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सीएए पर देश भर के युवाओं का मार्गदर्शन करने को तैयार हैं पीलीभीत के सांसद वरुण गांधी

नई दिल्‍ली, जागरण ब्‍यूरो। सीएए को लेकर विपक्ष का विरोध और आंदोलन अब भी जारी है। कांग्रेस के नेतृत्व में आगामी बजट सत्र में इसे और तेज करने की रणनीति भी बन रही है। वहीं उत्तरप्रदेश के पीलीभीत में नए कानून के तहत बंग्लादेश से आए शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए काम भी शुरू हो गया है। पीलीभीत के ही भाजपा सांसद वरुण

गांधी ने कांग्रेस को आगाह करते हुए कहा कि यह राजनीति एक दिन उसके हाथ जला देगी। दैनिक जागरण के राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख आशुतोष झा से बातचीत के अंशः

– नागरिकता कानून को लेकर देश में कई स्थानों पर अभी भी विरोध प्रदर्शन चल रहा है। वहीं आपके संसदीय क्षेत्र पीलीभीत में हजारों लोगों की पहचान कर उन्हें नागरिकता देने पर कदम बढ़ा दिया गया है। जबकि अभी नियम कायदे भी तय नहीं हुए है?

मेरे क्षेत्र में बांग्लादेश से धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर भारत में आए लगभग डेढ़ लाख शरणार्थी हैं। वर्षों से यहां रह रहे है। लेकिन सरकारी योजनाओं का लाभ उन्हें नहीं मिल सकता है। ये बंगाली समाज के हमारे अपने ही लोग है। आप जाकर देखिए उनकी स्थिति बहुत दयनीय है। मुझे तो उन्हें देखकर बहुत पीड़ा होती थी लेकिन कानून वह भारतीय नागरिक नहीं थे। वह तो इस डर में जी रहे थे कि कभी भी उन्हें बाहर निकाल दिया जाएगा। लोग कह रहे हैं कि जल्दबाजी क्यों हो रही है। अरे भाई 70 साल तो बीत गए अब क्या इस समस्या को 700 साल खींचना है।

– आपको इन शरणार्थियों की जानकारी थी?

देखिए, पीलीभीत तो हमारा घर है। वहां के सभी लोग हमारे अपने घर के लोग हैं। बंगाली समाज के लोग तो मेरी पत्नी यामिनी की वजह से मुझे जमाई बाबू भी समझते हैं। मेरी मां और मैंने हमेशा उनके विकास की चिंता की है। आत्मीयता के साथ रखा है। लेकिन जब भविष्य को लेकर धुंध हो तो बड़ी समस्या के सामने विकास भी छोटा ही दिखता है। कठिन परिस्थितियों में भी उन्होंने कभी भारत के प्रति अपनी देशभक्ति को कभी कमजोर नहीं होने दिया। आप कहते हैं कि मैं उन्हें जानता था या नहीं। हैं तो उनके प्रतिनिधिमंडल को अपने साथ लखनऊ और दिल्ली तक लेकर गया था।

– आपने कहा कि डेढ़ लाख शरणार्थी हैं जबकि पहचान तो 37 हजार की ही की गई है। बाकियों का क्या होगा?

जो भी हैं सभी पर फैसला होगा। मेरी जानकारी के अनुसार कुछ लोगों को तो सामान्य प्रक्रिया के अनुसार नागरिकता मिल चुकी है। बाकियों को भी मिलेगी।

– आप युवा हैं और पहले विश्वविद्यालयों में लेक्चर्स भी देते रहे है। सीएए के मसले पर युवाओं को क्यों नहीं जागरुक कर रहे है?

राष्ट्र निर्माण के काम में युवाओं की एक विशेष भूमिका रही है। युवाओं ने अपने साहस से इस देश को दिशा दी है। मेरा दिल इस बात से दुखता है कि कुछ नकारात्मक ताकतों के बहकावे का शिकार होकर चंद युवा राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में सम्मिलित है। शिक्षा के वे मंदिर जिसे देश के लिए सकारात्मक कार्यक्रम तय करना चाहिए तथा विराट भारत का सपना देना चाहिए वे लगातार विवाद और विष्फोट का केंद्रबिंदु बन रहे हैं। मैं युवाओं के साथ निरंतर संवाद बनाए रखना अपना कर्तव्य मानता हूं और कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक युवाओं के साथ अपनी सहभागिता निभाने के लिए तैयार हूं।

– कांग्रेस में राहुल और प्रियंका गांधी सीएए को समाज में विभाजन का हथियार बता रहे हैं। आप क्या कहेंगे?

मैं सीधे शब्दों में कहूं तो कांग्रेस दोहरी राजनीति और मानसिकता में जी रही है। इससे बाज आना ही होगा वरना अपने ही हाथ जलाएगी। 2003 मे अटल जी के काल में नागरिकता कानून में संशोधन के लिए एक समिति बनी थी और अध्यक्ष प्रणब मुखर्जी थे। उस समिति ने कहा था कि धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर आने वाले केवल अल्पसंख्यकों को ही नागरिकता दी जाए, बहुसंख्यकों को नहीं। 2003 में डॉ. मनमोहन सिंह जी ने भी राज्यसभा में ऐसी ही मांग की थी। महात्मा गांधी का मानना था कि बंटवारे के बाद भारत और पाकिस्तान दोनों अपने अपने देशों में अल्पसंख्यकों की रक्षा करे। 1950 में नेहरू लियाकत समझौता भी हुआ था। हमने तो अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा की लेकिन पाकिस्तान में किस तरह जुल्म हुआ ये सभी जानते हैं । लेकिन कांग्रेस के लिए महात्मा गांधी, नेहरू, प्रणब मुखर्जी की बातों के लिए सम्मान नहीं है। मुझे अचरज है कि कांग्रेस खुद के अंदर झांककर सही फैसले लेना कब सीखेगी।

– लेकिन पिछले कुछ दिनों में सड़क पर लोग उतरे हैं। और पुलिस कार्रवाई में कईयों की जानें भी गईं।

हमारे देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। लेकिन हम लोगों को देश के नागरिक होने के नाते आत्मा से एक प्रश्न पूछना चाहिए कि वह कौन सी लक्ष्मणरेखा है जो पार होती है तो देश को विखंडित करने का अस्त्र बन जाता है। कोई भी देश –अमेरिका, रूस, चीन, अफ्रीका कोई भी देश अपने झंडे जलाने की अनुमति नहीं देता है जो यहां कई जगहों पर हुआ। कोई भी देश यह अनुमति नहीं देता है कि आप कहें कि हमें देश की संवैधानिक ढांचे से आजादी चाहिए। आपको पूर्ण स्वतंत्रता है लेकिन देश को विखंडित करने की आजादी नहीं है।

जहां तक उत्तरप्रदेश की बात है तो कुछ बयान ऐसे आए, जिसकी आलोचना होनी चाहिए लेकिन संभल में, मुजफ्फ्रनगर के कुछ हिस्सों में, बदायूं में , लखनऊ में जिस तरह दंगाई समूह का हिस्सा बनाया गया वह क्या था। ऐसे में पुलिस क्या करेगी। क्या दंगाइयों को छूट दे दी जाए। अगर कहीं ज्यादती हुई है तो उसका रास्ता है। किसी की जान जाए यह किसी को पसंद नहीं आएगा लेकिन अगर दंगाई समूह के ऐसे व्यक्ति की जान गई है जो देश विरोधी कार्यक्रम में जुटा था तो यह न्याय है। उसे कानून व्यवस्था की रक्षा कहते हैं।

बजट आने वाला है। एक भाजपा सांसद के रूप में आपकी क्या अपेक्षा है?

किसानों की आय बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए सरकार राजकोषीय संयम का शानदार उदाहरण पेश किया है। आगामी बजट कृषि मांग को प्रोत्साहन देने वाला होना चाहिए, जिसमें मौजूदा सिंचाई पंपो को कम ऊर्जा खपत वाले मॉडल से बदलने पर ध्यान दिया जाए। पिछले दो बजटों में न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने, उदाहरण के लिए खरीफ का लागत से 50 फीसद अधिक तय करना स्वागत योग्य था। इसी तरह खरीद प्रक्रिया से जुड़े बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ाने का दूरगामी परिणाम होगा। ग्रामीण वित्त निगमों के माध्यम से ऋण के विस्तार पर जोर हो ऐसे ऋणों में इतना लचीलापन हो कि इसका उपयोग सूखे और बाढ़ की स्थिति में भी किया जा सके। असंगठित क्षेत्र के लिए पेंशन स्कीम का विस्तार और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में काम होना चाहिए। हमारे प्रधानमंत्री ने भी मन की बात में अंतिम व्यक्ति तक पहुंचने की बात की है। हमारी अपेक्षा भी यही है।

(साभार- दैनिक जागरण)

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