
अचूकवाणी : शमशान शेड नहीं, स्कूल, अस्पताल, तार फेंसिंग और सड़कों का कराया जाता निर्माण
संपादकीय
हिंदुस्तान समाचार पत्र में आज सुबह एक खबर आप सबने भी पढी होगी। जिसमें केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री और जिले की सांसद मेनका संजय गांधी द्वारा पिछले 5 वर्षों के दौरान जनपद में कराए गए विकास कार्यों पर एक पड़ताल हाल ए सांसद निधि प्रकाशित की है।
इसका हेडिंग “22.5 करोड़ से कराए जा चुके निर्माण कार्य” और सब हेडिंग है सांसद निधि से 5 साल में सबसे अधिक शमशान शेड बने, बचे काम 15 दिन में कराएंगे पूरे। यह खबर पढ़कर कुछ फील गुड़ भी हुआ कि चलो किसी अखबार ने तो सांसद निधि की पड़ताल करने का साहस किया वरना आजकल पता ही नहीं चलता कि कौन विधायक, एमएलसी या एमपी अपनी निधि (जबकि है जनता का पैसा) का कहां उपयोग कर रहा है । अगर यह जनप्रतिनिधि मिलकर जनपद के विकास पर अपनी निधि का सही उपयोग करें तो हकीकत में जिला चमक जाएगा।
सभी अस्पतालों को क्यों नही दिए गए उपकरण?
परंतु इस खबर का एक दूसरा पहलू पढ़कर कुछ शर्म भी महसूस हुई कि जिंदा लोगों से अधिक मृतकों का ख्याल निर्माण कार्यो में रखा गया है। मां कहलाने वाली सांसद ने अपनी निधि का सर्वाधिक प्रयोग जिले में श्मशान शेड बनाने में किया है ।शायद उन्हें यह बात भी मालूम होनी चाहिए कि जिले के अधिकांश अस्पतालों में बच्चे पैदा होते ही मर जाते हैं। वहां ऑपरेशन की कोई सुविधा नहीं है। बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं हैं। आधुनिक मशीनें नहीं है। यह बात गांव देहात नहीं तहसील और ब्लॉक मुख्यालयों के अस्पतालों पर भी लागू होती है । ऐसे में यह बात पढ़कर भी अटपटी लगी कि सांसद महोदया ने केवल बिलसंडा के अस्पताल में एक्सरे मशीन दी। काश वे जनपद के सभी अस्पतालों में एक्सरे मशीन व अन्य आधुनिक जीवनरक्षक उपकरण मुहैया कराती। जिससे जिंदा लोगों को राहत महसूस होती। कई श्मशान शेड अपूर्ण पड़े हैं जबकि धन का बंदरबांट हो गया। इनकी जांच भी जरूरी है। कई जगह घटिया निर्माण भी कराया गया।
इस हकीकत को नजरअंदाज नहीं कर सकते आप
शिक्षा के क्षेत्र में भी सांसद के प्रयास कमतर है। कहीं भी कोई ऐसा काम नहीं हुआ जिसे एक उपलब्धि के रूप में जाना जा सके।हाईवे जरूर अच्छे हुए हैं लेकिन गांव देहात की सड़कें आज भी चलने योग्य नहीं हैं। इन नेताओं को तब पता लगेगा जब चुनाव में वोट मांगने निकलेंगे लेकिन जनता पिछले 5 सालों से इन्हीं टूटी-फूटी गड्ढे वाली सड़कों पर भटकने को मजबूर है। जनपद के विकास में उनकी उपलब्धि जनता बखूब जानती है। हालांकि मैडम तो यही कहती हैं पीलीभीत जंगली एरिया था। ना कहीं स्कूल थे ना सड़क थी। सब कुछ आकर उन्होंने ही पीलीभीत में कराया। सांसद निधि ही नहीं वे तो यहां तक कहती हैं कि उन्होंने दिल्ली की अपनी कोठी बेंचकर पीलीभीत बालों के लिए खर्च कर दी। हकीकत क्या है जनता जनार्दन सब जानती है। चंद सलाहकार भी ऐसे हैं जो हां हजूरी से बाहर निकलकर सच कहने का साहस नहीं कर पाते। पता होगा कि पूरनपुर का बस अड्डा पिछले 3-4 सालों से बन रहा है कब चल पाएगा कुछ पता नहीं। एक सवाल यह भी की शमशान शेड बने तो कब्रिस्तान शेड बनाये गए या नहीं। यह भी बताया जाना चाहिए।
इस दिशा में हो गए होते कुछ प्रयास तो जनपद बन जाता खास
अगर हकीकत का आईना देखा होता तो गोमती के लिए भी कुछ न कुछ जरूर बनता था। वन और वन्य जीवों की हिमायती मेडम पीटीआर में भी कुछ नया नहीं करा पाईं, आखिर क्यों? पर्यटन के लिहाज से जनपद काफी धनी है पर जिले को पर्यटन के मानचित्र पर लाएगा कौन? पीलीभीत खुटार हाइवे फोर लेन बन जाता पर पेड़ कटने की बात कहकर अड़ंगा किसने लगाया? यह सवाल अनुत्तरित है। जंगल की तारफेसिंग पर भी कोई खास काम जनपद में नहीं हुआ। शिक्षा, चिकित्सा, सड़क , परिवहन सुविधाओं में पीलीभीत आज भी फिसड्डी है। इसके लिए जिम्मेदार कौन है? शारदा नदी के धनाराघाट पर पक्का पुल सपना बनकर रह गया है। शारदा पर तटबंध और बाढ़ समस्या का स्थाई हल भी नही तलाशा जा सका। बंगालियों को नागरिकता कौन दिलाएगा। किसानों को समर्थन मूल्य दिलाने के प्रयास या तो हुए नहीं या फिर यूं ही खानापूरी हुई वरना किसानों का हक मारने का साहस कोई नही कर पाता।
विधायक भी नहीं सार्वजनिक कर रहे अपनी निधि का हिसाब
जनता के धन से ही सरकार सांसद और विधायक निधि में प्रतिवर्ष करोड़ों रुपया विकास कार्य कराने हेतु देती है ताकि निर्वाचित जनप्रतिनिधि जनता की मांग पर विकास कार्य किसी का मुंह देखे बगैर शीघ्रता और प्राथमिकता से करा सकें परंतु दुखद पहलू यह है कि प्रतिनिधि इस निधि को खुद की जागीर समझकर सिर्फ वे काम ही कराते हैं जिनमें लाभ होता है। जिले के चारो विधायकों ने भी विधायक निधि का हिसाब सार्वजनिक नहीं किया है। कितना रुपया सब तक मिला और कितना कहाँ खर्च हुआ यह जानने का हक जनता को है और जनता को बताया ही जाना चाहिए। अगर कोई विधायक अपनी निधि का ब्यौरा जनता को बताना चाहते है तो समाचार दर्शन 24 को व्हाट्सएप नंबर 9411978000 पर विवरण भेज सकते हैं।
सतीश मिश्र “अचूक”
(संपादक- समाचार दर्शन 24)
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