डीडी के आदेश पर भी 7 दिन में शिकारियों का पता नहीं कर सके वन कर्मचारी
डिप्टी डायरेक्टर के आदेश पर भी 7 दिन में शिकारियों का पता नहीं कर सके वन कर्मचार
पीटीआर में मछलियों के शिकार पर सख्त हुए डिप्टी डायरेक्टर, शिकारियों का पता ना चलने पर विभागीय होगी कार्यवाही
हाल ही में डिप्टी डायरेक्टर ने जंगल में पहुंचकर शिकार में प्रयुक्त सामान किया था बरामद
शिकारियों के खिलाफ की गई थी विभागीय कार्रवाई
पूरनपुर: एक सप्ताह पूर्व टाइगर रिजर्व के बधाई रेंज के जंगल में शिकारियों द्वारा अवैध रूप से मछलियों का शिकार की सूचना पर डिप्टी डायरेक्टर ने छापेमारी की थी। भनक लगने पर शिकारी तो मौके से फरार हो गए लेकिन जंगल के अंदर शिकार में प्रयुक्त सामान नहीं ले जा पाए। डिप्टी डायरेक्टर ने मौके से शिकार में प्रयुक्त सामान मिलने पर सख्त नाराजगी जाहिर की थी। उन्होंने स्टाफ को सख्त हिदायत देकर जल्द से जल्द शिकारियों के बारे में जानकारी जुटाने की बात कही है। वन विभाग द्वारा आरोपियों के खिलाफ केस भी काटा जा चुका है। रेंज के वन कर्मचारी शिकारियों के बारे में जानकारी नहीं लगा पाए तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई तय है।
टाइगर रिजर्व बनने के बाद जंगल में घुसने को लेकर काफी सख्ती कर दी गई। लेकिन यह सकती केवल आम आदमी के लिए है शिकारियों के लिए नहीं। मिलीभगत के चलते शिकारी जंगल के अंदर सेंधमारी कर रहे हैं। 1 सप्ताह पूर्व डिप्टी डायरेक्टर ने जंगल में मछलियों के शिकार की सूचना पर मौके पर पहुंचे थे। शिकारी तो नहीं मिले लेकिन उन्हें वहां संदिग्ध प्रमाण मिले थे। डिप्टी डायरेक्टर के आदेश पर भी 7 दिन बीत जाने के बाद स्थानीय वन कर्मचारी शिकारियों के बारे में पता नहीं कर सके। और पता भी क्यों करें शिकारी के बारे में पता करने पर स्थानीय वन कर्मचारियों की कलई भी खुल सकती है।
27 जनवरी को को पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर आदर्श कुमार को बराहीं वन रेंज के सिमरा वन चौकी के अंतर्गत आने वाला वन क्षेत्र सिमरा ता० महराजपुर, कटकवारा, बरुआ कुठारा सुतिया के जंगल में दर्जनों शिकारियों द्वारा मछली का शिकार करने की सूचना मिली थी। इस पर डिप्टी डायरेक्टर ने मौके पर पहुंचकर जांच पड़ताल की। भनक लगने पर शिकारी मौके से फरार हो गए लेकिन मौके पर जाल बस शिकार में प्रयुक्त अन्य सामान नहीं ले जा पाए। जंगल में शिकार को लेकर डिप्टी डायरेक्टर ने रेंज के वन कर्मचारियों पर सख्त नाराजगी व्यक्त की। वन विभाग द्वारा अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया गया है। 4 दिन बीत जाने के बाद भी वन विभाग शिकारियों के बारे में कुछ पता नहीं कर सका है। क्षेत्रीय वन कर्मचारियों की मिलीभगत के चलते शिकारियों को जंगल के अंदर आसानी से मोटी रकम लेने के बाद मछली पकड़ने का ठेका दे दिया जाता है। शिकारी मछलियों के अलावा जंगली जानवरों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं।
इंसेट-
डिप्टी डायरेक्टर आदर्श कुमार ने बताया मौके पर कुछ संदिग्ध प्रमाण मिले थे। अभियुक्तों का पता लगाया जा रहा है। संबंधित स्टाफ पर भी विभागीय कार्रवाई की जाएगी यदि जल्द ही अभियुक्त नहीं पकड़े गए। इस मामले में मुकदमा भी दर्ज किया गया है।
रिपोर्ट-शैलेन्द्र शर्मा “व्यस्त”
व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें