किसानों की गरीबी दूर कर रहा आलू, खेत से बिक्री चालू
-पूरनपुर तहसील क्षेत्र में सैकड़ों एकड़ में लगाई गई है आलू की फसल, कम समय में बढ़िया पैदावार व मुनाफा मिलने के आसार
– बाजार भी निभा रही आलू किसानों का साथ, खेत में ही बिक जाता है आलू
सतीश मिश्र
पूरनपुर। बाजार में नए आलू की बिक्री चालू है। यह आलू और कहीं से नहीं किसानों के खेतों से ही बाजार में आ रहा है। इस बार बढ़िया दाम मिलने से आलू उत्पादक किसान उत्साहित हैं और उनका धान, गन्ना व गेहूं से मोहभंग हो रहा है। पूरनपुर तहसील क्षेत्र में सैकड़ों एकड़ में इस बार आलू लगाया गया है। बाजार उठने से किसानों के चेहरे पर खुशी साफ देखी जा रही है। उनका आलू खेत से ही बिक जा रहा है। बिक्री के लिए न उन्हें मंडी में लाइन लगानी पड़ रही है और न समर्थन मूल्य का इंतजार करना पड़ रहा है। साथ ही किसी अधिकारी, कर्मचारी की डांट खाने से भी वे बच रहे हैं।
तहसील क्षेत्र के किसान अक्सर भेड़ चाल के तहत एक ही फसल के पीछे पड़ जाते हैं। धान की फसल में ऐसा ही देखने को मिल रहा है। उत्पादन की मुश्किलों के बाद बिक्री की जलालत झेल रहे किसान जहां सड़क पर रात गुजार रहे हैं वहीं अधिकारियों की डांट डपट व अभद्रता का शिकार भी हो रहे हैं। समर्थन मूल्य के लिए उन्हें बड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है। अगर वह अपना खेती करने का ढर्रा थोड़ा बदल दें तो इन सब मुसीबतों से सहज ही मुक्ति मिल जाएगी। आलू एक बढ़िया खेती है जो किसानों का दुख दरिद्र दूर करने में कारगर साबित हो रही है। पूरनपुर तहसील क्षेत्र में यूं तो सैकड़ों लोगों ने आलू की फसल लगाई है परंतु 2 टूक की टीम ने सिमरिया तालुके महाराजपुर में गुरुमंगद सिंह चीमा के फार्म पर आलू की फसल देखी। उन्होंने अपने 2 खेतों में करीब 10 एकड़ में आलू लगाया हुआ है। उनके अनुसार आलू के बीज में ही लागत लगती है। साथ में मशीन से गड़ाई व खुदाई हो जाती है। मिट्टी चढ़ाने व पानी देने में भी मामूली लागत आती है। सिर्फ 3 माह यानी 90 दिन में तैयार होने वाला आलू इस समय बाजार में 35 से ₹50 रुपया किलो तक बिक जा रहा है। गुरमंगद सिंह बताते हैं कि उनका आलू एक एकड़ में करीब 300 कट्ठा निकलता है और खेत से ही लाखों रुपए में बिक जाता है। आलू बेंचने हेतु उन्हें ना तो उन्हें समर्थन मूल्य के लिए इंतजार करना पड़ता है और ना किसी की सिफारिश लगानी पड़ती है। लिंक पर क्लिक करके देखे वीडियो-
गाँव के काफी किसानों ने भी लगाया है आलू
उन्होंने बताया कि सिमरिया गांव में उन से सीखते हुए काफी अधिक किसानों ने अपने खेतों में आलू लगा रखा है। उनके साथ अन्य किसान भी आलू का उत्पादन करके मुनाफा कमा रहे हैं। गुरमंगद सिंह मेरठ विश्वविद्यालय से आलू की उन्नत प्रजाति का बीज भी इस बार लाए हैं जिसे वे अगले वर्ष की बुवाई के लिए बीज के रूप में प्रयोग करेंगे।
किसानों की आमदनी दोगुनी कर रहा आलू
किसानों की मानें तो रेतीली जमीन में आलू का उत्पादन काफी अच्छा होता है। कम लागत में बढ़िया मुनाफा वह भी कम समय में प्राप्त करने के लिए आलू की खेती बहुत अच्छी है और यह मोदी सरकार द्वारा घोषित किए गए आमदनी दोगुनी करने के मिशन को कामयाब बनाने में भी कारगर साबित हो रही है। परंतु सरकार आलू उत्पादकों को कोई सुविधा नहीं मुहैया करा पा रही है। यहां तक कि आलू रखने हेतु कोल्ड स्टोर भी पूरनपुर में नहीं है। ऐसे में आलू को सुरक्षित कैसे रखा जा सके।
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