
होली गीत : डूब रंग में एक हुए सब खुशी मनाओ होली है…होली है
होली गीत
आया है ऋतुराज लुभाने कू कू कोयल बोली है।
डूब रंग में एक हुए सब खुशी मनाओ होली है।।
पतझड़ झड़ते नव पल्लव वृक्षों ने अंग सजाए।
टेसू खिला, पक रहा गेहूं जन-जन के मन भाए।
हरियाली यूं पसर गई जैसे बसंती की डोली है।
डूब रंग में एक हुए सब खुशी मनाओ होली है।।
साफ सफाई हुई घरों की कीन्ही खूब पुताई।
पापड़ कचरी पकवानों में गुझियां सबको भाईं।
चौक बनाकर फूल चढ़ाए सजवाई रंगोली है।
डूब रंग में एक हुए सब खुशी मनाओ होली है।।
रंग चढ़े तो रिश्ते भूले है सब का मन डोला।
बच्चों ने पिचकारी लेकर उसमें है रंग घोला।
“जीजाजी रंग दूंगी तुमको” आकर साली बोली है।
डूब रंग में एक हुए सब खुशी मनाओ होली है।।
मारपीट अब बंद हो चुकी नहीं बात गोली की।
भूल गए हैं भेदभाव सब है बहार होली की।
सबको गले लगाया हमने सभी बुराई धोली है।
डूब रंग में एक हुए सब खुशी मनाओ होली है।।
गली-गली गीतों की महफिल धमहर करे धमाल।
पीला हरा बैंगनी नीला रंग किसी का लाल।
चेहरों की पहचान खो गई ऐसी हुई ठिठोली है।
डूब रंग में एक हुए सब खुशी मनाओ होली है।।
होली संग जल गई बुराई आया भाईचारा।
जौं की बाली से पूजन कर बोला है जयकारा।
कायम रहे एकता यूं ही तब ही सच्ची होली है।
डूब रंग में एक हुए सब खुशी मनाओ होली है।।
आया है ऋतुराज लुभाने कुकू कोयल बोली है।
डूब रंग में एक हुए सब खुशी मनाओ होली है।।
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रचनाकार-सतीश मिश्र “अचूक”आशुकवि/पत्रकार 9411978000 संपादक समाचार दर्शन 24
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