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इस बार भी नहीं जलेगी धान की पराली और गन्ने की पताई, डीएम ने अनुश्रवण सेल बनाई

पीलीभीत। डीएन पुलकित खरे द्वारा फसल अवशेष जलाए जाने से हो रहे वायु प्रदूषण की रोकथाम किये जाने के दृष्टिगत जनपद स्तर पर अनुश्रवण सेल के गठन के साथ साथ प्रत्येक दिन अनुश्रवण किये जाने के निर्देश/निर्णय के परिपालन हेतु सेल का गठन किया गया हैः- अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) अध्यक्ष, अपर पुलिस अधीक्षक सदस्य, उप कृषि निदेशक सदस्य/सचिव, जिला कृषि अधिकारी सदस्य, जिला विद्यालय निरीक्षक सदस्य, जिला पंचायतीराज अधिकारी सदस्य, जिला गन्ना अधिकारी सदस्य, क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी सदस्य नामित किया गया है।
गठित सेल से सम्बन्धित अभिलेखीय कार्यवाही एवं सेल से सम्बन्धित दायित्वों के निर्वहन का दायित्व उप कृषि निदेशक/सचिव का होगा। उक्त गठित सेल धान एवं गन्ना कटने के समय से लेकर रबी में गेहूॅ की बुवाई प्रतिदिन फसल अवशेष जलाने की घटनाओं एवं इसकी रोकथाम के लिए की गई कार्यवाही की समीक्षा करते हुये प्रत्यके कार्यदिवस की रिपोर्ट उ0प्र0 प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा गठित समिति के समक्ष तथा प्रमुख सचिव, पर्यावरण विभाग एवं प्रमुख सचिव, कृषि विभाग उ0प्र0 शासन को प्रस्तुत करने के दायित्व का निर्वहन करेगा। कृषि विभाग एवं गन्ना विभाग के न्याय पंचायत स्तरीय कर्मचारी एवं विकासखण्ड स्तरीय सहायक विकास अधिकारी (कृषि) द्वारा फसल अवशेष के जलाने की रोकथाम तथा इसके दुष्परिणामों के सम्बन्ध में कृषकों के मध्य व्यापक प्रचार प्रसार एवं जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कराना सुनिश्चित करेंगे। जनपद के विद्यालय/शिक्षण संस्थानों के विद्यार्थियों के माध्यम से फसल अवशेष न जलाये जाने एवं इसके जलाये जाने से हो रहे प्रदूषण से आगाह करने हेतु जनजागरण अभियान भी चलाया जाना सुनिश्चित किया जाये।
इसके साथ ही साथ तहसील स्तर पर उड़नदस्ता गठित करते हुये निर्देशित किया गया है कि धान पराली, फसल अवशेष न जलाये जायें। प्रत्येक तहसील एवं विकासखण्ड के समस्त लेखपाल एवं ग्राम प्रधानों को सम्मिलित करते हुये व्हाट्स-एप ग्रुप बनाया जाये, यदि क्षेत्र में फसल अवशेष की घटना घटित होती है तो अर्थदण्ड लगाये जाने के सम्बन्ध में कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी। ऐसी घटना होने पर उक्त शासनादेश के अनुसार के अनुसार अनिवार्य रूप से दण्डात्मक कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। तहसील स्तर पर गठित उड़नदस्ते का दायित्व होगा कि धान कटने के समय से लेकर रबी में गेहूं की बुवाई तक प्रतिदिन फसल अवशेष जलाने की घटनाओं एवं इसकी रोकथाम के लिए की गई कार्यवाही की सत्त निगरानी एवं अनुश्रवण करते हुए प्रत्येक कार्य दिवस की सूचना अनिवार्य रूप से जनपद स्तर पर गठित सेल को देंगे। उड़न दस्ता में सम्बन्धित सहायक विकास अधिकारी कृषि, पुलिस क्षेत्राधिकारी व सम्बन्धित उप जिलाधिकारी सम्मिलित हैं।

जिलाधिकारी द्वारा ग्राम प्रधानों से की अपील, पंचायत के किसान भाईयों को पराली/पताई न जलाने हेतु करें जागरूक

पीलीभीत। डीएम पुलकित खरे द्वारा जनपद के समस्त ग्राम प्रधानों से अपील की गई है कि अपनी ग्राम पंचायतों में समस्त कृषकों को धान की पराली, गन्ने की पताई एवं अन्य कृषि अवशिष्ट को न जलाने हेतु जागरूक करते हुये कृषि अवशिष्ट जलाने से होने वाली हानियों के बारे भी कृषकों को अवगत करायें। यह भी अवगत करायें कि मा0 उच्चतम न्यायालय एवं मा0 राष्ट्रीय हरित अधिकरण नई दिल्ली द्वारा दिये गए दिशा निर्देशों के अन्तर्गत पराली जलाने की घटनाओं पर पूर्णतया रोक लगाए जाने के निर्देश दिये गये हैं। 01 टन धान की फसल के अवशेष जलाने से 03 किग्रा0 कणिका तत्व (कार्बन), 60 कि0ग्रा0 कार्बन मोनो आॅक्साइड, 1460 कार्बन डाइ आॅक्साइड, 199 किग्रा0 राख एवं 02 किग्रा0 सल्फर डाई आॅक्साइड अवमुक्त होता है। इन गैसों के कारण सामान्य वायु की गुणवत्ता में कमी आती है, जिससे आॅखों में जलन व त्वचा रोग तथा सूक्ष्म कणों के कारण हदय एवं फेफडे़ की बीमारी के रूप में मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। इसके साथ ही मृदा में पोषक तत्वों के नष्ट होने के अतिरिक्त भूमि का तापमान, नमी एवं जैविक पदार्थ भी अत्याधिक प्रभावित होते हैं। धान की पराली, गन्ने की पताई एवं अन्य कृषि अवशिष्ट जलाने के कारण उत्पन्न हो रहे प्रदूषण के प्रभाव को कम करने, भूमि की संरचना को विकृत होने से बचाने, मृदा में ह्यूमस की मात्र एवं मृदा उर्वरता को संरक्षित रखने हेतु कृषि अवशिष्ट जलाना भूमि एवं पर्यावरण के अनुकूल नहीं है।
मा0 राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश के क्रम में पर्यावरणीय क्षति हेतु निम्नवत अर्थदण्ड निर्धारित किया गया हैः- कृषि भूमि का 02 एकड़ से कम होने की दशा में अर्थदण्ड रू0 2500/-प्रति घटना, कृषि भूमि का 02 एकड़ से अधिक, किन्तु 05 एकड़ तक होने की दशा में अर्थदण्ड रू0 5000/-प्रति घटना व कृषि भूमि का 05 एकड़ से अधिक होने की दशा में अर्थदण्ड रू0 15000/-प्रति घटना निर्धारित किया गया है। अतः फसल अवशेष को न जलाकर उसका प्रबन्धन करने हेतु पशुओं के चारे के रूप में प्रयोग, मिट्टी में मिलाकर खाद बनाना, भूमि की सतह पर मल्चिंग/पलवार के रूप में प्रयोग, धान की कटाई के बाद गेहूॅ की जोरो टिल सीउ-कम फर्टी ड्रिल से बुवाई, मशरूम की खेती में प्रयोग करना, रीपर का प्रयोग कर भूसा बनाना, मिट्टी में मिलाने से मिट्टी की भौतिक दशा में सुधान होना, जल धारण क्षमता में सुधार होना, अवशेषों को खेत में जुताई कर वेस्ट डिकम्पोजर का छिड़काव कर गलाना, फसल अवशेष प्रबन्धन हेतु यंत्रों यथा, पैडी स्ट्रा चाॅपर, एम0बी0 प्लाऊ एवं सुपर सीडर जैसे उन्नतशील यंत्रों का प्रयोग करना व फसल अवशेषों को इकट्ठा कर वेस्ट डिकम्पोजर के माध्यम से कम्पोस्ट खाद तैयार करें।

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