कोरोना संकट : “ब्यूटीपार्लर बिन भौजी के उजले चेहरे लगते काले”
‘कोरोना के साइड इफेक्ट्स’
“कोरोना के खेल निराले ।
जैसे चाहे नाच नचा ले ।।
रुके मिलों के चलते पहिये ।
कितनों के छिन गये निवाले ।।
सर पर गठरी अरमानों की ।
नयनों आंसू पैरों छाले ।।
जाने कितने जलते दीपक ।
अंधियारों के हुये हवाले ।।
जाने कितने बेचारे पति ।
तड़पें अब तो राम बचा ले ।।
पत्नी भी निर्मम हो सोंचे ।
घर के कितने काम करा ले ।।
ब्यूटीपार्लर बिन भौजी के ।
उजले चेहरे लगते काले ।।
सारे कवि घर खाली बैठे ।
याद करें दिन मंचों वाले ।।
किसे सुनायें अपनी कविता ।
कोई लाइव ही करवाले ।।
कोरोना से कह दो ‘संजीव’ ।
जी ही लेंगे जीने वाले ।।”
गीतिका – संजीव ‘शशि’
पीलीभीत
मो. 08755760194
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