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बाइफरकेशन पहुंचे प्रदेश के जलशक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह, बिना निरीक्षण किये चले गए खीरी

नाश्ता करके बिना निरीक्षण लौट गए सिंचाई मंत्री

-अफसरों ने जो दिखाया बताया उसी पर आंख बंद करके किया भरोसा

-बिना टेंडर काम कराने पर बोले इमरजेंसी में यह सब करना पड़ता है

https://youtu.be/UOlBKSEcFRM?si=wqCZ4xHjPhDJey8q

पीलीभीत। सर जी यह पप्पू की पपड़ी है, बड़ी स्पेशल है, एक पीस लीजिये न। यह कहकर अफसर प्लेट बढा रहे थे और मंत्री जी पपड़ी का भोग लगा रहे थे। साथ में चाय, नमकीन, काजू कतली, पपीता, सेव और अन्य कई तरह का नाश्ता प्लेटों में सजा था। करीब 10 मिनट तक खाने पीने का सिलसिला चला। एक दो ज्ञापन और दो तीन सवाल, बस मंत्री जी उठ खड़े हुए और गाड़ी में बैठकर लखीमपुर की राह ली। गाड़ी में बैठते बैठते पारदर्शिता पर नेताओं वाला भाषण भी दिया जिसे अफसर प्रवचन मानकर उनके जाते ही बचे नाश्ते पर टूट पड़े। यह नजारा था बाईफरकेशन गेस्ट हाउस का, जहां आकर हर वीवीआइपी का लगभग यही हश्र होता है। बिना निरीक्षण के क्लीनचिट मिलने से अफसर खुश दिखे और विभागीय परियोजनाओं में फिर से बंदर बांट शुरू करने की कवायद शुरू हो गई।
प्रदेश के सिंचाई व जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह मंगलवार शाम को पीलीभीत पहुंचकर यहां के शारदा सागर जलाशय व अन्य परियोजनाओं का निरीक्षण करने वाले थे। करीब 19 घंटा लेट पहुंचे मंत्री जी सीधे वाईफरकेशन पहुंचे। 10:30 बजे का समय रहा होगा। निरीक्षण से अधिक अधिकारियों को उनके खाने-पीने की चिंता रही। मंत्री जी के आते ही जहां सबसे पहले पप्पू की पपड़ी पेश की गई, वहीं चाय, नाश्ता, पपीता, सेव, काजू, बादाम और न जाने क्या प्लेटो में सजा दिया गया। खाने-पीने में मंत्री जी इतना व्यस्त हुए कि उन्होंने निरीक्षण करने का कार्यक्रम भी अंत समय में निरस्त कर दिया और सीधे लखीमपुर खीरी की डगर पकड़ ली। बोले 12 बजे तक लखीमपुर पहुंचना था। भाजपा जिलाध्यक्ष संजीव प्रताप सिंह, पूर्व प्रधान राममूर्ति सिंह, निर्भय सिंह आदि ने उनका स्वागत किया। पत्रकारों के सवालों पर स्वतंत्रदेव सिंह अधिकारियों को क्लीन चिट देते नजर आए। टेंडर से पहले खारजा नहर गेट का काम करने को लेकर बोले इमरजेंसी में ऐसा करना पड़ता है, लेकिन अगर शिकायत मिलेगी तो दो चार को घसीट भी देंगे। मंत्री जी के द्वारा निरीक्षण न करने और वापस लौट जाने से अधिकारी काफी खुश नजर आए और वे चल रहीं सभी परियोजनाओं में बंदर बांट की नई-नई जुगत बढ़ाने में जुट गए। मंत्री जी का बचा हुआ नाश्ता भी अधिकारियों ने कमरे में बंद होकर चट किया और उसके बाद अपने दफ्तरों व पिकनिक स्पॉटों की राह पकड़ ली। ना तो शारदा सागर जलाशय की सिल्ट साफ हुई और ना ही बाढ़ परियोजनाओं का काम सही सलामत हुआ यानी मंत्री के आने का कोई लाभ यहां की जनता को होता नजर नहीं आया। हालांकि दौरे के नाम पर लाखों के बारे न्यारे हो गए। लखनऊ, बरेली व जिला मुख्यालय के अफसरों की दर्जनों गाड़ियों की दौड़भाग से जहां डीजल फुका वहीं टीए डीए के बिल बनने का बहाना मिल गया।

गोमती उदगम को हरदोई ब्रांच नहर से पानी देने के निर्देश

https://youtu.be/UOlBKSEcFRM?si=wqCZ4xHjPhDJey8q

माधोटांडा के पूर्व प्रधान राम मूर्ति सिंह द्वारा जल शक्ति मंत्री को ज्ञापन देकर गोमती नदी को उद्गम स्थल पर हरदोई ब्रांच नहर से पानी देने की मांग उठाते हुए बताया कि पिछले कई दशक में हरदोई ब्रांच से पानी आता था जो बंद हो गया है। इस पर जल शक्ति मंत्री ने अधिकारियों से बात की और उन्हें पानी देने के निर्देश दिए। माधोटांडा नहर परियोजना के जीर्णोद्धार के लिए भी जलशक्ति मंत्री ने अभियंताओं निर्देश दिए। पूर्व प्रधान ने माधोटांडा को नगर पंचायत का दर्जा देने का ज्ञापन सोपा और बंद पड़ी ब्लॉक को चालू करने की भी मांग उठाई। भाजपा जिला अध्यक्ष संजीव प्रताप सिंह ने वाईफरकेशन रोड पर संचालित कैंटीन को सिंचाई विभाग के अफसरों द्वारा बंद कराने के बारे में जानकारी दी और पर्यटकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए इस मार्ग पर पर्यटकों की सुविधा के लिए सिंचाई विभाग की जमीन में कैंटीन खुलवाने का आग्रह किया। इस पर जल शक्ति मंत्री ने कार्रवाई का आश्वासन दिया। माधोटांडा रजवाहा पर हेड रेगुलेटर की मांग भी उठी जिसे विभाग के अफसरों ने तकनीकी कारणों से खारिज कर दिया। कई अन्य समस्याओं व शिकायतों पर जल शक्ति मंत्री ने सख्त एक्शन लेने की बात कही। अभियंताओं से डैम में सिल्ट आने का कारण भी पूछा।

शिकायतकर्ताओं को मनाते नजर आए अफसर

https://youtu.be/UOlBKSEcFRM?si=wqCZ4xHjPhDJey8q

गोमती नदी की फुलहर झील को हरदोई ब्रांच नहर से पानी देने का ज्ञापन मंत्री जी को देने व मंत्री जी द्वारा इसपर अमल करने के आदेश से सिंचाई विभाग के ऐसी व अन्य अभियंता भी चकरा गए। मंत्री जी के जाने के बाद अफसर शिकायत करने वाले राममूर्ति सिंह व निर्भय सिंह को बंद कमरे में मनाते नजर आए। इसको लेकर अफसरों से तीखी बहस भी हुई। अफसरों ने कहा कि मरीज को खून देकर कब तक जिंदा रखा जा सकता है, इस पर पूर्व प्रधान ने कहा कि हम अपने मरीज की जीवन रक्षा चाहते हैं, कैसे होगी यह आपका विषय है। अफसरों ने इन लोगों को समझाकर वापस कर दिया।

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