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अचूकवाणी : यूं ही लिखी एक कविता जिस पर मोदी सरकार ने किया अमल

संपादकीय

अभी कुछ दिन पहले की बात है जब विस चुनाव में कई राज्यों में भाजपा की करारी हार हुई थी। तब मेरे द्वारा कुछ लाइनें लिखी गई थी जो नीचे दी जा रही। इनमें सरकार के लिए कुछ सुझाव भी थे। जिनमें “आरक्षण पर करो विचार’ पर भी जोर दिया गया था। संभवत मोदी सरकार ने मेरे द्वारा लिखी गई इस लाइन पर विचार किया और सवर्णों के लिए आर्थिक स्थिति के आधार पर 10 फ़ीसदी आरक्षण का ऐलान किया। मैं जानता हूं कि मां सरस्वती ने मेरे द्वारा यह लाइन लिखवाई इस पर अमल हुआ। इसके लिए मैं मां सरस्वती को प्रणाम करता हूं। साथ ही मोदी सरकार को इसके लिए धन्यवाद भी देता हूं।

सतीश मिश्र “अचूक”

10 जनवरी 2019

 


यह रही पूर्व में लिखी वह कविता जिस पर मोदी सरकार ने किया अमल

 

 

— अचूकवाणी—

करनी थी तुमको नसबंदी लेकिन नोट बंद कर डाले।

बनवाना था प्रभु का मंदिर पर तुम खोल न पाये ताले।।

कश्मीर की धारा कायम, महबूबा से हाथ मिलाये।

स्ट्राइक सर्जीकल कर दी, दहशतगर्द नहीं भग पाये।।

पांच साल का समय मिला था घूम विदेश समूचा आये।

मन की बात सुनाते रहते जनता की क्यों ना सुन पाये।।

वादे करते रहे निरंतर, पूरा एक नहीं कर पाये।।

नींद रात की आप चुराई, सपने दिन में खूब दिखाए।

जनता भी सब गांठ बांधकर ईवीएम के बटन दबाये।

राजे, रमन, राज शिव का भी छीना पप्पू को दे आये।।

समय अभी है बदलो साहब, बेडा राम करेंगे पार।

हनुमत से माफ़ी मंगवाओ, आरक्षण पर करो विचार।।

जनसंख्या पर बंदिश लाओ, 2 से अधिक नहीं स्वीकार।

जनता को मूर्ख मत समझो, भाषण में भी करो सुधार।।

मंदिर मंदिर करना छोडो बनवा पाओ तो बनवा दो।

जो इतिहास मिटाया अपना, उसको थोडा न्याय दिला दो।।

दूनी इनकम नहीं माँगते, सिर्फ समर्थन मूल्य दिला दो।

नकली खादे, दवा बंद हो, गन्ने का भी रेट बढ़ा दो।

भ्रष्टाचार हुआ है दुगना इसपर सख्ती और करा दो।

नेताओं के बढ़ते भत्ते, इन पर थोड़ी रोक लगा दो।।

राम राज तो ला ना पाये, रिश्वतखोरी और बढ़ा दी।

महंगाई को पंख लग गए, मनरेगा में लूट मचा दी।

भ्रस्टाचार जड़ों में पनपा, नेता अफसर भाई भाई।

काला धन या रिश्वतखोरी, ऊपर से ही करो सफाई।।

चौकीदार बिठाया तुमको, वही काट डाले हो डाली।।

जागो जागो तुम्हें जगाने को “अचूक” ने कलम उठा ली।

 

सतीश मिश्र “अचूक”

11 दिसंबर 2018 को 06:26 PM पर

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