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उठाता लेखनी जब-जब शब्द के खिले कमल तब तब

अखिल भारतीय साहित्य परिषद के तत्वावधान में आयोजित हुआ बासंती काव्योत्सव

डॉ देवेंद्र गोस्वामी की बहु प्रतीक्षित पुस्तक का महोत्सव में हुआ विमोचन

काव्य उत्सव में कवियों ने छेड़े सुरों के तराने

पीलीभीत-तराई की साहित्यिक नगरी पीलीभीत में नगरी के साहित्यिक रत्न वरिष्ठ कवि डॉ देवेंद्र गोस्वामी की काव्य मोतियों से सजी काव्य मंजूषा बहु प्रतीक्षित पुस्तक उठाता लेखनी जब – जब के विमोचन और एक भव्य बासंती काव्योत्सव का आयोजन किया गया।


अखिल भारतीय साहित्य परिषद के बैनर तले आयोजित होने वाले इस पुस्तक विमोचन एवं बासंती काव्योत्सव का संयोजन शहर के वरिष्ठ कवि और अखिल भारतीय साहित्य परिषद पीलीभीत के जिलाध्यक्ष संजय पांडे गौहर ने किया तथा अध्यक्षता जिले के वरिष्ठ पत्रकार साहित्य समृद्ध हस्ताक्षर डॉक्टर अमिताभ अग्निहोत्री ने की व कार्यक्रम का संचालन उपाधि महाविद्यालय में हिंदी संकाय के विभागाध्यक्ष डॉक्टर प्रणव शास्त्री ने किया।


कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रुप में पीलीभीत नगर के पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष प्रभात जायसवाल, भाजपा के नगर अध्यक्ष विकास श्रीवास्तव व उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल पीलीभीत के जिला अध्यक्ष अनूप अग्रवाल रहे।


कार्यक्रम में मुख्य अतिथि व विशिष्ठ अतिथियों को पटका व सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया साथ ही काव्य संध्या में मौजूद सभी कवियों का भी सम्मान पत्र के साथ सम्मान किया गया।


बासंती काव्योत्सव में काव्य संध्या को सजाने के लिए आमंत्रित स्वरों में कवि पवन शंखधार, उज्जवल वशिष्ठ, विकास आर्य स्वप्न, अविनाश मिश्रा चंद्र, सिद्धार्थ मिश्रा, नवाब सैदा, इरफान सागर, प्रदीप अंकुर, योगेंद्र गोस्वामी नीरव, पुष्पेंद्र शुक्ला दीप व अमित अल्प मौजूद रहे।


दीप प्रज्वलन व मां शारदा की स्तुति के उपरांत पुस्तक विमोचन एवं काव्य संध्या का आगाज हुआ काव्योत्सव में कवियों ने एक से बढ़कर एक स्वर सज्ज तरानों, गीत गज़लों की माला श्रोताओं के गले पहनाई।
काव्योत्सव में कविअमित अल्प ने जहां एक तरफ मुल्क के ताजा हालात को बयां करती नज्म –

‘ कौम के नाम पर तू डराता है क्यूं, यूं ही नस्लों में नफ़रत बड़ाता है क्यूं ‘ सुनाई ,
वहीं दूसरी ओर देश के राम प्रेम को अपने गीत –
जानकी वल्लभ जय सियाराम से नमन किया।

बदायूं से आए उज्ज्वल वशिष्ठ ने कहा-

तारों को गिरते देख लिया आसमान से,
लगने लगा है डर हमें ऊँची उड़ान से।

बदायूं से ही आए पवन शंखधार ने कहा –

विचार भले कहीं भी कर लो अपना घर अपना होता है ,
भले सप्तरंगी हो पर सपना तो सपना होता है ।
संघर्ष कष्ट और विपदाएं जीवन के वैभव होते हैं –
इतिहास पुरुष बनने के लिए जीवन भर तपना होता है।

योगेन्द्र गोस्वामी ‘नीरव’ ने कहा –

मानव का जीवन क्षणभंगुर सारा जगत असार,
सार एक पत्नी इस जग में और उनका परिवार,
करें सब पत्नी वंदन, नित्य शत-शत अभिनंदन।

डा० देवेन्द्र गोस्वामी ने कहा –

शीत के शैतान का बस अंत आया। झूमती है प्रकृति , उसका कंत आया। आज प्रमुदित हो रही हैं सब दिशाएं – हों नहीं क्यों ?आज खुद श्रीमंत आया ।

प्रदीप अंकुर ने कहा –

भारत का नेता है ऐसा ऐसी उसकी शान,
विश्व जगत में बढ़ता जाता उसका है सम्मान,
उसका है सम्मान सदा वो राम राम ही गाता,
जय जय भारत माता जय जय भारत माता।

संजय पाण्डेय गौहर नें कहा –

हुआ हूं दूर ऐसे परिचितों से,
जिन्हें मुश्किल है बस मेरे हितों से।
तेरे जर का महल तुझको मुबारक-
तू हारा है किसी की गुरबतों से।

नवाब शैदा ने कहा –

येजो कागज़ कलम से दोस्ती है,
ये कोई खेल न करतब है कोई , जमाना रुख बदल लेताहै अपना, उठाता लेखनी जब जब है कोई।

कवियों की एक एक रचना पर आकाश भर तालियों की गड़गड़ाहट से सदन रह रहकर गुंजायमान होता रहा।
काव्य रस वर्षा के उपरांत डॉक्टर देवेंद्र गोस्वामी की बहु प्रतीक्षित पुस्तक ‘ उठाता लेखनी जब-जब ‘ का विमोचन एक नए और अनोखे अंदाज में किया गया।

अपनी इस काव्य सागर में से डॉक्टर गोस्वामी ने एक मोती चुनकर श्रोताओं के गागर में रखा। इसके बाद अध्यक्षीय संबोधन के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।


कार्यक्रम में अशोक वाजपेई, धीरेंद्र मिश्र, अजय सक्सेना, डा रेनू सक्सेना, डा नीरू सक्सेना, डा संध्या तिवारी, बाबूराम शर्मा, देवकरण स्वामी, डा लक्ष्मीकांत दीक्षित,रामजी नाथ, डा देशबंधु तन्हा, अरुण भारद्वाज मस्त, जीएस मोहन, विवेक अवस्थी, पंकज शर्मा, मोहित गोस्वामी, मनोज मिश्र, रणवीर पाठक, शिवनारायण शर्मा, अनन्या , गीता गोस्वामी ,अभिनव , दिव्यांशु , मनोज गुप्ता , रामकुमार वर्मा की विशेष मौजूदगी रही।

(साभार डाक्टर अमिताभ अगिनहोत्री जी)

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