
किसानों के लिए मुसीबत बनी तेज बारिश, गन्ना बाहुल्य इलाके में फसल कटाई की भांति बिछी, टूटी अन्नदाता की कमर
तेज हवाओं के साथ हुई बारिश से धराशाई हुई गन्ने की फसल
लखीमपुर-खीरी। तेज हवाओं के साथ हुई बारिश ने गन्ना किसानों की मुसीबतें बढ़ा दी हैं। खेतों में तैयार खड़ी गन्ने की फसल तेज हवाओं के कारण पलट गई। सीतापुर-लखीमपुर में करीब दस हजार एकड़ गन्ने की फसल बारिश से प्रभावित हुई है। गन्ने के उत्पादन का गढ़ माने जाने वाले यूपी के सीतापुर और लखीमपुर जिले में गन्ने की फसल को भारी नुकसान हुआ है। लखीमपुर खीरी के किसान बबलू मिश्रा बताते हैं कि हमारा गन्ना पत्ती सहित करीब 15 फीट का हो गया था, लेकिन बारिश के साथ हवा ने गन्ने को तहस-नहस कर दिया। बताया कि उनका करीब 20 एकड़ से अधिक गन्ना पलट गया है। ऐसे में मजदूर भी नहीं मिलते हैं, जिससे गन्ने को सीधा करके बंधवाया जा सके। ग्राम मिड़ईपुरवा के किसान अचल मिश्रा का कहना है कि तेज हवा व बारिश की वजह से करीब चालीस बीघा गन्ने की फसल पलट गई है। जहां हम एक एकड़ में साढ़े सात सौ कुंतल के आसपास गन्ने की पैदावार करते थे, वहीं सारा गन्ना गिर जाने की वजह से करीब पंद्रह फीसद से बीस फीसद गन्ने की पैदावार कम हो जायेगी। गन्ना गिर जाने की वजह से चूहे व जंगली सुअर भी खाना शुरू कर देंगे। जिला गन्ना अधिकारी ब्रजेश पटेल का कहना है कि जिले में लगभग सवा तीन लाख हेक्टेयर भूमि पर गन्ने का उत्पादन होता है। करीब 15 से 20 फीसद गन्ने की फसल को नुकसान हुआ है। गन्ना विभाग द्वारा किसी भी प्रकार की दैवीय आपदा प्रबंधन में सहायता प्रदान करने का प्रावधान नही हैं। राजस्व विभाग चाहे तो कुछ कर सकता है। इस सम्बन्ध में पलिया उप जिलाधिकारी पूजा यादव ने बताया कि गन्ने का सर्वे चल रहा है, राजस्व विभाग की टीमें सर्वे कार्य में लगाई गयी हैं। जल्द ही इसकी रिपोर्ट बना कर जिला मुख्यालय प्रेषित की जायेगी। इसके बाद प्राकृतिक आपदा प्रबंधन के तहत जो भी उचित होगा सहायता प्रदान की जायेगी।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से मिले गन्ने की फसल का मुआवजा
गन्ने की फसल प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में शामिल है ।किसानों का प्रीमियम भी बैंकों द्वारा काटा गया है। ऐसे में किसानों को गन्ने की फसल खराब होने पर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से लाभ मिलना चाहिए परंतु अभी तक इस और कोई प्रयास नहीं हुए हैं। किसानों की मांग है कि उन्हें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से मुआवजा दिया जाना चाहिए।
(लखीमपुर-खीरी से निर्जेश मिश्रा की रिपोर्ट)