
पीलीभीत पार करके शाहजहांपुर पहुंची माँ गोमती पदयात्रा, हुआ भव्य स्वागत
पंचतत्व फाउंडेशन की संस्थापक वाटर वूमेन शिप्रा पाठक का जगह जगह हो रहा भव्य स्वागत
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पूरनपुर (पीलीभीत)। पंचतत्व फाउंडेशन की शिप्रा पाठक द्वारा 3 दिन पूर्व गोमती उद्गम तीर्थ से शुरू की गई मां गोमती की पदयात्रा आज चौथे दिन पीलीभीत जनपद की सीमा पार करके शाहजहांपुर जनपद में प्रवेश कर गई। इस यात्रा का जगह-जगह भव्य स्वागत हो रहा है। बंडा की आरएसएस व गायत्री परिवार की टोली ने मंसाराम स्थल पहुंचकर स्वागत किया। रात्रि विश्राम सुनासीर नाथ में प्रस्तावित है। यात्रा में स्थानीय लोग लगातार जुड़ रहे हैं। अधिकारी व जनप्रतिनिधि भी इस यात्रा में सहभागी बन रहे हैं।
आज सुबह काफी जल्दी यात्रा प्रारंभ हुई। जनपद के भजही घाट व बंजार घाट से होते हुए या यात्रा शाहजहांपुर जनपद में प्रवेश कर गई।
मंशाराम स्थल पर बंडा की टोली के देवेश गंगवार आदि लोगों ने पहुंचकर स्वागत किया। आज संत बाबा राघव दास, आरएसएस के प्रांतीय घोष प्रमुख ललित कुमार, रविंद्र कुमार नंद, शैलेश पाठक, अंकित पाठक, सृष्टि शर्मा आदि साथ में मौजूद हैं। आर एस एस की शाहजहांपुर की टीम व गायत्री परिवार के लोग भी यात्रा में सहभागी बन रहे हैं। दोपहर में यह यात्रा झोकननाथ घाट पहुंची, जहां मुकेश शुक्ला द्वारा भोजन व्यवस्था की गई। भोजन व विश्राम के बाद यात्रा
सुप्रसिद्ध सुनासीर नाथ घाट के लिए रवाना हो गई। वहां शाम को 6 बजे आरती पूजा होगी और भोजन के बाद रात्रि विश्राम होगा। रविवार को यात्रा आगे रवाना होगी।
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शुक्रवार को तृतीय दिवस की यात्रा त्रिवेणी घाट से चल कर अजीतपुर विल्हा, टांडा ग्राम पंचायतों को पार करती हुई गुलडिया भूपसिंह पहुँची। शिप्रा पाठक ने मार्ग में सिमरा घाट पर माँ गोमती की आरती करके गांव वालों से संवाद किया।
पीलीभीत के सबसे प्रसिद्ध मंदिर इकोत्तर नाथ बाबा के दर्शन कर वहीं भोजन प्रसाद ग्रहण किया। आगे जंगल मार्ग तय करते हुए बरगदिया नाथ जी के दर्शन करते हुए गुलड़िया भूपसिंह में अनिल सिंह एडवोकेट के घर रात्रि विश्राम किया।
तृतीय दिन की यात्रा में प्रथम पड़ाव तक सहभागी बने आरएसएस के विभागप्रचारक_धर्मेंद्र भारत जी। दूसरे पड़ाव पर उप ज़िलाधिकारी पूरनपुर आशुतोष गुप्ता के साथ घुंघचाई के थाना इंचार्ज राजेंद्र सिरोही ने अपनी सहभागिता दी।
उप ज़िलाधिकारी ने गौ माता का स्मृति चिन्ह देकर इस यात्रा को सनातन संस्कृति की यात्रा का नाम दिया। मंदिर परिसर में क़रीब एक घंटा उनसे इस यात्रा के उद्देश्य को लेकर वाटर वूमेन से चर्चा हुई। कल की यात्रा में शिप्रा पाठक ने देखा कि कई स्थानों पर माँ गोमती के किनारों को पाट दिया गया है और उनकी चौड़ाई कम होती जा रही है।

अतः उप ज़िलाधिकारी से यात्रा में यही उपहार देने का वचन लिया कि जितनी माँ की भूमि है उतनी भूमि की नाप करवा कर उसे माँ गोमती के नाम करा दीजिए। बोलीं कि निकृष्ट संतानें ही माँ की भूमि को उस से छीनती हैं। अतः यात्रा के प्रथम स्तर पर पहले माँ की भूमि माँ को दिलवाऊँगी फिर उनके किनारों पर पौधारोपण आरम्भ होगा। उप ज़िलाधिकारी ने पूरी तरह सहमत होकर कहा कि गेंहू कटते ही ये कार्य पूरी तीव्रता से आरंभ कर दिया जायेगा।
मंदिर परिसर में स्वच्छता की व्यवस्था ठीक नहीं है। इसके लिए मुख्य महंत एवम् थाना इंचार्ज से वार्ता हुई कि जगह जगह बड़े बड़े ड्रम रखे जाएँ। मुख्य रूप से कचरा भंडारे के बाद इधर उधर फेंकी गई पत्तलों एवम् गिलासों से होता है उसे अनिवार्य रूप से ड्रम में डाला जाये। मंदिर के लाउडस्पीकर से लगातार ये बोला जाये कि कचरा इधर उधर ना फेंके। भंडारे करने वालों को उसी दिन ये अच्छे शब्दों में समझाया जाए कि भंडारे के उपरांत मंदिर परिसर को पूरा स्वच्छ करने कि ज़िम्मेदारी भी आपकी है। मंदिर को सौंदर्य युक्त बनाने के लिए रंग रौगन होना चाहिए जिसमें हर भक्त भी अपनी सहभागिता दे।
मंदिर परिसर में ही उप ज़िलाधिकारी की अध्यक्षता में सभी सामाजिक संगठनों, अध्यापकों, चिकित्सकों, वकीलों व हर वर्ग के प्रमुख व्यक्तियों को बुलाकर मंदिर की स्वच्छता पर बात करके सभी को उनकी ज़िम्मेदारी सौपीं जानी चाहिए। ये पीलीभीत क्षेत्र का सबसे सिद्ध स्थान है अतः हर वर्ग की ज़िम्मेदारी है इसके प्रति आस्था रखते हुए मंदिर की सेवा में समर्पित हों।
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