पर्यटन के रूप में विकसित करने के दृष्टिगत गोमती उद्गम स्थल का जिलाधिकारी ने किया निरीक्षण

पीलीभीत। जिलाधिकारी पूलकित खरे द्वारा आज गोमती उद्गम स्थल को पर्यटन के रूप में विकसित व कछुआ संरक्षण केंद्र स्थापित करने के दृष्टिगत निरीक्षण किया गया। इस दौरान जिलाधिकारी द्वारा गोमती उद्गम स्थल पर कछुआ संरक्षण केंद्र स्थापित करने के दृष्टिगत टर्टर सरर्वाइवल एलाइंस के भारतीय कार्यक्रम के निदेशक डॉ

शैलेंद्र सिंह से इस सम्बन्ध में वार्ता की गई। इस दौरान डॉक्टर शैलेंद्र सिंह द्वारा अवगत कराया गया कि पीलीभीत जनपद में 12

प्रकार की कछुए की प्रजातियां पाई जाती हैं तथा उनके विकास हेतु जनपद में अनुकूल परिस्थितियां व वातावरण है। संरक्षण केंद्र स्थापित होने से उनके विकास की ओर संभावनाएं बढ़ सकेंगी। संरक्षण केंद्र स्थापित करने के संबंध में ट्रस्ट से भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित करने व शीघ्र ही आगणन प्रस्ताव तैयार कर भेजने हेतु डीएफओ व तहसीलदार कलीनगर को निर्देशित किया। लिंक पर क्लिक कर सुनिये क्या बोले जिलाधिकारी-

https://youtu.be/te2kf-h__XY

गोमती उद्गम स्थल के सुंदरीकरण के दृष्टिगत पूर्व निरीक्षण में दिए गए निर्देशों के अनुपालन की समीक्षा के दौरान जिला उद्यान अधिकारी को मनरेगा से उद्गम स्थल पर उद्यान विकसित करने हेतु निर्देशित किया गया। उन्होंने कहा कि स्लोपिंग के कार्य में अच्छी प्रकार की फुलवारी व वृक्षों का रोपण किया जाए जिससे लोगों के आकर्षण का केंद्र बन सके। इस दौरान जिला अधिकारी ने बनाई जा रही आदर्श गौशाला के कार्यों का निरीक्षण किया गया और मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी को निर्देशित किया कि गौशाला में अच्छी

प्रजाति की गायों को संरक्षित करते हुए इसे भी पर्यटन से जोड़ा जाएगा। पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के दृष्टिगत उद्गम स्थल पर शीघ्र कैंटीन की व्यवस्था संचालित करने के साथ-साथ अच्छी प्रकार की लाइटिंग की व्यवस्था करने हेतु आवश्यक दिशा निर्देश दिए। पर्यटको को आकर्षित करने हेतु उद्गम की झील- 2 में नौकायन के संचालन हेतु विचार विर्मश करते हुए आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए।

स्थल पर बनी ट्री हट की कमियों को पूर्ण करते हुए समस्त व्यवस्थाएं सुनिश्चित कर शीघ्र संचालन के संबंध में निर्देश दिए गए।
गोमती गोमती उद्गम स्थल पर पर्यटक व भक्तों को आकर्षित करने के दृष्टिगत बनारस की आरती की तर्ज पर मां गोमती की भव्य व सुंदर आरती प्रतिदिन व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। उद्गम स्थल के स्रोतों को पुनः विकसित करने हेतु रिमोट सेंसिंग के माध्यम से चिह्नांकन कराया जाएगा तथा गोमती के अविरल धारा को विकसित करने हेतु उसकी साफ-सफाई कराई जाएगी।


इस दौरान उप जिलाधिकारी सी वी सिंह,अधिशासी अभियंता सिंचाई हरिश्चन्द यादव, डीसी मनरेगा मृणाल सिंह ,तहसीलदार विजय त्रिवेदी, खंड विकास अधिकारी पूरनपुर, कछुआ संरक्षण कार्यक्रम के निदेशक डॉ शैलेंद्र सिंह सहित अन्य अधिकारी गण उपस्थित रहे।

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