बेमतलब बाहर मत निकलो, आना जाना बंद करो। बड़ी भयानक बीमारी है, हाथ मिलाना बंद करो।
आज की ग़ज़ल
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बेमतलब बाहर मत निकलो,आना जाना बंद करो
बड़ी भयानक बीमारी है,हाथ मिलाना बंद करो।
दो गज की दूरी का पालन आज सभी को करना है
कोरोना को कम मत आंको,हंसी उड़ाना बंद करो।
गाइडलाइन पे चलना प्यारे आज सभी के हित में है
भीड़ जहां हो वहां न जाओ, दावत खाना बंद करो।
घर में तन्हा क़ैद किसी को भायी है ना भायेगी
इसमें थोड़ी खुशियां ढूंढ़ो, मुंह लटकाना बंद करो।
दिन में अपने निज हाथों को साबुन से चमकाना है
मास्क लगाओ,निज चेहरे को हाथ लगाना बंद करो
चाय बनाओ और नाश्ता पत्नी जी के साथ करो
आंखे खोलो आलस त्यागो,यूं सुसुआना बंद करो।
नादानों,नादानी छोड़ो हाथ जोड़कर कहता हूँ
जान बूझकर मौत को अपने गले लगाना बंद करो।
रचनाकार-देव शर्मा विचित्र
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