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पीलीभीतवासी हैं तो जरूर करते रहिए गोमती मैया की आरती

आदि गंगा माँ गोमती की आरती

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आरति गंगा आदि भवानी। 

बहहु मातु हरषहिं सब प्रानी।

फुलहर झील परमप्रिय पावन।

उदगम है सब पाप नसावन।।

दुर्गानाथ महामुनि ज्ञानी। 

धार प्रकट की सब जग जानी।।

आरति गंगा आदि भवानी। 

बहहु मातु हरषहिं सब प्रानी।।

उदगम स्थल सब दुख हारा। 

घाट त्रिवेणी सबको प्यारा।।

नाथ इकोत्तर इंद्र को तारा।

भजहि सुनासिर महिमा जानी।

आरति गंगा आदि भवानी।

बहहु मातु हरषहिं सब प्रानी।।

तट पर “नैमिष” तीर्थ सुहावा।

व्यास सूत सब गौरव पावा।

सतरूपा मनु अमिट कहानी।

बने “दधीचि” देह के दानी।

आरति गंगा आदि भवानी। 

बहहु मातु हरषहिं सब प्रानी।।

समर जीति रघुवीर नहाए।

रावण वध के पाप नशाए।

तीर्थ तटों पर परम सुहावन। 

मंदिर मातु चंद्रिका पावन।।

गौतम छल की अमिट कहानी। 

महिमा वेद पुरान बखानी।।

आरति गंगा आदि भवानी।

बहहु मातु हरषहिं सब प्रानी।।

आरति करहिं सबहि जग वासी।

मइया अवगुन सब के नाशी। 

“योगी जी” ने तुम्हें पुकारा। 

बहहु मातु “कच्छप” असवारा।

कहें “सतीश” सुधा सम पानी।

आरति गंगा आदि भवानी।। 

बहहु मातु हरषहिं सब प्रानी।

आरति गंगा आदि भवानी।। 

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रचनाकार-सतीश मिश्र “अचूक”

कवि /पत्रकार /गोमती भक्त

मो- 9411978000
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