मकर संक्रांति : पर्व कब मनाएं क्योंकि एकमत नहीं आचार्य, जांनिये क्यों 15 जनवरी को मनाने के पक्षधर हैं पण्डित अनिल शास्त्री
धर्म-कर्म मकर संक्रान्ति 2022 : एक बार फिर इस वर्ष मकर संक्रांति 14 और 15 जनवरी के चक्कर में फंसा है। कुछ पंचागों के अनुसार 14 जनवरी तो कुछ के अनुसार 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाना शुभ है। इसलिए कुछ लोग शुक्रवार तो कुछ लोग शनिवार को पूजा-पाठ व दान-पुण्य के बाद चूड़ा-दही व गुड़ के साथ तिलुकट आदि का मजा लेंगे। शास्त्र व पंचागों के अनुसार पुण्यकाल में चूड़ा-दही व तिल खाना शुभ होगा। हालांकि वर्षों से चली आ रही 14 जनवरी वाली परंपरा को मानने वाले इस दिन चूड़ा-दही का मजा लेंगे।
मार्तण्ड, शताब्दी पंचाग के अनुसार 14 और हृषिकेश और महावीर के अनुसार 15 को मनाना शुभ
इन 4 राशियों के जीवन में नहीं आता कोई संकट, बजरंगबली और शनिदेव करते हैं इनकी रक्षा भगवान सूर्य बारह राशियों के भ्रमण के दौरान जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है। इसे ही सरकात, लोहड़ा, टहरी, पोंगल आदि नामों से जानते हैं। मकर राशि के सूर्य होने पर तिल खाना शुभ होता है। बताया कि कुछ पंचागों के अनुसार 14 जनवरी की दोपहर में सूर्य मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं तो कुछ में रात में। मार्तण्ड पंचात के अनुसार 14 जनवरी की दोपहर 2.29 बजे मकर राशि में सूर्य प्रवेश कर रहे हैं और पुण्यकाल शनिवार को 6.27 बजे से है। ब्रदीकाशी पंचाग के अनुसार दोपहर में 2.29 व शताब्दी के अनुसार दोपहर 1.21 मकर राशि के सूर्य हो रहे हैं। जबकि अन्नपूर्णा पंचाग के अनुसार 14 जनवरी की रात 8.18 बजे सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे और 4.18 बजे से। हनुमान पंचाग के अनुसार रात 10.19, आदित्य के अनुसार रात 8.12, गणेश आपा के अनुसार रात 8.01, हृषिकेश (हरिहर) के अनुसार रात 8.49, हृषिकेश शिवमूर्ति के अनुसार रात 8.49, दैनन्दिनी के अनुसार रात 8.49 और विश्व के पंचांग के अनुसार शाम 7.59 और महावीर पंचाग के अनुसार रात 8.34 बजे मकर राशि में सूर्य प्रवेश करेंगे। आचार्य ने बताया कि पंचांगकार ग्रंथिय प्रमाण के आधार पर संक्रांति प्रवेश काल से 8 या 16 घंटा पहले या बाद पुण्यकाल होता है। गया में सूर्योदय 6.41 बजे यानी पुण्यकाल सूर्योदय से पहले शुरू होता है।
काशी के सभी पंचांग में सूर्य भगवान मकर राशि में शाम को ही प्रवेश कर रहे हैं अतः 15 तारीख को ही हर्षोल्लास के साथ खिचड़ी का पर्व मनाना चाहिए विशेष रुप से तिल के बने हुए लड्डू या तिल की गाय दान करनी चाहिए वस्त्र भी दान कर सकते हैं स्कंद पुराण के अनुसार मकर सक्रांति को किसी भी शिवाले पर तिल के तेल का दीपक जलाने से विशेष ग्रह शांति होती है जय श्री राधे। पण्डित अनिल शास्त्री, पुजारी, शिवशक्तिधाम, पूरनपुर।
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