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पीलीभीत में भाजपा के सामने अस्तित्व बचाने की चुनौती

 

-मुस्लिम और सिख मतदाता हुए लामबंद, हिंदुओं में सपा, बसपा व कांग्रेस की सेंधमारी

पीलीभीत। विधानसभा चुनाव के लिए कल 23 फरवरी को मतदान होगा। पीलीभीत जनपद की चारों विधानसभा सीटें भारतीय जनता पार्टी के कब्जे में थीं लेकिन अब भाजपा को इन सीटों को बचाना एक बहुत बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। काफ़ी संख्या में स्टार प्रचारकों को उतारने के बाद भी भाजपा को जीत के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। कहीं समाजवादी पार्टी से सीधा मुकाबला है तो कहीं बसपा भी मुकाबिल है। सिख और मुस्लिम मतदाताओं के भाजपा के खिलाफ लामबंद होने और हिंदुओं में सभी पार्टियों द्वारा पैठ बनाने के बाद स्थिति क्या रहेगी यह कहना अभी काफी कठिन होगा। चिंता की लकीरें भाजपाइयों के चेहरों पर साफ नजर आ रहीं हैं यह बात अलग है कि इसे छिपाने का प्रयास किया जा रहा है।
शहर विधानसभा सीट की बात करें तो यहां भाजपा प्रत्त्याशी व मौजूदा विधायक संजय सिंह गंगवार को समाजवादी पार्टी के डॉक्टर शैलेंद्र सिंह गंगवार करारी टक्कर दे रहे हैं। वहीं बसपा के शाने अली जो पूर्व कैबिनेट मंत्री हाजी रियाज अहमद के बेटे हैं मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में लगे हैं। शाने अली के सगे मामा कांग्रेस प्रत्याशी हैं। वे भी मुस्लिम मतों में तोड़फोड़ करने का काम कर रहे हैं। भाजपा ने यहां चाणक्य कहे जाने वाले गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित कई स्टार प्रचारकों को उतारा है तो सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव जनसभा करके माहौल गर्म कर गए हैं। ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो 10 मार्च को पता लगेगा लेकिन अभी मौजूदा विधायक संजय गंगवार को अपनी कुर्सी बचाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है।
पूरनपुर से भी मौजूदा विधायक बाबूराम पासवान भाजपा प्रत्याशी हैं। उन्हें समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी आरती महेंद्र कड़ी टक्कर दे रही हैं। भाजपा के ही सिपहसालार अशोक राजा बसपा के हाथी पर सवार होकर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में लगे हैं तो कांग्रेस प्रत्याशी ईश्वर दयाल पासवान व निर्दलीय पासी दीप्ति वर्मा भी पासवान समाज से हैं और वे बाबूराम पासवान की बिरादरी के वोटों में सेंधमारी करने का प्रयास कर रहे हैं। पूरनपुर में मुस्लिमों के अलावा सिख मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है और यह सभी भाजपा के खिलाफ लामबंद हो रहे हैं जबकि हिंदू मत सपा, बसपा व कांग्रेस सहित अन्य दलों में विभाजित हो रहे हैं। ऐसे में बाबूराम पासवान को दोबारा विधायक बनकर लखनऊ पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है। हालांकि खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा, केंद्रीय राज्य मंत्री मेघवाल, सांसद शांतनु ठाकुर, कैबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद सहित कई बड़े नेता यहां पहुंचकर उनका टैंपो हाई कर गए हैं। सपा, बसपा व कांग्रेस का कोई बड़ा नेता यहां चुनाव प्रचार करने नहीं पहुंचा है।
बरखेड़ा विधानसभा क्षेत्र में भाजपा ने मौजूदा विधायक किशनलाल राजपूत का टिकट काटकर स्वामी प्रवक्तानंद को प्रत्याशी बनाया है। पूर्व मंत्री व सपा प्रत्याशी हेमराज वर्मा की उनसे सीधी टक्कर बताई जा रही है। हालांकि कांग्रेस प्रत्याशी हरप्रीत सिंह व बसपा प्रत्याशी मोहन स्वरूप भी जोर आजमाइश कर रहे हैं परंतु सपा और भाजपा में ही मुख्य मुकाबला होने के आसार हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह सहित कई नेता यहां पहुंच कर चुनाव को हवा दे गए हैं।
बीसलपुर विधानसभा सीट पर मौजूदा विधायक रामसरन वर्मा के बेटे विवेक कुमार वर्मा को भाजपा प्रत्याशी बनाया गया है। उनके मुकाबले में बसपा सरकार में कई बार मंत्री रहे अनीस अहमद खान उर्फ फूल बाबू हैं तो समाजवादी पार्टी ने पूर्व सांसद परशुराम गंगवार की बेटी दिव्या गंगवार को मैदान में उतारा है। दिव्या गंगवार अपनी बिरादरी के मतदाताओं को अपने पक्ष में करने में जुटीं हैं वहीं मुस्लिम मतदाताओं का रुझान फूल बाबू की तरफ होने और उन्हें भारी तादाद में हिंदू मत मिलने की संभावनाओं के चलते यहां बसपा भी मजबूत होती जा रही है। ऐसे में भाजपा को यह सीट बचाना भी मुश्किल काम होगा। विवेक वर्मा का पलड़ा भारी करने के लिए खुद सीएम योगी का उड़न खटोला यहां उतरा तो उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा, केबिनेट मंत्री जितिन प्रसाद सहित कई भाजपा नेता भी यहां पहुंचे। सपा, बसपा व कांग्रेस का कोई बड़ा नेता इस विधानसभा क्षेत्र में भी नहीं पहुंचा है।

भाजपा को अपनों से भी मिल रही चुनौती

भाजपा को हराने के लिए जहां मुस्लिम व सिख मतदाता एकजुट हैं वही पार्टी को अपनों से भी नुकसान हो रहा है। जिन्हें बीजेपी में टिकट नही मिला है वे अभी तक मुंह फुलाये बैठे हैं। सिर्फ बड़े नेताओं के मंच तक इनकी सक्रियता दिखी है। भाजपा सांसद वरुण गांधी इस चुनाव में पूरी तरह गायब हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जन सभा रही हो या गृह मंत्री अथवा रक्षा मंत्री की। किसी भी जनसभा में वरुण गांधी शामिल नहीं हुए और ना ही चुनाव के दौरान पीलीभीत आकर चुनाव प्रचार किया है। चुनाव के दौरान भाजपा के खिलाफ जहर उगलते उनके ट्वीट भाजपा के लिए नुकसानदेह हो सकते हैं। बरखेड़ा के भाजपा प्रत्याशी को हराने के लिए कई ऑडियो भी वायरल हुए हैं। इससे बचने के लिए अब सांसद के सिपहसालार समर्थकों के बीच जाकर गोपनीय बैठकें कर रहे हैं। इन बैठकों में क्या गुल खिलाया जा रहा है यह 10 मार्च को ईवीएम खुलने के बाद ही पता चल पाएगा। उधर किसान नेता व पूरनपुर के पूर्व विधायक वीरेंद्र मोहन सिंह भी इस चुनाव में खामोश हैं। भाजपा की स्टार प्रचारक घोषित होने के बाद भी पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी चुनाव प्रचार करने पीलीभीत नहीं पहुंचीं हैं।

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