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पीलीभीत के युवा वैज्ञानिक ने की खोज : बल्व जलाकर भगाइये डायविटीज

पूरनपुर के धर्मेंद्र ने विकसित की इंसोल टी, काफी लोगों को मिल चुका है लाभ

पूरनपुर। डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो लोगों को शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान करती है। लोगों को आर्थिक क्षति भी बहुत होती है परंतु लोग इससे लड़ते ही रहते हैं और जीत नहीं पाते। अब पूरनपुर के एक युवा वैज्ञानिक ने एक ऐसा बल्व विकसित किया है जिसे जलाकर आप चैन की नींद सो जाइए, डायबिटीज खुद समाप्त हो जाएगी। इतना ही नहीं इस बल्व से ब्लड प्रेशर भी संतुलित हो जाएगा। इसे भले आप एक चमत्कार समझ रहे हो परंतु यह प्रक्रिया पूरी तरह से वैज्ञानिक है और धर्मेंद्र कुमार की यह खोज फ्रांस तक धूम मचा चुकी है। यह अलग बात है की लॉकडाउन ने उनके कदम फ्रांस जाने से रोक दिए। अब वे स्थानीय स्तर पर देशवासियों को ही लाभ पहुंचाने की दिशा में जुट गए हैं।
धर्मेंद्र कुमार मूल रूप से पूरनपुर तहसील क्षेत्र के ग्राम महुआ गुंदे के निवासी हैं और वर्तमान समय में घुंघचाई क्षेत्र के गोपालपुर गांव में रह रहे हैं। उनके पिता विश्राम सागर अध्यापक हैं। धर्मेंद्र ने एआईटी कानपुर से बीटेक किया और बाद में डीएमई डायविटीज का डिप्लोमा लिया। इसके बाद उन्होंने हैदराबाद की एक कंपनी में जॉब शुरू किया परंतु पारिवारिक कारणों से उन्हें या जाब छोड़कर घर लौटना पड़ा। यहीं से इस युवा वैज्ञानिक की खोज की शुरुआत हुई।

 

मां की बीमारी ने तंग किया तो डायविटीज के बारे में सोचना शुरू किया

उनकी माता विमला देवी डायबिटीज की मरीज थी। इस कारण उन्हें काफी दिक्कत रहती थी। धर्मेंद्र एक दिन अपनी मां को उपचार के लिए पूरनपुर के एक निजी चिकित्सक के यहां ले गए। चिकित्सक के व्यवहार से वे इतना अधिक खिन्न हुए कि उन्होंने डायबिटीज को जड़ से समाप्त करने के बारे में सोचना शुरू कर दिया और अपने वैज्ञानिक दिमाग का इस्तेमाल करते हुए इस डिवाइस को तैयार कर दिया। सफलता मिली तो पहले मां की बीमारी खत्म की और अब वे इस डिवाइस के जरिए दर्जनों लोगों को ठीक कर चुके हैं। स्थानीय लोग उनकी इस काबिलियत का पूरा लाभ ले रहे हैं। नीचे दिए लिंक पर क्लिक करके धर्मेंद्र कुमार से सुनिये पूरी कहानी। उनसे बात कर रहे हैं पत्रकार सतीश मिश्र-

https://youtu.be/xzNmcwGx3UI

कैसे काम करती है डिवाइस

धर्मेंद्र की मानें तो बल्व में इंसोल टी फिट की गई है। रोगी को सिर्फ कमरे में रात को यह बल्ब जलाकर सोना है। बाकी काम डिवाइस करेगी और 60 से 90 दिनों तक यह प्रक्रिया अपनाने पर डायबिटीज समूल नष्ट हो जाएगी। वे बताते हैं कि इसकी तरंगे हमारे शरीर में स्टेम सेल के जरिए प्रवेश करती हैं और धीरे-धीरे हमारे अमीनो एसिड्स के स्तर को बढ़ाती हैं व मजबूत बनाती हैं जिससे न्यूरोट्रांसमीटर्स व रिसिवर्स पूरी तरह से काम करने लगते हैं। जिससे हमारे शरीर के अंदर के बीटा सेल्स मजबूत हो जाते हैं और पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन बनाने लगते हैं। जिससे डायबिटीज समाप्त होती है और रोगी को किसी एलोपैथिक दवा की जरूरत नहीं पड़ती।

फ्रांस से आया बुलावा लेकिन कोविड ने डाला अड़ंगा

इस अद्भुत खोज के लिए धर्मेंद्र कुमार को अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की संस्था लेरिक्स इंटरनेशनल कम्युनिटी ने प्रस्तुतीकरण के लिए फ्रांस बुलाया परंतु पिछले 1 साल से जारी लॉकडाउन के चलते वे फ्रांस नहीं पहुंच सके। अब उन्हें इंतजार है लॉकडाउन खुलने का जब वे विदेश जाकर अपनी खोज को अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के समक्ष प्रस्तुत करेंगे। हालाकि शोध पत्र आदि प्रकाशित हो चुके हैं और उनकी इस खोज को देशभर में प्रसिद्धि मिल रही है। धर्मेंद्र का मानना है कि अगर फ्रांस नहीं पहुंच सके तो वे अपने देशवासियों को फायदा पहुंचाने के लिए स्थानीय स्तर पर ही काम करेंगे और प्रचार प्रसार करके लोगों को इसके फायदे समझाएंगे। यह इंसोल टीम काफी कम कीमत में मिल जाती है और काफी उपयोगी साबित हो रही है।

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