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वरिष्ठ व्यंग्यकार ओम प्रकाश मंजुल की 5 पुस्तकों का हुआ सामूहिक विमोचन

पूरनपुर। आज परब्रह्म परमेश्वर के पूर्णावतार भगवान कृष्ण जी के प्राकट्य दिवस (जन्माष्टमी) की पावन बेला पर जिले के वरिष्ठ व्यंग्यकार ओम प्रकाश पांडेय मंजुल की पांच कृतियों-

सोंधी गंध : महकता पानी’ (संस्मरण-संग्रह), ‘कबीर ने इंटर पास किया था’ (व्यंग्य-संग्रह),’जेब कटवाइये और चैन की नींद सोइये'(व्यंग्य-संग्रह),’मस्ती के दिन चार’ (व्यंग्य -संग्रह)और ‘मुझको मेरी बीवी से मिलाओ'(व्यंग्य-संग्रह)

का अशोक कालोनी, पूरनपुर स्थित शिव शक्ति धाम पर धाम के पुजारी पं.अनिल पाण्डेय शास्त्री के पौरोहित्य में देवार्पण कराए जाने के उपरांत क्रमशः राजेन्द्र कुमार गुप्त आर्य (प्रमुख आर्य समाजी), अनंत राम पालिया (वरिष्ठ गायत्री परिजन),सरदार श्रीकांत सिंह (वरिष्ठ समाजसेवी), पं.रामप्रकाश शुक्ला(वरिष्ठ गायत्री परिजन)और निरंकार पाण्डेय (सेवा निवृत्त मुख्याध्यापक) द्वारा लोकार्पण किया गया।

इस लिंक से देखें विमोचन का वीडियो..

https://youtu.be/BqvyE_ZMrVY?si=otLaDUxbeuIHj_SU

इस अवसर पर अपने उद्बोधन में श्री मंजुल ने क्या कहा, इस लिंक से सुनें..

https://youtu.be/qQ2_PpVKuGc?si=Om-U-wKmBylgZuEt


लोकार्पण-समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार राम अवतार शर्मा व अंशुमाली दीक्षित, कवि व पत्रकार सतीश मिश्र ‘अचूक’ उमाशंकर शुक्ला, पंडित अनिल शास्त्री, संदीप खण्डेलवाल, प्रशांत पाण्डेय, डाॅ.बृजमोहन पाण्डेय, राम औतार पाण्डेय, संतोष मौर्य आदि अनेक गणमान्यों ने अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम का संचालन नगर के प्रतिष्ठित साहित्य व समाजसेवी अशोक खण्डेलवाल ने किया। वक्ताओं ने श्री मंजुल के कृतत्व व व्यक्तित्व की मुक्त कंठ से सराहना की।

इस मौके पर समाजसेवी व संगीत प्रेमी संदीप खंडेलवाल की सीटी भी बजी, जिसे काफी पसंद किया गया। आप इस लिंक से सुन सकते हैं..


दूर-दराज स्थानों एवं नगर से पधार कर कार्यक्रम को सफल सार्थक बनाने वाले आत्मीय जनों और पूर्ण मनोयोग से देव-पूजन व देवार्पण कराने वाले धाम के पुजारी और उनकी मण्डली तथा संपूर्ण समारोह में सुव्यवस्था बनाने वाले धाम के अंतेवासियों के प्रति श्री मंजुल ने आभार जताया है। 

मंजुल जी की 5 पुस्तकों के विमोचन पर कवि व पत्रकार सतीश मिश्र अचूक की तरफ से काव्यमय शुभकामनाएं

पानी भी है महकता, हैं सोंधी सी गंध।
मस्ती के दिन चार हैं, लिखे उसी पर बंद।
लिखे उसी पर बंद, मिलाओ निज बीबी से।
इंटर पास कबीर, देख लेना टीबी से।
कह “अचूक” कविराय, अकिंचन सा ना ज्ञानी।
जेब कटाओ सो जाओ ना मांगो पानी।।

सतीश मिश्र “अचूक”

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