कविता : “क्रान्ति के पुरोधा श्री सुभाष को प्रणाम है”
सुभाष चंद्र बोस
क्रान्ति का सुवृक्ष रोपा निज देश प्रांगण में,
चहुँ ओर फैल रही कीरति ललाम है।
देश से विदेशियों की सत्ता उनमूलन में,
राष्ट्र को ही सौंप दिया जीवन तमाम है ।
करके सुसंगठित क्रान्तिकारी युवकों को,
देश भक्ति की जगाई भावना प्रकाम है।
काँपने लगा विदेशी शासन था नाम से ही,
क्रान्ति के पुरोधा श्री सुभाष को प्रणाम है।।
रचनाकार-पंडित राम अवतार शर्मा
(अध्यक्ष देवनागरी उत्थान परिषद)
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