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प्रधानों पर कितनी एफआईआर कराओगे साहब, जीने का अधिकार हमें भी है : आशुतोष

प्रधानसंघ जिलाध्यक्ष बोले प्रधानों को प्रशासन समझ रहा चौकीदार, असलहा लाइसेंस देने की उठाई मांग

सीडीओ के आदेश वापस न लेने पर दी आंदोलन की धमकी

पराली से पहले शौचालय न बनने व बीमारी से मौत होने पर भी प्रधानों को दी जा चुकी है एफआईआर की धमकी, प्रधानों में रोष

 

ग्राम प्रधान को जनता ने चुना है गांवों के विकास के लिए और शासन द्वारा पारित सभी योजनाओं को समाज के प्रत्येक उस व्यक्ति तक पहुचाने के लिए जो समाज की उस अंतिम पंक्ति में सबसे पीछे की सीढ़ी पर बैठे हुए उस अंतिम व्यक्ति तक। वह सभी योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए रही बात पराली जलाने की तो वह पुलिस व राजस्व विभाग का मामला है। राजस्व विभाग में संग्रह अमीन, लेखपाल आदि अनेक ऐसे पद पर बैठे जो राजस्व विभाग से जुड़े हुए उन सभी सरकारी पद पर बैठे हुए व्यक्तियों को सौपनी चाहिए। ग्राम प्रधान गांवों के विकास के लिए है। अगर गांवों का विकास छोड़कर ग्राम प्रधान खेतों में डेरा डालेगा तो गांवों का विकास कैसे सम्भव हो पाएगा। रही बात शासनन की इस मंशा को जनता तक पहुचाने की एवं पराली जलाने के दुष्प्रभावों से आमजन को जागरूक करने की तो इस बात से तो हम प्रधान साथी पूर्णतया सहमत हैं । हम प्रधान साथी पहले से ही इसके दुष्प्रभावों से जनता को जागरूक करने की कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। पहले आदेश आया हुआ है की अगर लाभार्थी अगर शौचालय नहीं बनाता है तो ग्राम प्रधान पर करवाई होगी जबकि शौचालय का पैसा लाभार्थी के खाते में दे रहे हैं पर कार्यवाही ग्राम प्रधान पर होगी । अगर ग्राम प्रधान ने लाभार्थी को सख्त चेतावनी भी दी तो अगले ही दिन ग्राम प्रधान पर वगैर किसी जाँच के ग्राम प्रधान पर एफआईआर लिख कर कार्यवाही कर दी जाएगी। उस आदेश को लेकर भी ग्राम प्रधान कड़ी मेहनत और मशक्कत के बाद आदेश का पालन कराने में लगे हुए हैं । और दूसरा आदेश आता है की कोई भी व्यक्ति अगर बाहर शौच करते पाया जाता है तो ग्राम प्रधान पर कार्यवाही की जाएगी। ग्राम प्रधान उसके बाद अफसोस तब होता है जब ग्राम प्रधान द्वारा सूची बनाकर विकास विभाग को दी जाती है कि इतने शौचालय और अगर दे दिए जाएं तो हमारा गाँव खुले में शौच मुक्त हो जाएगा तो शासन प्रसासन द्वारा बताया जाता है की अब टारगेट नहीं है अब और शौचालय नहीं मिल सकते। तब ग्राम प्रधान द्वारा जानकारी प्राप्त करने पर पता चलता है तो बताया जाता है की अगर एक घर को पहले से ही शौचालय दिया जा चुका है तो दूसरा शौचालय अब नहीं मिलेगा । जबकि कई महीनों पहले ग्राम प्रधान द्वारा सूची विकास विभाग को भेजी जा चुकी होती है। उसके बाद राजस्व विभाग से लेखपाल एवँ सफाई कर्मचारियों के माध्यम से सत्यापन कराकर सूची मंगा ली जाती है । विभाग उस घर में रह रहे उन अनेक परिवारों को अपात्र मान लेता है । चाहें उस घर में भले ही दो या तीन परिवार निवास करते हों । तब जब उस घर में रह रहे सभी परिवारों के राशन कार्ड भी हैं । अब ऐसी स्थिति में ग्राम प्रधान उन सभी व्यक्तियों को कैसे समझाएगा की आप सब अब इस एक शौचालय का प्रयोग करिए अब और नहीं मिलेगा । कैसे निपटे ग्राम प्रधान ऐसी स्थिति से। अगर खुले में शौच गए तो कार्यवाही ग्राम प्रधान पर और सत्यापन करेंगे लेखपाल और सफाई कर्मचारी। ठीक उसी प्रकार अभी कुछ समय से सोशल मीडिया पर खबरें आ रही हैं कि अगर किसी गाँव में कोई डेंगू बुखार और मलेरिया बुखार से सम्बंधित कोई व्यक्ति पीड़ित व्यक्ति मिलता है तो कार्यवाही ग्राम प्रधान पर होगी । पर ग्राम प्रधान जो इस समस्या को लेकर पिछले चार बर्षो से बराबर स्वस्थ्य विभाग को अवगत कराते आ रहे हैं। जनपद पीलीभीत में 721 ग्राम पंचायतें हैं । आज ग्राम प्रधानों के कार्यकाल को लगभग चार वर्ष पूर्ण होने को आए हैं पर कुछ आज भी ऐसी पंचायते हैं जिनमें खाते तो ग्राम प्रधान और एएनएम के साथ खुल तो गए हैं जिसमें कुछ खाते तो ऐसे हैं जिसमें केवल और केवल एक ही बार दस हजार रुपये भेजे गए और दुबारा कोई पैसा नहीं भेजा गया और दूसरी बात जब ग्राम प्रधान द्वारा अपनी समस्या बताई जाती है की हमारे खाते में कोई धनराशि शेष नहीं है तब बताया जाता है कि ग्राम पंचायतों को आशा बहनों के द्वारा सी एच् सी से कीटनाशक दवाएँ उपलब्ध करा दी जाएगी उसी से छिड़काव कराइए। ग्राम प्रधान उस बात पर भी सहमत होकर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करते हैं पर आज भी कई पंचायते ऐसी है जहाँ ग्राम प्रधानों को पता ही नहीं है की उनकी ग्राम पंचायत में कौन आशा बहन की पोस्टिंग है। वहाँ पर कैसे छिड़काव होगा। किस मद से होगा। कोई बताने वाला नहीं है ।पर अगर कोई बीमार पीड़ित व्यक्ति मिला तो कार्यवाही ग्राम प्रधान पर ही होगी । ठीक उसी प्रकार से पराली कोई जलाए पर कार्यवाही ग्राम प्रधान पर ही होगी। ग्राम प्रधान गाँव को छोड़कर खेतों की रखवाली करेगा चाहें रात हो या दिन पर अगर उसके साथ कोई होनी या अनहोनी होगी तो उसकी जिम्मेदारी भी ग्राम प्रधान की ही होगी । ग्राम प्रधान के लिए

इस आदेश से दिक्कत में प्रधान

किसी भी सुरक्षा की कोई जरूरत ही नहीं है । अगर यह सभी जिम्मेदारी भी ग्राम प्रधान को ही देनी हैं तो एक सस्त्र लाइसेंस भी दे दीजिए जिससे वह सभी जिम्दारियों का निर्वहन करने के साथ साथ आत्मरक्षा भी कर सके उसे भी जीवित रहने का अधिकार है। गांव के विरोधी फंसाने के लिए भी पराली जला देंगे। शायद प्रशासन को इसका इल्म नही है। सीडीओ को अपना आदेश वापस लेना चाहिए वरना प्रधान आंदोलन को मजबूर होंगे। 🙏🏻जय प्रधान संघ


आशुतोष दीक्षित “राजू”
प्रधान फत्तेपुर खुर्द
जिलाध्यक्ष प्रधान संघ (पीलीभीत)

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