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उगाही प्रकरण : पूर्ति निरीक्षक पर गिरी गाज, गोदाम प्रभारी को हटवाने में नेता-अफसर फेल

पीलीभीत : महाकवि तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में लिखा है कि टेढ़ जानि बन्दइ सब काहू, वक्र चंद्रमा हि ग्रसत न राहू। उनकी इस चौपाई का अर्थ है जो व्यक्ति थोड़ा टेढ़ा होता है उस पर जल्दी कोई हाथ नहीं डालता जैसे कि टेढ़े चंद्रमा को राहु ग्रसित नहीं करते। उनकी यह चौपाई इस समय पूरनपुर में खाद्य विभाग पर सटीक बैठ रही है। यहां खाद्य विभाग में सरकारी गल्ला गोदाम पर तैनात गोदाम प्रभारी को इसी तरह नहीं हटाया जा सका। आरोप था कि यह प्रभारी एक जनप्रतिनिधि के नाम पर कोटेदारों से प्रतिमाह मोटी उगाही करते हैं। जांच हुई और जिला पूर्ति अधिकारी ने गोदाम प्रभारी को हटाने की संस्तुति करते हुए उनके विभाग को भी लिख दिया परंतु गोदाम प्रभारी यथावत कायम है। इससे पहले संबंधित जनप्रतिनिधि भी कई बार इस गोदाम प्रभारी को हटाने के लिए शासन में लिख कर दे चुके हैं परंतु शासन ने एक डेढ़ दशक से पूरनपुर में अंगद की पैर की भांति जमे इन प्रभारी महोदय को नहीं हटाया। हालांकि इस पूरे प्रकरण में 2 माह पहले पूरनपुर में ज्वाइन करने वाले पूर्ति निरीक्षक

रजनीश कुमार शुक्ला बलि का बकरा बन गए हैं। उन्हें अल्प समय में ही पूरनपुर से हटाकर अमरिया भेज दिया गया है। जबकि अमरिया से ही वे 2 माह पहले पूरनपुर आये थे। वे खुद को निर्दोष बता रहे हैं। सीधेपन के चलते ही उन्हें इधर से उधर किया गया। डीएसओ की जांच में भी उनपर आरोप साबित नही हुए और क्लीनचिट दी गई थी। यहां इस मसले की काफी चर्चा है और लोग कहानी किस्से सुनकर मजे ले रहे हैं। डीएसओ एपी सिंह ने बताया कि रूटीन तबादला है। गोदाम प्रभारी को हटाने को संबंधित विभाग को लिखा गया है। चर्चा 2 विन्दुओं पर केंद्रित है।

1-क्या गोदाम प्रभारी उगाही करते थे? जवाब नहीं, तो उन्हें डीएसओ ने जांच में क्लीनचिट क्यों नही दी और उन्हें हटाने को उनके विभाग को क्यों लिखा?

2-यदि गोदाम प्रभारी उगाही करते थे तो उन्हें अब तक हटाया क्यों नही गया और एफआईआर क्यों नही दर्ज कराई गई? जनप्रतिनिधि ने इन साहबान को हटवाने में जल्दबाजी क्यों नही की?

आप समझ सकते हैं कि दाल में कुछ काला नहीं यहां तो पूरी दाल ही काली नजर आ रही है। इस विभाग में शायद सुधार सम्भव नही लगता।

जानिए क्या था मामला

पूरनपुर ब्लाक के चतीपुर गांव के कोटेदार के पुत्र प्रताप ने वीडियो जारी करके विभाग में कोटेदारो से की जाने वाली उगाही का कच्चा चिट्ठा खोला था। आरोप था कि ब्लाक के 360 कोटेदारो से प्रतिमाह एक जनप्रतिनिधि के नाम से एक हजार रुपया प्रति माह वसूला जाता है। पूर्ति निरीक्षक, चपरासी, बाबू, गोदाम प्रभारी, केरोसिन डिपो इंचार्च आदि की दक्षिणा का खुलासा करते हुए केरोसिन व खाद्यान्न कम मात्रा में देकर घटतौली करने का भी आरोप लगाया गया था। समाचार दर्शन 24 ने यह प्रकरण प्रमुखता से प्रसारित किया था। इससे खलबली मच गई थी। डीएसओ एपी सिंह ने इस मामले की जांच की थी। चूंकि उगाही बंद होने से कईं अफसरों की ऊपरी कमाई बंद होना तय थी इसलिए मामले को गोलमटोल घुमाकर समाप्त कर दिया गया। शिकायतकर्ता से भी सहमति लिखवा ली गई थी। 

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