तेल महंगा हुआ तो किसानों ने उगाई सरसों, खेतो में बिखरा नजर आ रहा सोना
घुंघचाई। तराई गन्ना, धान व गेहूं की किसानों द्वारा बड़े पैमाने पर खेती की जाती है। लेकिन इस बार फसल चक्र बदलकर तेल पर आई महंगाई के कारण सरसों की खेती अधिक क्षेत्रफल में की गई है। लोग खुद सरसों उपजा कर महंगे तेल से निजात पाना चाहते हैं। प्रदेश में चुनावी दौर चल रहा है। कृषि कानून बिल केंद्र सरकार द्वारा वापस ले लिया गया। किसान घर वापस होलिए लेकिन एमएसपी पर गारंटी चाहते हैं। जनपद पीलीभीत कृषि प्रधान माना जाता है। अमूमन यहां के किसान गन्ना, गेहूं व धान की फसल का बड़े पैमाने पर उत्पादन करते हैं लेकिन दलहन तिलहन की फसलों से उन्होंने बीते लंबे अरसे से अपना रिश्ता तोड़ दिया। लिंक पर क्लिक कर देखें वीडियो-
बीते कुछ दिनों से सरसों के तेल पर भारी महंगाई देखी गई जिसके कारण गोपालपुर, दिलावलपुर, घाटमपुर, बिलंदपुर अशोक, घुंघचाई, जगतपुर, जमुनिया सहित कई गांवों में किसानों द्वारा बड़े पैमाने पर सरसों की खेती की गई है जिससे माना जा रहा है कि वे महंगे हुए तेल से निजात पाना चाहते हैं और फसल चक्र बदलकर किसानों को भी फायदा होगा क्योंकि उनके घर जब दलहन तिलहन और सरसों जैसे अनाज होंगे तो सामंजस्य बेहतर रहेगा। इस मामले में उन्नतशील किसान वीरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि किसानों को चाहिए कि समय-समय पर खेती किसानी का कार्यक्रम बदलता रहना चाहिए। हर बार धान, गेहूं और गन्ने की फसल करना बेहतर नहीं है। हम लोगों के पास जरूरत की चीजें आ जाएंगी जब हम उन्हें उपजाएंगे तब लाभ होगा। इसी मामले में गांव के ही अरुण शंकर शुक्ला, घाटमपुर निवासी लक्ष्मण प्रसाद वर्मा ने बताया कि पद्धति बदलनी चाहिए। फसल चक्र बदलने से हमको बेहतर उत्पादन मिलता है और हमें घर गृहस्थी के संचालन में काफी सहयोग मिलता है। हालांकि इस बार सरसों व लाही की खेती बेहतर तरीके से की गई है और उसको देखकर लोग गदगद हैं।
रिपोर्ट-लोकेश त्रिवेदी।
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