इकोत्तरनाथ में गोमती के बहाव में बाधा बनी जलकुम्भी

घुंघचाई : गोमती की अविरल धारा में खरपतवार के साथ जलकुंभी पानी के बहाव में बाधा बनी हुई है ।नदी की साफ सफाई करवाए जाने की जरूरत है। जिससे गोमती नदी के पानी का बहाव व्यवस्थित हो सके वही नदी से जुड़ने वाले नालो की भी सफाई खुदाई होने से मनरेगा श्रमिकों को काम मिल सकेगा। गोमती नदी से जनपद की पहचान है पर यह नदी अपने जन्म स्थान में ही अपना अस्तित्व खो चुकी थी। सामाजिक संस्थाओं और गोमती मे आस्था रखने वाले लोगों की मांग पर शासन द्वारा जन सहयोग के माध्यम से नदी की सफाई खुदाई कराई गई जिससे गोमती की अविरल धारा बह सके। यह कार्य बीते वर्ष युद्ध स्तर पर किया गया जिससे नदी का अस्तित्व निखर सका लेकिन बरसात के बाद में इस नदी पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। जिसके चलते नदी की अविरल धारा में कई अवरोध हो गए हैं। खरपतवार के साथ जलकुंभी ने नदी की धारा को बाधित कर दिया है। नदी के किनारे बने कई धार्मिक स्थलों पर लोग पानी का बहाव ना होने के कारण स्नान पूजन नहीं कर पा रहे हैं। प्रसिद्ध धार्मिक स्थल इकोत्तर नाथ के पास गोमती की मुख्यधारा को जलकुंभी ने घेर लिया है। जिससे नदी का बहाव बाधित हो रहा है। पवित्र नदी में आस्था रखने वाले लोगों की मांग है कि गोमती की साफ सफाई करवाई जाए। उद्गम से जनपद की आखिरी सीमा तक 16 ग्राम पंचायतों के माध्यम से मनरेगा के तहत नदी की सफाई खुदाई का कार्य फिर से शुरू कराया जाए। जिससे खाली समय में गांव के मनरेगा श्रमिकों को भी काम मिल सके। लोगों की मांग है की गोमती नदी से जुड़ने वाले नालो की भी साफ सफाई करवाई जाए जिससे गोमती को और भी पानी सरलता से मिल सकेगा।

रिपोर्ट- लोकेश त्रवेदी

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