
अचूकवाणी : “प्राणवायु की खान जहां वह अपना पीलीभीत है”
अपना पीलीभीत
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हर कोई अपना सा लगता, बच्चा बच्चा मीत है।
प्राणवायु की खान जहां, वह अपना पीलीभीत है।।
शाही मस्जिद शाह रुहेला, जब आकर बनवाता है।
उनका ही सेनापति मंदिर की बुनियाद सजाता है।।
“नकटा” दानव हारा, देवी मां की होती जीत है।
प्राणवायु की खान जहां, वह अपना पीलीभीत है।।
जंगल इतने प्यारे प्यारे, सुंदरता की खान हैं।
“कस्तूरी” मृग भरें कुलांचे “चूका पिकनिक” शान हैं।।
विचरण करते “मुक्त टाइगर” लगते सच्चे मीत हैं।
प्राण वायु की खान जहां, वह अपना पीलीभीत है।।
उदगम, देवहा और शारदा, का जल लगता प्यारा।
नहरों का भी जाल बिछा है, “बाइफरकेशन” न्यारा।।
“डैम शारदा” जल अथाह पर इसकी कच्ची भीत है।
प्राणवायु की खान जहां वह अपना पीलीभीत है।।
राजा मोरजध्वज की धरती, मठा ताल भी प्यारा।
चक्रवर्ती सम्राट वेणु का किला लग रहा न्यारा।
इलाबाँस, “गूंगा देवी” के दर पर गौरव गीत है।।
प्राणवायु की खान जहां, वह अपना पीलीभीत है।।
गेहूं, धान और गन्ने की होती उन्नत खेती।
सेहत की रख़वाली मित्रो काफी बेहतर होती।।
शिक्षा उन्नत, प्यार-मोहब्बत और एकता गीत है।
प्राणवायु की खान जहां, वह अपना पीलीभीत है।।
“शम्भू” और “सुरूर” की धरती “मृदुला” राह दिखाती।
पंकज जी, मुहतोड़, “भानु” “अख्तर” की याद दिलाती।
देव, नक्श, अमिताभ, “मीत” हिट, “पूनम” गाती गीत है।
प्राणवायु की खान जहां, वह अपना पीलीभीत है।
देवभूमि नजदीक, “मातु पूर्णा” की कृपा घनेरी।
दिल्ली या लखनऊ यहां से एक बराबर दूरी।
हरिद्वार, नेपाल पास, “काली” का कल कल गीत है।
प्राणवायु की खान जहां, वह अपना पीलीभीत है।।
बापू, नेहरू, अटल, इंदिरा, आये “छोटे गांधी”।
“मनमोहन” भी आकर बोले, “वीएम सिंह” की आंधी।
छोटी बहू मेनका गांधी रहीं निरंतर जीत हैं।
प्राणवायु की खान जहां, वह अपना पीलीभीत है।
कृष्ण कन्हैया की मुरली की तान यहां मधुराई।
“एक जिला उत्पाद एक” में, “बंसी” खूब बजाई।।
सुनकर गोपी मोहित होतीं, बहुत पुरानी रीत है।
प्राणवायु की खान जहां, वह अपना पीलीभीत है।

दुनिया देश जान बैठा है, पीली “भीत” कहानी।
“गोमा” का उदगम फुलहर से, शोभित है रजधानी।।
“गोमति” मइया की महिमा के जनता गाती गीत है।
प्राणवायु की खान जहां, वह अपना पीलीभीत है।।
रामस्वरूप, बैजू, माखन, नत्थू ने लड़ी लड़ाई।
सेवाराम, “कुंवर भारत” के आजादी मन भाई।
गए राठौर, लवाणा लेकिन लिया “कारगिल” जीत है।।
प्राणवायु की खान जहां, वह अपना पीलीभीत है।।
पूरनपुर है “पूर्ण” जहां पर बसा मिनी पंजाब।
हिन्दू, मुस्लिम और सिखों के मन मे सुंदर ख्वाब।।
खूब तरक्की, रोड लुभाते, उन्नत खेती गीत है।
प्राणवायु की खान जहां, वो अपना पीलीभीत है।।
यहां नबाव और राजा भी रहे बढ़ाते शान।
“खान बहादुर” राय शिकारी “भारत सिंह” बलवान।।
थारू, बंगाली, पूर्वांचलवासी, भी जगजीत हैं।
प्राणवायु की खान जहां, वह अपना पीलीभीत है।।
आटा, चावल और बीज के उद्यम दिखते प्यारे।
भट्ठे ईट बनाते सुंदर, रेत के बारे न्यारे।।
सब्जी दिल्ली तक जाती है, हस्तशिल्प की जीत है।।
प्राणवायु की खान जहां वो अपना पीलीभीत है।।
आल्हा ऊदल गुरू “झिलमिला” की है कुटिया अंदर।
सेल्हा बाबा, सिद्ध देव, “गुरुद्वारा छेवी” सुंदर।।
“श्वेत सदन” आने की अनुमति? पीलीभीत की जीत है।
प्राणवायु की खान जहां, वह अपना पीलीभीत है।।
गौतम ऋषि ने श्राप दिया तो “इंद्र” आ गए भागे।
“इकहोत्तर” शिवलिंग थापे थे, श्राप मुक्ति भी मांगे।।
प्रतिदिन आकर पूजा करते, गाते शिव का गीत हैं।
प्राणवायु की खान जहां, वह अपना पीलीभीत है।।
डीएम हैं “अखिलेश मिश्र” जो सबके बने चहेते।
मृदुभाषी, कविता कवित्त से जन-जन के दिल जीते।।
“योगी” मिश्रा और “बिहारी” संग में गाते गीत हैं।
प्राणवायु की खान जहां, वह अपना पीलीभीत है।।
हर कोई अपना सा लगता बच्चा बच्चा मीत है।
प्राणवायु की खान जहां, वह अपना पीलीभीत है।।
रचनाकार- सतीश मिश्र “अचूक”
(जिला संवाददाता आकाशवाणी/दूरदर्शन पीलीभीत/संपादक समाचार दर्शन 24)
मो-9411978000, 8948678000 air.pilibhit@gmail.com–
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