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विश्व पक्षी दिवस : लॉक डाउन रहा तो बढ़ जाएंगे प्रवासी पक्षी

*विश्व प्रवासी पक्षी दिवस पर विशेष

अक्टूबर से फरवरी तक पीलीभीत में बसेरा करते हैं साइबेरियन पक्षी

अतिथि देवो भव: भारत वर्ष की पुरानी परम्परा रही है। यहां पर जो भी मेहमान होता है उसको भगवान के समान माना जाता हैं। पीलीमीत जनपद अपनी प्राकृति धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। यहां विश्व प्रसिद्ध शारदा सागर जलाशय हैं एवं नदीयों द्वारा विकसित कई बड़ी झीले तथा बड़े – बड़े तालाब हैं। पीलीमीत जनपद तराई में होने के कारण यहां की नदियों व तालावों में वर्ष भर जल रहता है।भारत के उत्तरी क्षेत्र में स्थित हिमालय तथा तिब्बत आदि क्षेत्रों से यहां पर शरद ऋतु में बर्फ जमने के कारण वहा पर पक्षियों के लिए भोजन समाप्त हो जाता है ।
इनका सफर इतना आसान नहीं होता रास्ते में बहुत सी मुश्किलें आती हैं आंधी, तूफान और तेज हवाओं से कई पक्षी अपनी जान से भी हाथ धो बैठते हैं लेकिन फिर भी हर साल भयानक ठंड से भागते हुए वो भारत की ओर रुख करते हैं। सुबह-सुबह ठंडे पानी में डुबकी लगाते हैं लेकिन क्या आप
जानते हैं कि पीलीभीत जनपद में टाइगर रिजर्व के अलावा भी कई तालाब और नदियां हैं जिसमें मेहमान साइबेरियन पक्षी हर साल डुबकी लगाने और ठंडी का मौसम को सामने आते हैं पीलीभीत के जंगलों को टाइगर रिजर्व का दर्जा मिलने के बाद यहां शिकार पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया जिसके उपरांत हर वर्ष आने वाले मेहमान पक्षी की संख्या दुगनी होती चली आ रही है टाइगर रिजर्व और उत्तराखंड के बॉर्डर पर स्थित शारदा सागर डैम साहित टाइगर रिजर्व के कई हिस्सों में अपना बसेरा बनाते हैं साइबेरियन पक्षी।

*हर साल कहां से आ जाते हैं पक्षी*

ये पक्षी रूस के साइबेरिया इलाके से आते हैं इन्हें साइबेरियन पक्षी कहते हैं ये आपको हजारों की संख्या में यहां नजर आ जाएंगे. ये ऐसे पक्षी हैं जो हवा में उड़ते हैं और पानी में भी तैरते हैं सफेद रंग के इन पक्षियों की चोंच और पैर नारंगी रंग के होते हैं साइबेरिया बहुत ही ठंडी जगह है जहां नवंबर से लेकर मार्च तक तापमान जीरो से बहुत 50, 60 डिग्री नीचे चला जाता है इस तापमान में इन पक्षियों का जिंदा रह पाना बहुत मुश्किल हो जाता है इसीलिए ये पक्षी हजारों किलोमीटर की दूरी करके भारत आते हैं उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में साइबेरिया की तुलना में बहुत कम ठंड पड़ती है और यहां पीलीभीत मैं पानी के स्त्रोत का खुला छोर इन पक्षियों के जीवित रहने के लिए अच्छा माहौल तैयार करता है।

*इतनी दूर से क्यों आते हैं ये पक्षी*

जीवों में माइग्रेशन यानी प्रवास एक बहुत आम प्रक्रिया है।एक ही प्रजाति के जीवों में मौसम की वजह से बहुत बड़ी संख्या में एकसाथ दूसरे स्थान पर चले जाने की प्रक्रिया को माइग्रेशन कहते हैं।
यह माइग्रेशन अक्सर एक तय तरीके से बार-बार हर साल किया जाता है। यानी जैसे ही मौसम खराब हुआ, ये जीव अपना घर छोड़कर किसी दूसरी जगह चले गए और मौसम ठीक होते ही वापस अपने घर आ जाते हैं। साइबेरियन पक्षियों के अलावा भी इसके बहुत से उदाहरण हैं। अधिकतर यही होता है कि जिन इलाकों में बहुत अधिक ठंड पड़ती है, वहां के जीव दूसरी जगह बेहतर भोजन, प्रजनन और सुरक्षा के लिए चले जाते हैं.

*कितना लम्बा सफर तय करते हैं*

साइबेरियन पक्षियों की सैकड़ों ऐसी प्रजातियां हैं जो हर साल अपना घर छोड़कर दुनियाभर में पनाह पाती हैं। भारत आने के लिए ये पक्षी 4000 किलोमीटर से भी ज्यादा लम्बा सफ़र उड़कर पूरा करते हैं।
ये पक्षी ताजिकिस्तान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान को पार करते हुए भारत आते हैं।
इतना लम्बा सफ़र ये 10,20 के समूह में नहीं लाखों के ग्रुप में उड़ते हुए पूरा करते है। भारत में भी इनका एक लैंडिंग स्थान है. ये पक्षी सबसे पहले महाराष्ट्र के बारामती पहुंचते हैं. यानी अगर सफ़र में कोई पक्षी बाकियों से अलग भी हो गया तो उसे पता है कि उसके साथी उसे बारामती में स्थित
‘बिग बर्ड सेंचुअरी’ में मिलेंगे. यहां इकठ्ठा होकर ये पक्षी भारत के कोने-कोने में जाते हैं और पूरी ठंड यहीं बिताते हैं.

कैसे करते हैं भारत आने की तैयारी

माइग्रेशन करने से करीब दो महीने पहले से ही ये पक्षी इसकी तैयारी करना शुरू कर देते हैं। जैसे ही गर्मियां ख़त्म होती हैं और दिन छोटे होने लगते हैं, इन पक्षियों के दिमाग के फोटोरिसेप्टर इनके शरीर में हॉर्मोन में बदलाव करने लगते हैं. हॉर्मोन में इन बदलावों से उनके शरीर पर पंख बढ़ जाते हैं जो लंबे समय तक उड़ने के लिए जरूरी हैं. इसके साथ ही ये पक्षी अपने शरीर पर फैट इकठ्ठा करने के लिए ख़ूब खाते हैं और वजन बढ़ाते हैं. बॉडी फैट बढ़ जाने से इन्हें लंबे सफर में गर्माहट मिलती है और भोजन की भी कमी नहीं खलती. इस तरह करीब 2 महीनों की तैयारी के बाद ये पक्षी लाखों की संख्या में इकट्ठे उड़ान भरते हैं।
लेकिन इनका सफर इतना आसान नहीं होता रास्ते में बहुत सी मुश्किलें आती हैं. आंधी, तूफान और तेज हवाओं से कई पक्षी अपनी जान से भी हाथ धो बैठते हैं। लेकिन फिर भी हर साल भयानक ठंड से भागते हुए वो भारत की ओर रुख करते हैं।और पीलीभीत टाइगर रिजर्व सहित देश के विभिन्न हिस्सों में अपनी खूबसूरती और आमद दर्ज कराते हुए भारत की ज़मीन के लुफ्त उठाते हैं।

*मेहमानों की रक्षा करना हमारा फर्ज*

पिछले कई सालों से पीलीभीत टाइगर रिजर्व सहित देश के विभिन्न जंगल सफारी और रिजर्व में टाइगर और चिड़ियों पर काम कर रहे वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर बिलाल मियां ने बताया टाइगर रिजर्व की घोषणा के बाद डब्ल्यूडब्ल्यूएफ और वन्य अधिकारियों ने प्रवासी पक्षी के शिकार रोकने के लिए जागरूक अभियान चलाएं और प्रवासी पक्षी जो मेहमान के रूप में हमारी आते हैं उनकी रक्षा के लिए कई क्षेत्रों में जागरूक अभियान भी चलाया।
रिपोर्ट-महेन्द्रपाल शर्मा।

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