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पीलीभीत के जंगल में दिखी शाकाहारी जीवों की चहलपहल
श्री अविनाश झा की फेसबुक पोस्ट
अक्सर रातों मे जंगल के रास्तों पर बस यूं ही निकल जाते हैं, शायद कहीं कोई बाघ या जंगली जानवर दिख जाय। एक अलग ही रोमांच है अंधेरी रातों मे इन रास्तों पर जाना। चोरी डकैती, छिनैती की चिंता नही होती क्योंकि इन रास्तों पर कोई भला मिलेगा कौन? क्या उसे बाघ के लिए डिनर बनना है और यदि किसी ने प्रयास भी किया तो प्रशासन बहुत सख्त है इस मामले मे। सो निर्भीक होकर निकल जाता हूँ कभी कभी। चीतल ,हिरण तो गाडियों के सामने से यूं ही निकल जाते हैं। सर्द रातों मे भी इन जानवरों का एक जगह स्थिर न रहना” सर्वाइवल आफ दि फिटेस्ट ” ( योग्यतम की उतरजीविता) का ध्योतक है। कुछ दिन पहले ही इसी रास्ते पर एक बाघिन कुछ लोगों को अपने तीन बच्चों के साथ अठखेलियाँ करती मिली थी।
(वो वीडियो भी डाल दिया है vc–whatsapp)।अपने इस रात्रिकालीन भ्रमण मे कहीं न कही हमें भी उस घड़ी का इंतजार था, कि शायद वो वाला दृश्य पुनर्जीवित हो जाये, पर बड़े बड़े जंगलों मे ऐसी छोटी छोटी बातें अक्सर गुम हो जाया करती है।
आज तो चीतल से ही संतोष करना पड़ा।
better luck next time.
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