
“भृगु कुल चन्दन परशुराम को मेरा कोटि नमन है”
श्री परशुरामाय नमः
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कीर्ति कौमुदी से जिनकी आलोकित धरा गगन है।
भृगु कुल चन्दन परशुराम को मेरा कोटि नमन है।।
शौर्य, तेज, बल, बुद्धि धाम प्रभु पितु के आग्याकारी।
अज, अनन्त तुम पूर्णकाम शुभ नारायण अवतारी।
शिव से पाकर दिव्य परशु फिर परशुराम कहलाये।
पितु वध का प्रतिशोध हुए तब सहसबाहु संहारी।
प्रणत तुम्हारे श्री चरणों में सबका अन्तर्मन है।
भृगु कुल चन्दन परशुराम को मेरा कोटि नमन है।।१।।
अत्याचारों के विरोध हित क्रान्ति दूत बन आए।
शत्रु रुधिर से पितु तर्पण कर पूर्णकाम कहलाये।परशु, चाप, शर, कर काँधे पर ब्रह्म सूत्र धारण कर।
दुष्ट दलन हित हुए अवतरित क्रोध पुंज यश पाये।श्रद्धायुत तव यश गायन को वहता सदा पवन है।
भृगु कुल चन्दन परशुराम को मेरा कोटि नमन है।।२।।
राजशक्ति के सम्मुख तुमने शीश न कभी झुकाया।
स्वाभिमान से जीवन जीना हम सबको सिखलाया।
तपोनिष्ठ हे जामदग्न्य !प्रेरणास्रोत हम सबके ।
ग्यान पुंज भव भय हारी तव सुयश धरा पर छाया।
रेणुकेय ! तव पद पद्मों में कोटि कोटि वन्दन है।
भृगु कुल चन्दन परशुराम को मेरा कोटि नमन है।।३।।
रचनाकार-पण्डित राम अवतार शर्मा जी, अध्यक्ष, देवनागरी उत्थान परिषद
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