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कारगिल शहीदों को श्रद्धांजलि देने के साथ जंग जीतने वाले घायल जवानों की हो रही जयजयकार

घुंघचाई। कारगिल युद्ध की 21 वी शौर्य गाथा को याद कर शहीद हुए सैनिकों को नमन किया जा रहा है वही जिन लोगों ने कारगिल युद्ध में सम्मिलित होकर घायल होते हुए भी पाक घुसपैठियों को खदेड़ा उनकी जय चर्चाओं को आज भी याद किया जा रहा है हर कोई अपने बीच के शूरवीर कारगिल में घायल हुए पाई पैरा बटालियन के जवान शिवानंद यादव की है जो दंदोल कॉलोनी नंबर 5 के रहने वाले हैं शुरू से ही भारतीय सेना में जाने की फितरत रही और सेना में भर्ती होने के बाद मां भारती की सेवा का अवसर भी कारगिल युद्ध में मिल गया उनको उनकी बटालियन के साथ बटालिक चोटी से पाकिस्तान के घुसपैठियों को खदेड़ने की जिम्मेदारी थी रात में ही यह टुकड़ी दुर्गम रास्ते से होकर ऊंचाई पर चढ़ने लगी लेकिन घुसपैठियों को इसकी भनक लग गई तब तक यह साहसिक वीर जवान चोटी के नजदीक पहुंच चुके थे और पाकिस्तानियों की ओर से गोलीबारी शुरू हो गए जिससे बचने के लिए पहले सभी चट्टानों की ओट लेकर पोजीशन लिए रहे बाद में एकाएक सभी साथियों ने पाकिस्तानी बंकर ऊपर हमला बोल दिया और बड़ी तादाद में घुसपैठियों को मौत की नींद सुला दिया गया कुछ मौके से भाग रहे थे इस दौरान भारतीय सेना के भी कई सैनिक मां भारती की

सर्वोच्च सेवा करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए इस दौरान शिवानंद यादव के भी कमर में एक गोली लग गई जिससे वह घायल हो गया लेकिन घायल होने के बावजूद कई घुसपैठियों को उसके द्वारा धूल चटा दी गई दूसरी गोली कनपटी पर कान के पास लगी थी लेकिन तब तक अधिकांश घुसपैठियों का काम तमाम कर दिया गया था और घटनाक्रम के बारे में सेना के अधिकारियों को बताया गया बटालिक चोटी पर पता है करते हुए तिरंगा फहरा दिया गया बाद में सेना द्वारा घायलों को जम्मू कश्मीर के बेस अस्पताल में भर्ती कराया गया जिसने भी इस वीरगाथा के बारे में सुना तो वह अपने बीच के इस सपूत की कथा सुनने के लिए जा पहुंचा । 

शिवानंद यादव आज पदोन्नति होने के बाद चीन सीमा पर मां भारती की सेवा में तत्पर हैं वही उनका बेटा विकास भी चीन सीमा पर ही तैनात है एक भाई शशिकांत भी इस समय वहीं पर है फौज में रहकर यह जज्बा उनके अनुसार आज भी बना हुआ है । इंनसेट। कारगिल युद्ध को 21 वर्ष हो गए लेकिन इस युद्ध में एक और जहां सेना ने अपने कई वीर सेनानियों को खोया और एक-एक इंच जमीन वापस ले ली वही उस समय की यादों को आज भी घुंघचाई गांव के लोकेश त्रिवेदी खबरों की कटिंग को सजो कर रखे हुए हैं उनका मानना है कि या सब यादें बहुत ही मार्मिक है जिनको कुशलता से रखे हुए हैं अब यह सब तस्वीरें वाह सेना को देना चाहते हैं।

रिपोर्ट-सतीश मिश्र।

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