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घुंघचाई में लगा विधिक साक्षरता शिविर, दी कानून की जानकारी

घुंघचाई। राष्ट्रीय लोक अदालत का आम जनमानस लाभ मिल सके इसको लेकर के विधिक साक्षरता शिविर जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें पहुंचे लोगों की समस्याओं को सुनने के बाद निस्तारित किया गया। इस दौरान किसानों ने भी अपनी कई समस्याएं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव के समक्ष रखी। उन्होंने समस्या का निस्तारण कराने को विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया वहीं अदालतों में मुकदमे को लेकर आर्थिक नुकसान से परेशान ग्रामीणों को उनका निस्तारण किस तरह हो इसका सुझाव दिया गया। शासन की मंशा है कि आम जनमानस न्यायालय में बेवजह के मुकदमे की पैरवी करने के दौरान आर्थिक नुकसान कर रहा है।इसी को लेकर के घुंघचाई के कन्या जूनियर हाईस्कूल में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पीलीभीत न्यायालय द्वारा कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में सचिव सुश्रीसुदेश कुमारी ने बोलते हुए बताया कि लोग छोटी-छोटी बातों पर अदालतों के चक्कर लगा रहे हैं जिनको गांव स्तर पर निपटाया जा सकता है। वही

न्यायालयों में पति-पत्नी के विवाद मात्र छोटी-छोटी बातों पर लंबित है। न्यायालय में बहुत से मुकदमे होने के कारण लोग परेशान हैं। जिनका आर्थिक दोहन हो रहा है। जिनको बातचीत के माध्यम से सुना सकता है। इस दौरान कार्यशाला में कई मामलों को निपटाने के निर्देश दिए गए। साथ ही कार्यशाला में बताया गया कि 14 दिसंबर को राष्ट्रीय लोक अदालत दीवानी न्यायालय प्रांगण में प्रातः 10: 00 बजे से शाम 4: 00 बजे तक चलेगी जिसमें मात्र जुर्माने देकर के कई मुकदमे निस्तारित किए जा सकते हैं। वहीं अन्य भी कई मुकदमों का निस्तारण हो सकता है। इस दौरान यहां पर प्रमुख रूप से नायब तहसीलदार अनुराग सिंह, प्रधानसंघ पदाधिकारी वीरेंद्र प्रताप सिंह, मनोज कुमार शर्मा, तप राज सिंह, कमल कुमार सक्सेना लेखपाल संजीव रविकांत शुक्ला दिनेश अवस्थी प्रदीप कुमार वेद प्रकाश दीक्षित नछत्तर पालसिंह कमलेश यादव सहित कई प्रमुख लोग मौजूद रहे। 

काश्तकारों ने बताईं समास्याएं

किसानों की समस्याएं गंभीर हैं और भी किन-किन से अपना रोना रोएं। कहते हैं कि कार्यशाला जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अंतर्गत न्यायालय में लंबित मामलों को निपटाने को लगी थी लेकिन काश्तकार यहां पहुंचकर शायद उनकी फरियाद को सुना जा सके। धान की बिक्री काश्तकारों द्वारा की गई लेकिन समर्थन मूल्य नहीं मिला। वही परौली पर कई काश्तकारों पर मुकदमे दर्ज किए गए अब धान की परौली समाप्त हो गई लेकिन अब किसानों के लिए गन्ने की पताई सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है कि इसको कहां ठिकाने लगाया जाए। अगर आप के हवाले किया तो बेमतलब के मुकदमे प्रशासन लिख देगा वही कई जागरूक काश्तकारों ने प्रशासन को व्यंगात्मक लहजे में सराहना करते हुए बताया कि आप सब के माध्यम से जितनी अच्छी तरीके से मुकदमे किसानों पर लिखे गए हैं अगर काश्तकारों को पहले ही सजग किया जाता परौली को लेकर के तो काश्तकार परेशान नहीं होता। 1 एकड़ खेत से परौली हटाने पर प्रत्येक काश्तकार का ढाई से ₹3000 खर्च हुआ है लेकिन जिम्मेदार अधिकारी धान बिक्री के समय किसी भी क्रय केंद्र पर सुलभ नहीं हुए जिससे काश्तकारों को समर्थन मूल्य नहीं मिला।

रिपोर्ट-लोकेश त्रिवेदी

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