख कर रहे हैं। बाघ की दहशत से मजदूर खेतों में मजदूरी करने से कतरा रहे। इससे उनके सामने रोजी रोटी के संकट के बादल छा गए।

गुरुवार की रात अजीतपुर पटपरा महुआ मार्ग पर पीपल के पेड़ के पास बाघ ने आवारा घूम रहे सांड को मार दिया था। सांड के शव को वन विभाग ने जंगल में ले जाकर माला नदी के किनारे दफन कर दिया। इस घटना के बाद से पूरे क्षेत्र में दहशत बनी हुई है। वही शुक्रवार को बाघ की दहाड़ फिर सुनाई दी। दहाड़ से ग्रामीण सहम गए। रास्ते के किनारों पर गन्ने की फसल का रकबा अधिक होने से राहगीरों का आवागमन बन्द हो गया। धान की फसल की चल रही कटाई बाधित है। मजदूर धान की कटाई करके बच्चों के लिए भरण-पोषण की व्यवस्था करते हैं। घटना के बाद से मजदूर धान की कटाई करने से घबरा रहे हैं।

इससे उनके सामने रोजी-रोटी की समस्या खड़ी हो गई।मजदूरों ने बताया कि त्यौहार आने वाले हैं ऐसे में त्योहारों को हम लोग कैसे मना पाएंगे। वहीं वन विभाग की टीम गश्त के नाम पर एक बार आकर इतिश्री कर लेती है। ऐसे में मजदूर अब संशय में है की जान जोखिम में डालकर खेतों पर काम नहीं किया जा सकता है। उनका मानना है कि जीवित बचे तो दिवाली, धनतेरस ,भैया दूज ,गोवर्धन पूजा आदि त्यौहार अगले साल धूमधाम से मना लेंगे। 

बोले लोग

वन विभाग का ढीला रवैया बर्दाश्त नहीं किया जाएगा । डीएफओ का घेराव कर समस्या से अवगत कराया जाएगा। विभाग टूटी हुई तार फेंसिंग को सही कराएं और नई तार फेंसिंग कराएं। जिससे वन्यजीव जंगल से बाहर न निकल सके।

सुम्मेर लाल, उपाध्यक्ष
भा ज यु मो, गजरौला मंडल

रिपोर्ट-राकेश बाबू

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