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वन कर्मचारियाँ के उत्पीड़न से परेशान हैं कई गांवों के ग्रामीण, विरोध में प्रदर्शन, लाइव सुनिये क्या है दर्द

वन विभाग के उत्पीड़न की वजह से कई ग्रामीण जेल की सलाखों के पीछे गुजार रहे हैं दिन
-तहसील पहुंचे दर्जनों ग्रामीणों ने उपजिलाधिकारी को ज्ञापन देकर लगाई न्याय की गुहार

लखीमपुर-खीरी। जिले की पलिया तहसील व परगना भूड़ की ग्रामसभा कांप, ऐलनगंज व किशनपुर के दर्जनों ग्रामीण मंगलवार को तहसील पहुंचे। जहां ग्रामीणों ने वन विभाग के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी की। उसके बाद ग्रामीणों ने एसडीएम पूजा यादव को एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में ग्रामीणों की समस्याओं को गम्भीरता से लेते हुए निराकरण कराने की मांग की गई।

ज्ञापन में कहा गया है कि उन लोगों के गांव जंगल के बीचोबीच बसे हुए हैं। ऐसी स्थिति में हम ग्रामीणों को तहसील पलिया या जिला मुख्यालय तक जाने के लिए जंगल का रास्ता ही तय करना पड़ता है।

इसके अलावा अन्य कोई ऐसा रास्ता नहीं है, जिससे वह लोग जिला व तहसील मुख्यालय तक पहुंच सकें। ग्रामीणों का कहना है कि जब वह लोग जिला या तहसील मुख्यालय से वापस आते हैं तो जंगल के बीचोबीच वन

विभाग के कर्मचारी उन्हें पकड़ लेते हैं और तीस से पचास हजार रूपये का जुर्माना वसूल करते हैं। जुर्माना न देने की स्थिति में उन लोगों को जेल भेज दिया जाता है। ग्रामसभा कांप के निवासी किसान रामधार ने बताया कि वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा किए जा रहे शोषण से वह लोग काफी परेशान हैं। बीते दिनों रेंजर रामबरन यादव ने उनके लड़के विकास को जंगल के रास्ते से निकलते हुए पकड़ लिया था। उन्होंने पचास हजार रूपये जुर्माने की मांग की। जुर्माना देने में असमर्थता जताने पर रेंजर ने उसके लड़के को जेल भेज दिया था, जो आज भी जेल में है। गांव के ही रामसनेही, राजू, बब्लू व रजनीश को भी इसी तरह से फर्जी मामलों में रेंजर जेल भेज चुके हैं।

सरदार करतार सिंह का कहना है कि रेंजर रामबरन यादव उन लोगों का जमकर शोषण कर रहा है। हम ग्रामीणों को जंगल के रास्ते से होकर गुजरने पर रेंजर तीस से पचास हजार तक का जुर्माना वसूल करते हैं। रेंजर की उन लोगों ने कई बार उच्चाधिकारियों से शिकायत भी की, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी। ग्रामीणों का कहना है कि रेंजर उच्चाधिकारियों तक अच्छी-खासी रकम पहंुचाते हैं, जिस कारण उनका स्थानान्तरण नहीं हो पा रहा है। तेजराम भार्गव का कहना है कि ग्रामीणों के लिए जंगल के अलावा और कोई दूसरा रास्ता नहीं है। लखीमपुर, पलिया, भीरा, बिजुआ व मैलानी थाने तक जाने के लिए जंगल के रास्ते का ही सहारा लेना पड़ता है। जिसका रेंजर रामबरन यादव व वन विभाग के अन्य कर्मचारी गलत फायदा उठाकर उन लोगों से अवैध जुर्माना वसूलते तथा फर्जी जेल भेज देते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि जंगल से निकलकर बन्दर व अन्य जानवर किसानों की फसलों को नष्ट कर देते हैं, जिससे ग्रामीणों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है। ज्ञापन में मांग की गई है कि ग्रामीणों की समस्याओं को गम्भीरता से लेते हुए आने-जाने हेतु रास्ता बनवाया जाए, जिससे आवागमन के समय ग्रामीणों को वन विभाग के कोपभाजन का शिकार न होना पड़े। साथ ही वन विभाग की ओर से तारफेंसिंग कराई जाए, ताकि जंगली जानवर किसानों की फसलों को नष्ट न कर सकें।

यह रहे मौजूद

ज्ञापन देने वालों में जयप्रकाश सिंह, ऊषा देवी, नत्थो देवी, करतार सिंह, रामशोधन, सुरेश, रघुनन्दन, रामलड़ैते, पवन कुमार व राजेन्द्र कुमार सहित दर्जनों ग्रामीण मौजूद रहे।

(लखीमपुर-खीरी से निर्जेश मिश्र की रिपोर्ट)

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