प्रभु श्री राम जी के प्रकट होने की कथा सुनकर लगे जयघोष, बरसे फूल
श्री राम जन्म महोत्सव का प्रसंग सुन कर झूम उठे श्रोता पंडाल में तालियों के साथ जोर जोर से हुए जय श्री राम के जय घोष
बिलसंडा। घनश्यामपुर में छप रही कथा में प्रवाचक ने कहा कि पृथ्वी पर जब-जब असुरों का आतंक बढ़ा है तब-तब ईश्वर ने किसी न किसी रूप में अवतार लेकर असुरों का संहार किया है। जब धरा पर धर्म के स्थान पर अधर्म बढ़ने लगता है तब धर्म की स्थापना के लिए ईश्वर को आना पड़ता है। भगवान राम ने भी पृथ्वी लोक पर आकर धर्म की स्थापना की। लिंक पर क्लिक कर सुनिये कथा-
यह उद्गार घनश्यामपुर में चल रही श्री रामकथा के दौरान आचार्य पं. पंकज मिश्र ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आज का व्यक्ति ईश्वर की सत्ता को मानने से भले ही इंकार कर दे लेकिन एक न एक दिन उसे ईश्वर की महत्ता को स्वीकार करना ही पड़ता है। संसार में जितने भी असुर उत्पन्न हुए सभी ने ईश्वर के अस्तित्व को नकार दिया और स्वयं भगवान बनने का ढोंग करने लगे, लेकिन जब ईश्वर ने अपनी सत्ता की एक झलक दिखाई तो सभी का अस्तित्व धरा से ही समाप्त हो गया। अधर्म के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति कितना ही शक्तिशाली क्यों न हो लेकिन धर्म के मार्ग पर चलने वाले के आगे अधिक समय तक नहीं टिक सकता। कथा व्यास ने कहा कि ब्राह्माण पूजनीय होता है। ब्राह्माण का कभी उपहास नहीं करना चाहिए। जिसने ब्राह्मण का उपहास किया है उसका सर्वनाश ही हुआ है। आचार्य ने श्रीराम जन्म की कथा सुनाते हुए कहा कि जब अयोध्या में भगवान राम का जन्म होने वाला था तब समस्त अयोध्या नगरी में शुभ शकुन होने लगे। भगवान राम का जन्म होने पर अयोध्या नगरी में खुशी का माहौल हो गया। चारों ओर मंगल गान होने लगे।
राम जन्म की कथा सुन पांडाल में मौजूद महिलाओ ने दीपक जला के मंगलगान किया फूल वर्षा, और जय श्री राम के जय घोष जोर जोर से पंडाल में गुझने लगे। इस प्रकार खुशियां मनाई गई। मुख्य यजमान प्रदीप मिश्रा ‘नन्हे’ आयोजक विद्याराम मिश्रा, दिलीप मिश्रा, रजनीश मिश्र सहित समस्त ग्रामवासी समेत अनेक लोग मौजूद रहे।
रिपोर्ट-रजत मिश्र
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